वैदिक ज्योतिष में मंगल देवता का सभी भावों में दृष्टि फल

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वैदिक ज्योतिष में मंगल देवता का सभी भावों में दृष्टि फल


प्रथम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

प्रथम भाव को मंगल पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक उग्र प्रकृति के होते हैं | ऐसे जातकों की पत्नी बहुत कम अवस्था में ही इनका साथ छोड़ देती है | ऐसे व्यक्ति राजमान्य और भूमि से धन प्राप्त करने वाले होते हैं |

द्वितीय भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

दूसरे भाव को मंगल जो पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्तियों को गुप्त रोग होने की विशेष संभावना रहती है | ऐसे व्यक्ति अल्प धनी और अपने कुटुंब से अलग रहने वाले होते हैं | परिश्रमी बहुत होते हैं मगर खिन्न चित्त रहने वाले होते हैं |

तृतीय भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

तीसरे भाव को मंगल जो पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्तियों को बड़े भाइयों का सुख प्राप्त नहीं होता | चूँकि ऐसे जातक बहुत पराक्रमी होते हैं | भाग्यवान भी होते हैं कभी-कभी अनुभव में ऐसा भी पाया है कि इनकी एक बहन वैधव्य को प्राप्त होती है |

चतुर्थ भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से मंगल देखता हो तो ऐसे जातक माता-पिता के सुख से वंचित रहते हैं | ऐसे जातकों को शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है | लगभग 28 वर्ष की अवस्था तक यह दुखी जीवन व्यतीत करते हैं, तत्पश्चात सुखी होते हैं परन्तु ऐसे जातक परिश्रम से जी चुराने वाले होते हैं |

पांचवें भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

पंचम भाव को मंगल जब पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्ति अनेक भाषाओं के जानने वाले होते हैं | ऐसे व्यक्ति विद्वान तो होते हैं, किंतु ऐसे व्यक्तियों को संतान से कष्ट होता है | ऐसे जातक उपदंश रोगी होते हैं, कभी-कभी ऐसे जातक व्यभिचार कार्य में भी रत रहने वाले होते हैं |

षष्ठ भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से मंगल देखता हो तो व्यक्ति शत्रु नाशक होता है, किंतु माताजी के लिए कष्ट कारक होता है | ऐसे जातकों को रुधिर विकार की अधिक संभावना रहती है | चूँकि ऐसे व्यक्तियों को कीर्तिमान पाया गया है |

सप्तम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

मंगल जब सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है तो जातक पर स्त्री गमन में रत रहता है, तथा बहुत कामी होता है | ऐसे जातकों को प्रथम भार्या का कम अवस्था में ही वियोगजन्य दुख प्राप्त होता है | प्रायः ऐसे जातक दुर्व्यसन में रत रहने वाले होते हैं |

 

अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि का फल-

आठवें भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि होने के कारण व्यक्ति धन तथा कुटुंब के लिए हानिकारक होता है | ऐसे व्यक्ति जीवन भर ऋण ग्रस्त रहते हैं | परिश्रमी होते हुए भी ऐसे व्यक्ति अपने आप को दुखी और भाग्य हीन समझते हैं |

नौवें भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से मंगल देखता हो तो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है | ऐसे जातक पराक्रमी होते तथा धनवान भी होते हैं | धर्म के कार्यों में रुचि रखने वाले और बुजुर्गों तथा संतो की सेवा करने वाले होते हैं |

दशम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से जब मंगल देखता है तो ऐसे व्यक्ति राज्यसेवी होते हैं | किंतु माता-पिता के लिए कष्ट कारक होते हैं | यदि मंगल बलवान हो तो ऐसे व्यक्ति सुखी और बहुत भाग्यवान होते हैं |

एकादश भाव पर मंगल की दृष्टि का फल-

ग्यारहवें भाव को जब मंगल पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्ति धन को अर्जित करने वाले हैं और इनकी गिनती धनवानों में होती है | किंतु संतान कष्ट से पीड़ित रहता है | ऐसे व्यक्ति कुटुंब के परिजनों के दुख से दुखी अधिक रहते हैं |

द्वादश भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल-

बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से जब मंगल देखता है तो ऐसे जातक कुमार्ग पर चलने वाले होते हैं | ऐसे व्यक्ति माता को कष्ट देने वाले होते हैं | बवासीर और भगंदर जैसे भयानक रोगों से भी कष्ट पाते हैं | किंतु उग्र प्रकृति के होने के कारण शत्रु नाशक होते हैं |

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