कुंडली में चतुर्थेश पाप भाव (6,8,12 भाव)

कुंडली में चतुर्थेश पाप भाव (6,8,12 भाव) में हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपनी गृह संपत्ति या घर की प्राप्ति में बहुत बाधाएं और उतार चढाव का सामना करना पड़ता है.

चतुर्थेश यदि अपनी नीच राशि में हो तो भी व्यक्ति को अपने घर की प्राप्ति या सुख में संघर्ष का सामना करना पड़ता है.

यदि चतुर्थ भाव में कोई पाप योग (ग्रहण योग, गुरुचांडाल योग, अंगारक योग आदि) बन रहा हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपने घर का सुख नहीं मिल पाता या बहुत संघर्ष के बाद ही व्यक्ति अपनी गृह संपत्ति अर्जित कर पाता है.

चतुर्थ भाव में पाप ग्रहों का नीच राशि में बैठना भी व्यक्ति को अपने घर या मकान का सुख नहीं मिलने देता.

यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, अष्टम भाव में हो या पाप ग्रहों से अति पीड़ित हो तो भी व्यक्ति को अपने घर के सुख में बहुत बाधाएं आती हैं.

शुक्र को ऐश्वर्य और वैभव का कारक है. अतः यदि कुंडली में शुक्र बहुत बलि हो तो व्यक्ति को उच्चस्तरीय गृह संपत्ति का सुख मिलता है.

ऐसा व्यक्ति अच्छी संपत्ति और वैभव को प्राप्त करता है.

यदि कुंडली में चतुर्थ भाव तो अच्छा हो पर शुक्र कमजोर या पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को घर की प्राप्ति तो हो जाती है परंतु जीवन में वैभव नहीं आ पाता.

गृह संपत्ति या अपने घर के सुख को लेकर अति संघर्ष या सुख न मिल पाने की स्थिति तभी आती है, जब कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और शुक्र सभी घटक कमजोर हों.

दोनों में से एक घटक अच्छी स्थिति में हो और दूसरा कमजोर हो तो भी व्यक्ति अपने प्रयासों से अपने घर के सुख को प्राप्त कर लेता है.

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