सूर्य फल

🚩सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति का मनोबल या आत्मबल कमजोर होता है और पिता व कार्यक्षेत्र में अधिकारियों के साथ परेशानी रहती है। सरकारी कार्य में भी परेशानी होती है। कुंडली में यदि सूर्य कमजोर हों तो इसका व्यक्ति की सेहत पर भी असर होता है। ऐसे लोगों को आंख या अस्थियों संबंधी समस्या हो सकती है।
सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है।
जिनकी कुंडली में सूर्य नीच को हो वे यदि परिवार से दूर रहें तो उन्हें अत्यंत मान सम्मान प्राप्त होता है। नीच का सूर्य उच्च स्तर का चिकित्सक भी बना सकता है।नीच का सूर्य यदि पांचवें भाव में हो और सूर्य यदि लग्नेश का मित्र हो तो अच्छी संतान का सुख देता है, खासतौर पर पुत्र संतान का। ऐसी स्थिति में प्रायः पुत्र का जन्म बहुत विलंब से होता है लेकिन वह कुल दीपक साबित होता है।
🚩सूर्य के खराब होने के लक्षण
✨ घर की पूर्व दिशा दूषित होने से।
✨ विष्णु का अपमान।
✨ पिता का सम्मान न करना।
✨ देर से सोकर उठना।
✨रात्रि के कर्मकांड करना।
✨ सूर्य खराब होने पर सबसे ज्यादा सामने आने वाली आम बीमारी आंखों की कमजोरी मानी जाती है।
✨ व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है।
✨ दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है।
✨ सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है।
✨मुंह में थूक बना रहता है।
✨ मुंह और दांतों में तकलीफ हो जाती है।
✨बेहोशी का रोग हो जाता है।
✨बार बार बिना गलती के भी अपमान होना।
✨ गुरु, देवता और पिता का साथ छोड़ देना।
✨ राज्य की ओर से दंड मिलना।
✨ नौकरी चली जाना।
✨ सोना खो जाना या चोरी हो जाना।
🌄 रत्न नीलम 🌄


✨✨लग्न अनुसार रत्न विचार ✨✨ 
✨ मेष लग्न- के लिए शनि दशम और एकादश का स्वामी हैं । दोनों शुभ भाव हैं । तब भी एकादश भाव के स्वामित्व के कारण शनि को इस लग्न के लिए शुभ ग्रह नहीं माना है । परन्तु हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं कि यदि शनि द्वितीय , चतुर्थ , पंचम , दशम , एकादश या लग्न में स्थित हो तो शनि की महादशा में नीलम धारण करने से हर दशा में आशातीत लाभ होगा ।
✨ वृषभ लग्न- के लिए शनि नवम और दशम भावों का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ और योगकारक ग्रह माना गया है । इसको नीलम धारण करने से सदा सुख , सम्पदा , समृद्धि , मान , प्रतिष्ठा , राज्यकृपा तथा धन की प्राप्ति होगी । शनि की महादशा में यदि नीलम लग्नेश के रत्न हीरे के साथ धारण किया जाए तो और भी उत्तम फलदायक सिद्ध होगा । 
✨मिथुन लग्न- के लिए शनि अष्टम और नवम भावों का स्वामी होता है । नवम त्रिकोण का स्वामी होने से यह रत्न धारण किया जाए तो लाभदायक होगा । यदि नीलम को लग्नेश के रत्न पन्ने के साथ धारण किया जाए तो और भी उत्तम फलदायक होगा । 
✨कर्क लग्न- के लिए शनि सप्तम ( मारक स्थान ) और अष्टम ( दुःस्थान ) भावों का स्वामी होने के कारण अशुभ ग्रह माना गया है । शनि लग्नेश का चित्र भी है । अतः इस लग्न के जातक को नीलम कभी नहीं धारण करना चाहिए । 
✨सिंह लग्न के लिए शनि षष्ठ ( दु : स्थान ) और सप्तम ( मारक स्थान ) भावों का स्वामी होने के कारण अशुभ ग्रह माना गया है । शनि लग्नेश का शत्रु भी है । अतः इस लग्न के जातक को नीलम नहीं धारण करना चाहिए ।
✨ कन्या लग्न- के लिए शनि पंचम और षष्ठ भावों का स्वामी है । पंचम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण शनि को इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह नहीं माना गया है । अतः शनि की महादशा में इस लग्न का जातक नीलम धारण करके लाभ उठा सकता है । 
✨तुला लग्न - के लिए शनि चतुर्थ और पंचम का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ योगकारक ग्रह माना गया है ।
अनुसार यह लग्नेश शुक्र का अभिन्न मित्र भी है । अतः इस लग्न का जातक इस रत्न को धारण करके सब प्रकार का सुख प्राप्त कर सकता है । शनि की महादशा में यह विशेष रूप से फलदायक है । लग्नेश शुक्र के रत्न हीरे या नवम भाव के स्वामी बुध के रत्न पन्ने के साथ नीलम धारण किया जाए तो और भी अधिक अच्छा फल देता है । 
✨वृश्चिक लग्न- के लिए शनि तृतीय और चतुर्थ भावों का स्वामी है । ज्योतिष के सिद्धान्तों के शनि इस लग्न के लिए शुभ ग्रह नहीं माना गया है । फिर भी यदि चतुर्थ का स्वामी होकर पंचम , नवम , दशम और एकादश में हो तो शनि की महादशा में यह रत्न धारण किया जा सकता है । क्योंकि शनि और लग्नेश मंगल परस्पर मित्र नहीं हैं - एक अग्नि है तो दूसरा बरफ , अतः हम यही राय देंगे कि इस लग्न के जातक नीलम से दूर रहें तो श्रेयस्कर होगा ।
✨ धनु लग्न- के लिए शनि द्वितीय ( मारक स्थान ) और तृतीय भावों का स्वामी होने के कारण इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह माना गया है । इसके अतिरिक्त शनि लग्नेश बृहस्पति का शत्रु है । अत : इस लग्न के जातक के लिए नीलम धारण करना ठीक न होगा । 
✨मकर लग्न- के लिए शनि लग्न और धन भाव का स्वामी है । इस लग्न के जातक नीलम का सदा सुख और सम्पन्नता प्राप्त करने के लिए धारण कर सकते हैं । वास्तव में उनको नीलम धारण करना चाहिए । 
✨ कुम्भ लग्न- के लिए शनि लग्न और द्वादश भाव का स्वामी है । इस लग्न के जातक नीलम का सदा सुख और सम्पन्नता प्राप्त करने के लिए धारण कर सकते हैं । वास्तव में उनको नीलम धारण करना चाहिए । इसी प्रकार कुम्भ लग्न के लिए शनि द्वादश का स्वामी होते हुए भी लग्नेश है । उसकी मूल त्रिकोण राशि लग्न में पड़ती है । अत : मकर लग्न के जातकों के समान इस लग्न के जातको के लिए भी नीलम एक शुभ फलदायक रत्न है ।
✨ मीन लग्न- में शनि एकादश और द्वादश का स्वामी होने के कारण इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह माना गया है । इसके अतिरिक्त शनि द्वितीय , चतुर्थ , पंचम , नवम , या लग्न में स्थित हो तो शनि की महादशा में नीलम धारण करने से आर्थिक लाभ हो सकता है । परन्तु हमारी राय यही है कि इस लग्न के जातक यदि नीलम न धारण करें तो अच्छा है ।
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