अष्टम भाव और ज्योतिष
अष्टम भाव और ज्योतिष
जिंदगी में हमेशा ये होता है कोई नई अतरंगी चीज आती है फिर सबको वही चीज चाहिये होती है और लोग बिना कुछ सोचे-समझे-जाने उसके पीछे भागना शुरू कर देते हैं, जिसकी वजह से कई बार लूट-धोखे आदि का शिकार भी हो जाते हैं और कई बार वास्तविक मूल्य से कई गुना अधिक दाम पर उस चीज को प्राप्त करते हैं।
इस बीच यही देखने में आया है कि कई सारे लेखों में पढ़ने को मिला कि आठवां भाव जागृत कीजिए सब ठीक हो जाएगा, ज्योतिषियों से लेकर नए सीखने वालों तक सभी चाहते थे कि उनका अष्टम भाव जागृत हो जाये फिर वो त्रिकालदर्शी बन जायेंगे उन्हें सारी चिंताओं से मुक्ति मिल जायेगी, मुझे लगता है इसमें कुछ चीजें समझने वाली हूं जिन्हें ज्योतिष में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति को समझना चाहिए, आठवां भाव यात्रा, आयु, पराविद्याओं एवं शोध आदि का होता है, मान लीजिए आपने कोशिश की और आपका आठवां भाव जागृत हो गया और आप त्रिकालदर्शी बन गए जिसके परिणाम स्वरूप आपको आस-पास ग्रह चलते हुए दिखने लगें, आपको होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं के पूर्वाभास होने लगे तो क्या कमजोर लग्न के साथ कमजोर चन्द्रमा (मन) के साथ आप उसे संभाल पायेंगे ? कमजोर द्वितीय भाव के साथ जो वाणी का कारण होता है क्या आप घटने वाली बुरी घटनाओं को जातक के सामने सही तरीके से रख पायेंगे ? क्या बिना पंचम भाव मजबूत हुए जो विद्या, इष्ट आदि का होता है उस ज्ञान का सही उपयोग कर पाओगे बिना इष्ट को साधे क्या आप सही दिशा में बढ़ पाओगे ?
ये लेख बहुत लंबा हो सकता है महाभारत से रामायण तक और हमारे इतिहास से लेकर वर्तमान तक ऐसे लाखों उदाहरण मौजूद हैं जहाँ व्यक्तियों ने सदा उन चीजों की कामना की जिनकी उन्हें रत्ती भर भी जरूरत नहीं थी और परिणाम सदा ही विनाशकारी रहे, लेकिन मुझे हमेशा लगता है कम से कम शब्दों में अपनी बात रखकर पाठक को चिंतन, मनन का मौका दे देना चाहिए ताकि वो स्वयं का रास्ता स्वयं खोज सके।
किसी दूसरे व्यक्ति को देखकर उसके प्रभाव में आकर भगवान से वो चीज कभी मत माँगिये जिसकी आपको जरूरत ना हो या जिसके आप काबिल ना हों या जिसके लिए आपने मेहनत नहीं की हो, वरना वह चीज आपको मिल भी जाएगी फिर भी आप उसे संभाल नहीं पाएंगे और जब संभाल नहीं पाएंगे तो और ज्यादा दुखी हो जाएंगे।🌺🙏🏻
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