चंद्र
चंद्रमा की महादशा का संपूर्ण फलादेश
चंद्रमा पर किए गए शोध पर सबसे सटीक फलादेश
(शोध पर आधारित)
ज्योतिष में चंद्रमा को मां की उपाधि दी गई है
संपूर्ण सुख सुविधा होने के बावजूद एकमात्र मां का ना होना घर को विरान कर देता है
उसी प्रकार कुंडली में समस्त राजयोग होने के पश्चात भी एक मात्र चंद्रमा का पीड़ित होना पूरी कुंडली को विरान कर देता है
चंद्रमा अगर कुंडली में केतु, राहु, शनि, या केमद्रुम दोष से पीड़ित हो तो स्थिति भयावह हो जाती है
आइए चंद्रमा का संपूर्ण महादशा के फलादेश को समझते हैं
चंद्रमा की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा -
चंद्रमा कल्पना है चंद्रमा मन है
तो जातक चंद्रमा के शुरुआती दौर में कल्पना की दुनिया में खोया रहता है, नींद अधिक आती है, सपने की दुनिया में खोया रहता है, बड़े-बड़े अरमान दिल में सजाए हुए,
चंद्रमा अपनी महादशा की शुरुआत करता है
चंद्रमा की महादशा मंगल की अंतर्दशा - यह समय मन में संजोए हुए कार्य को सिद्ध करने का समय होता है, जातक में थोड़ी बहुत पराक्रम आती है, और वह अपने सारे अरमान को पूरे ताकत के साथ पूरा करता है
चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा -
एक झटके में उसके सारे अरमानों पर पानी फिर जाता है,
चमचमाती धूप अचानक शाम ढलने में परिवर्तित हो जाती है,
न जाने अरमानों को किसकी नजर लग गई, खासकर
जब चंद्रमा कुंडली में पीड़ित हो यह समय भयावह होता है, मानसिक स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि जातक आत्महत्या तक का सोच लेता है, रिश्ते खराब हो जाते हैं, मन व्यथित हो उठता है, चौतरफा नुकसान होता है, और यह स्थिति और भी खराब हो जाती है जिस दिन पूर्णिमा या अमावस्या होती है
जातक को सभी क्षेत्रों में सिर्फ नुकसान ही नुकसान झेलना पड़ता है, पूरी की पूरी रात जातक जागकर गुजार देता है, फिर भी परिस्थिति इतना खराब कि क्या कहना
जातक के मन में ऐसी हलचल होती है इसका मिसाल तो बस ऐसा है
के जैसे घना समंदर हो, लहर के ऊपर लहर उठ रही हो, ऊपर आसमान पर काले बादल हो, और कुप्प घना अंधेरा हो,
इतना घना अंधेरा कि कोई हाथ भी बाहर निकाले तो वह भी दिखाई ना दे ...........
चंद्रमा की महादशा में गुरु की अंतर्दशा -
सहसा एक किरण नजर आई, शायद सुबह हो गई
नई उम्मीद हो, नई अरमानों के साथ जिंदगी की नई शुरुआत,
इसका मिसाल तो बस ऐसा है
जैसे कड़ाके की ठंड पड़ रही हो, और दूर किसी ने आग जलाया हो
ठंड तो कम नहीं हुई हो पर उस आग को दुर से ही देखकर मन में खुशी महसूस हो रही हो ......
चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा -
चंद्रमा पीड़ित हो तो यह समय दुख ऐसा की खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा हो
ठंड के बाद कोहरे का वह माहौल......
की एक-एक कदम दिखना भी मुश्किल हो जाए ...
बेहतर प्रतिभा भी अब काम नहीं आ रही हो
बस एक कदम आगे बढ़ना चाहिए, और थोड़े थोड़े एक कदम आगे बढ़े क्योंकि कोहरे का वह मंजर के आगे कुछ दिखाई ना देता हो
और कुछ दिखा एक कदम आगे बढ़े, और कुछ दिखा.... फिर कदम आगे...
बीच में ऐसा फंसा कि आगे भी कोहरा और पीछे भी घना कोहरा......
चंद्रमा की महादशा में बुध की अंतर्दशा -
कोहरे जा चुके थे, चमचमाती धूप खिल चुकी थी,
पर पूरी रात किसी ने सारी फसल चौपट कर दी.....
फिर से न नई खेती होगी...
और फिर से पूरी मेहनत करनी होगी...
और नए दौर की शुरुआत को लेकर जातक पुनः शुरुआत करता है
चंद्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा -
इसका मिसाल तो बस ऐसा है कि जोरों की बारिश हो रही हो,गरज और तूफान के साथ.....
और बीच मैदान में फंसा एक जातक,
चारों तरफ कुप्पा घना अंधेरा हो
एक बिजली की चमक आती हो और उसे दूर अपनी मंजिल दिखती हो.....
और फिर सहसा वही घना अंधेरा
अगर कुंडली में चंद्रमा पीड़ित हो तो यह समय इतना कठिन होता है कि जातक को जीवन का मोह ही खत्म हो जाता है
चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा -
गम के सारे बादल छट चुके हैं,
मन में ऐसी खुशी प्रतीत हो रही हो,
मदमस्त चलता जातक....
तेज हवा चले, मेहंदी की खुशबू लिए......
और जातक के मन का कवि जाग उठा हो
एक अजीब सा सुकून, एक अजीब सी खुशी,
शायद अब कुछ बेहतर होने वाला हो ......
चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा -
एक नई शुरुआत हो चुकी थी, अवसर आने लगे थे,
मन स्थिर होने लगा, जीवन की नई शुरुआत हो गई थी,
ऐसा मानो के पुनर्जागरण हुआ हो ............
कहानी अभी मंगल की महादशा तक चलेगी
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