शनि की वापसी- और उन्नति का सफर
शनि की वापसी- और उन्नति का सफर
शनि की वापसी (Saturn Return)
शनि एक राशि में लगभग अढ़ाई साल रहते हैं और बारह राशियों में गोचर करने में शनि को लगभग 30 वर्ष का समय लगता है। जन्मकुंडली में स्थिति शनि पर शनि का दोबारा गोचर लगभग 27 से 30 वर्ष की अवधि में होता है। यह वह समय होता है जब व्यक्ति अपने करियर में लगभग स्थापित हो चुका होता है या फिर स्थापित होने का प्रयास कर रहा होता है। इससे पूर्व के जीवन में व्यक्ति ने शिक्षा अर्जित कर जो भी योग्यता पाई है उसे प्रयोग करने का यह समय होता है।
शनि को एक ही स्थान पर वापस आने में लगभग 29 वर्ष लगते हैं और उस वर्ष को शनि की वापसी कहते हैं। शनि की यह वापसी व्यक्ति को दुनिया को समझने, जानने और विश्लेषण करने के अवसर देती है। जिसके माध्यम से हम अपने जीवन को दिशा दे सकते हैं। हम अक्सर देखते हैं कि हम जीवन की एक सीधी राह में चले जा रहे होते हैं कि तभी किसी चौराहे पर आकर हमें यह निश्चित करना होता है कि अब हमें किस ओर जाना है, कौन-सी राह पकड़ने पर हम अपने जीवन लक्ष्य को पा सकेंगे।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी
भारतीय राजनीति को एक नया आयाम देने वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जीवन के 27 से 30 वर्ष के मध्य का समय अति महत्वपूर्ण था। इस समय के दौरान अटल जी 1954 में बलरामपुर से सांसद चुने गए। मात्र इस छोटी सी आयु में यह पद पाना किसी के लिए भी सम्मान और गौरव का विषय रहेगा। इस पद के साथ ही अटल जी सक्रिय राजनीति का हिस्सा हो गए। इनकी कुंडली में शनि द्वादश भाव में उच्चस्थ अवस्था में है एवं तृतीयेश व चतुर्थेश है। इस समय इनकी शनि की साढ़ेसाती भी शुरू हुई जो इनके लिए शुभ और उन्नतिकारक साबित हुई। जन्मकुंडली में दशा भी शुक्र में शनि की प्रभावी थी। इनके जीवन की इस समयावधि को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने की प्रथम सीढ़ी कहा जा सकता है। शनि साढ़ेसाती की इस अवधि ने उनके जीवन को एक दिशा दी और आगे जाकर अटल जी भारतीय राजनीति का आधार बन पाए।
श्री गुलजारी लाल नंदा
गुलजारी लाल नंदा जी के जीवन को दिशा देने का कार्य 1927 में हुआ जब जन्म शनि पर गोचर शनि का विचरण हुआ। गुलजारी लाल नंदा जी की कुंडली मेष लग्न और धनु राशि की है। शनि इनके अष्टम भाव में स्थित है। वृश्चिक राशि में स्थित शनि पर 1925 से 1926 के मध्य रहा। यह समय इन्हें राजनीति जीवन में लेकर आया।
श्रीमती इंदिरा गांधी
शनि 1945 से 1946 की अवधि में शनि इनकी जन्म राशि पर गोचर कर रहे थे। उस समय इनके जीवन में बदलाव हुआ और इंदिरा गांधी ने पारिवारिक जीवन में माता की भूमिका की शुरूआत की। इसके बाद जब शनि दोबारा 1975 में इनके जन्म शनि पर गोचरवश आए तो इन्होंने देश में आपातकाल लागू किया। अपनी सत्ता को बचाने के लिए इन्होंने यह कदम उठाया जो जीवन के अंत तक इनके लिए आलोचना का कारण बना। 1984 में इनकी मृत्यु के समय शनि इनके चतुर्थ भाव पर गोचर कर, लग्न में स्थित जन्म शनि को प्रभावित कर रहा था जो इनकी मृत्यु की वजह बना।
जवाहरलाल नेहरू
जवाहर लाल नेहरू जी के जीवन का 1918-1919 वर्ष की अवधि का समय राजनीतिक जीवन में प्रवेश का समय कहा जा सकता है। जवाहर लाल नेहरू इस समय महात्मा गांधी के संपर्क में आए और इन्होंने राजनीतिक जीवन की इनसे इस समय में दीक्षा ली। यह वह समय था जब इन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिल कर रॉलेट रॉलेट अधिनियम ने खिलाफ आंदोलन किया। इस समय ही सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। इसके बाद 1947 से 1948 की अवधि का समय इनके जीवन का सबसे खास समय था क्योंकि इसी दौरान वह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। तत्पश्चात शनि जब इनके जन्म शनि से गोचर में सप्तम भाव में आए और जन्म शनि को गोचर में सक्रिय किया तो वह इनके परलोक गमन का समय था। यह वर्ष था 1964 का। इनकी जन्मकुंडली कर्क लग्न और कर्क राशि की है। शनि इनकी कुंडली में सिंह राशि में स्थित है। जीवन में शनि भी इनके जन्म शनि से गुजरे, इनका जीवन बदल गया।
श्री नरेंद्र मोदी
अब बात करते हैं श्री नरेंद्र मोदी की। इनकी कुंडली वृश्चिक लग्र और वृश्चिक राशि की है। शनि इनके दशम भाव में सिंह राशि में स्थित हैं। इनका जन्म 1950 में हुआ और शनि इन पर 1977 में आए। उस समय नरेंद्र मोदी आर.एस.एस. में महत्वपूर्ण भूमिका में सामने आए। इसके बाद 2022 से 2023 के मध्य शनि जन्म शनि से सप्तम भाव पर गोचर करेंगे।
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