जन्मकुंडली में बनने वाले रोगों के कुछ योग।
जन्मकुंडली में बनने वाले रोगों के कुछ योग।
यदि ऐसा योग किसी कुंडली मे बन रहा है तो यह जातक को शारीरिक रूप से परेशान कर सकता है।
1. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि बुध-मंगल एक साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को खून से जुड़ा रोग होता है।
साथ ही जब मंगल के कारण बुध ज्यादा खराब हो तो यह ब्लड प्रेशर की परेशानी भी देता है।
मंगल-बुध दोनों के बहुत अधिक खराब होने की स्थिति में व्यक्ति को पागलपन की बीमारी हो जाती है।
2. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र, बुध की युति वृश्चिक राशि मे हो उस पर राहु की दृष्टि पड़ रही हो तथा आठवे स्थान का स्वामी लग्नस्थ होने से जातक को मानसिक रोग हो सकता है यदि लग्न भी कमजोर हो जाए तो।
3.जब व्यक्ति की कुंडली के भाग्य एवं संतान भाव में सूर्य, चंद्र नीच का हो बुध भी कमजोर हो छठवे भाव के स्वामी का सम्बन्ध लग्न या लग्नेश से हो रहा हो तो व्यक्ति का मानसिक विकास ठीक से तरिके से नहीं हो पाता और वह मानसिक रुप से कमजोर रह जाता है।
4. यदि कुंडली में मंगल सप्तम स्थान में हो तथा लग्न में गुरु हो तो चन्द्रमा और लग्नेश छठे स्थान पर बैठे हो गुरु पर भी राहु की दृष्टि हो या राहु मंगल से राहु सम्बन्ध बना रहा हो तथा पंचम स्थान का स्वामी आठवे घर मे हो तो व्यक्ति के किसी सदमे के कारण पागल होने की आशंका होती है।
5. यदि कुंडली में गुरु और शनि केंद्र में स्थित हो और शनिवार या मंगलवार का जन्म हो तथा चन्द्रमा अपनी नीच राशि का हो लग्न में छठवे भाव का स्वामी विराजमान हो राहु का भी सम्बन्ध चन्द्र और लगन से बन रहा हो तो व्यक्ति पागल हो सकता है अर्थात पागलपन की बीमारी हो सकती है ।
6. यदि जन्मकुंडली में राहु शनि की युति किसी भी स्थान में हो तो यह जातक को कुछ न कुछ शारीरिक समस्याए देता है रहता है जातक रोगों से घिरा हुआ हो सकता है।।।
7. यदि छठवे स्थान का स्वामी लग्न में हो तथा लग्न का स्वामी छठे स्थान में जाकर बैठ जाए तो जातक सदैव रोगी रहता है।।
8. यदि पंचम स्थान पर राहु है या नीच का शनि पंचम स्थान में विराजमान हो उस पर राहु की दृष्टि हो तो ऐसे जातकों को पेट से सम्बंधित समस्याए रह सकती है।।
9.यदि अष्टम स्थान पर मंगल कर्क राशि मे बैठा है तथा उस पर राहु की भी दृष्टि पड़ रही है तो ऐसा योग ऑपरेशन तक करवा सकता है इसकी संभावना बढ़ जाती है।।।।
10. अगर गुरु नीच का होकर लग्न में विराजमान हो जाए तथा शनि भी कुंडली मे कमजोर हो तो यह जातक को मोटापा सम्बंधित बीमारी उत्पन्न करवा सकता है और किडनी से सम्बंधित रोगों का भी सामना करना पड़ सकता है यदि वहाँ पर राहु भी विराजमान हो तथा चन्द्रमा वृश्चिक राशि का होकर बैठा हुआ है तो इस स्थिति में किडनी की भी समस्या हो सकती है।
यदि कुंडली में सूर्य-मंगल एक साथ हों अथवा सूर्य-शनि एक साथ हो या फिर सूर्य-शनि और मंगल एक साथ हों या द्रष्टि में है, तो ऐसे व्यक्ति को क्रोध बहुत अधिक आता है। और इस स्थिती में वह व्यक्ति अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाते।
कुंडली के इन योगों के साथ कुछ परिस्थितियों में दूसरे ग्रहों के प्रभाव ये अशुभ फल अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं। पूरी कुंडली व ग्रहों का अध्ययन किए बिना कीसी भी कुंडली से रोग के बारे में बताया नही जा सकता।
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