सूर्य

ॐ भास्कराय नमो नमः


शास्त्र में सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा गया है। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश के अभाव में धरती पर अंधकार छा जाता है, ठीक उसी प्रकार किसी मनुष्य की जन्मकुंडली में सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति के जीवन में अंधकार छा जाता है। यानी वह व्यक्ति सफलताओं, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा से वंचित रहता है। सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति कई तरह के शारीरिक रोगों से ग्रसित रहता है। हृदय और नेत्र संबंधी रोगों से जीवनभर परेशान रहता है। ज्योतिष में कमजोर सूर्य को मजबूत बनाने के कई उपाय बताए गए हैं उनमें से सबसे प्रबल उपाय है सूर्य यंत्र की पूजा। सूर्य यंत्र की स्थापना करके आप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं। इसकी पूजा से आपकी सफलता की सीढ़ी साथ नहीं छोड़ेगी।

कब करें सूर्य यंत्र की स्थापना
रविवार भगवान सूर्यदेव का दिन है। सूर्य यंत्र की स्थापना भी रविवार के दिन की जाती है। इसके लिए किसी भी रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें। अपने पूजा स्थान में सफाई करके, पोछा लगाकर शुद्ध श्वेत आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद पहले गाय के कच्चे दूध से और फिर गंगाजल से सूर्य यंत्र को पवित्र कर लें। सामने चौकी पर पीला रेशमी वस्त्र बिछाकर उस पर सूर्य यंत्र स्थापित करें। इस पर चंदन, केसर और लाल पुष्प अर्पित करें। इसके बाद 'ऊं घृणि सूर्याय नम:" मंत्र की सात माला जाप करें। इस यंत्र को पूजा स्थान में ही स्थापित रहने दें और प्रतिदिन इसकी पूजा करें। संभव हो तो उपरोक्त मंत्र की एक माला रोज जाप करें।

ठीक लाभ लेने के लिए एक तामपत्र का सूर्य यंत्र पूजा घर मे और भोजपत्र पर अंकित कर सिद्ध करवा के विधि विधान से पुनः पूजा करके बाजु या कण्ठ मे धारण करें।


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