आर्द्रा नक्षत्र (
6 - आर्द्रा नक्षत्र ( ORIONIS - II )
🔹स्वामी – राहु
🔹देवता – रुद्र - शिव
🔹वृक्ष – आम , बेल
🔹अक्षर – कु , घ , ङ , छ
इसका देवता संहारक रुद्र है । इन लोगों में आक्रामकता , प्रहारक्षमता , स्वयं को हो सदा सही मानने का स्वभाव , अहंकार की सीमा में प्रविष्ट स्वाभिमान विशेषतया होता है । इन लोगों में स्त्री के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार होता है । लेकिन स्वयं को प्रशंसा मिलती हो तो ये प्रकट रूप में स्त्री के प्रति विशेष आदर भी दिखा देते है ।
प्रायः ये लोग दूसरे लोगों की अनुशासनहीनता को देखकर ही चिन्तामग्न रहते हैं । इन्हें सारे शहर की चिन्ता में अपना खून सुखाना पड़ता है । कड़क व विद्रोही स्वर इनकी प्रमुख पहचान है । इन्हें क्रोध बहुत तीव्रता से आता है । ( वराह )
यदि नक्षत्र पर अशुभ प्रभाव हो और यह नक्षत्र विशेषतया मंगल से युक्त हो तो इन लोगों में परधन व परस्त्री की लोलुपता आ जाती है । शुभ प्रभाव रहने पर केवल क्रोध व स्वाभिमान ही होता है । इनमें अहसानों को भूल जाने की आदत होती है । ये लोग व्यक्ति सम्पूर्ण चरित्र के आधार पर उसका मूल्यांकन करते हैं । जहाँ जरा विक्षेप देखा तो इनका मन तुरन्त खट्टा हो जाता है और ये लोग रास्ता बदल लेते हैं । ( पराशर )
स्वभाव की धीरता व एक राह पकड़ कर चलते जाने का अदम्य साहस भी होता है । नारद के मत से ये क्रय - विक्रय में निपुण होते हैं , लेकिन हमने इन लोगों को व्यापार में प्राय : अनाड़ी भी देखा है । ये लोग मन्त्रानुष्ठान में विशेष कुशल होते हैं । काम वासना भी प्रबल होती है । ( नारद )
मधुरभाषी , सबसे प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाला , साधारण आर्थिक स्थितियुक्त , अपमानजनक कार्य करने वाला , अदूरदर्शी , कुटुम्बियों से कलह करनेवाला , ओछा तथा घुमक्कड़ ।
👉 प्रथम चरण में गोरा रंग , बहुत लाल आँखें , सुन्दर नाक , मध्यम भरा हुआ शरीर , सुबुद्धिमान् , बड़ा चेहरा , काली भौहें , वाणी में चतुर होता है ।
👉 द्वितीय चरण में सुन्दर भौंहें , सुन्दर माथा , कामुक स्वभाव , नीलकमल के समान , सांवलेपन की परछाई युक्त रंगत , चौड़ी छाती , सफेद दाँत , छोटा व कोमल मुख , मामूली रोमों वाला होता है ।
👉 तृतीय चरण में बड़ा मुखमण्डल , लटकते से कटि पार्श्व , मोटी छाती , मोटी भुजा , खल स्वभाव , मोटी नसें या बड़ा सिर , मायावी , साफ नजरों वाला होता है ।
👉 चौथे चरण में शहद की रंगत वाली आँखें , बहुत बुदबुदाने वाला , लटकता माथा या माथे के मध्य में दबाव , सम शरीर , सुन्दर काया , धोखेबाज , चंचल स्वभाव , सुन्दर होंठ व दांतों वाला , धैर्यशाली होता है ।
♦️कारकत्व - उग्र स्वभाव कठोर भाषण , दबंगपन , हेकड़ी से काम निकालने वाले , वधिक , परस्त्री लोलुप , स्त्री व्यवसायी , चतुर , चालाक , ठग , फूट डालने में कुशल , भूसा , भूसे वाले अनाज , गेहूँ चावल आदि । मन्त्र प्रयोग करने वाले कार्य सिद्धि के लिए तान्त्रिक क्रियाएँ करने वाले , भूत प्रेत वश में रखने वाले , तिलिस्म , जादू , हिप्नोटिज्म करने वाले शातिर व ठंडे बदमाश हथियारों के व्यवसायी , सैनिक , अन्याय के विरोधी , योद्धा , घेराबन्दी करने वाले , सन्धि करने वाले मध्यस्थ , रस पदार्थ अर्थात् फ्रूटजूस , शराब , आसव , स्क्वैश बनाने वाले रसविक्रेता , पानी के व्यवसाय आदि आर्द्रा के अधीन हैं । अपि च वस्तु या वस्त्रादि को साफ करने वाले ड्राईक्लीनर , धोबी , शल्यचिकित्सक आदि ।
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💢 यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें ।
कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
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