कुंडली और पंचम भाव

कुंडली और पंचम भाव

पंचम भाव ज्ञान है, पंचम भाव उच्च शिक्षा है, पंचम भाव प्रेम है, पंचम भाव विद्या है, 

पंचम भाव नवम भाव से, नवम होकर भाग्य का भाव भी है,

पंचम भाव और पंचमेश आपका इष्टदेव भी है पंचम भाव से आपके विद्या धन धर्म ज्ञान संस्कार सब का पता चलता है

गुरु या बुध का इस भाव पर प्रभाव सोने पर सुहागा वाली स्थिति बनाती है

पंचम भाव से प्रेम संबंध, प्रेमिका की स्थिति का भी पता चलता है कुंडली में अगर पंचम भाव का संबंध सप्तम भाव से हो जाए तो यही स्थिति प्रेम विवाह की स्थिति को बतलाता है

पंचम भाव से उच्च शिक्षा का भी पता चलता है जब पंचमेश पंचम भाव को देखें या इसका संबंध अष्टमेश हो जाए तो जातक रिसर्च से जुड़ता है

पंचम भाव से संतान की भी स्थिति का पता चलता है अगर पंचम भाव में सूर्य मंगल या पंचमेश का संबंध पुरुष ग्रह से हो तो पुत्र संतान की स्थिति देखी जाती है अगर पंचमेश निर्बल या अस्त हो तो संतान संबंधित समस्या होती है

पंचमेश का संबंध अगर लगनेश से या भाग्यश से हो एक बहुत बड़ा राज्योग का निर्माण होता है

पंचम भाव पर राहु की स्थिति शिक्षा में व्यवधान बच्चे का गर्भपात होना पेट संबंधित समस्या को दर्शाती है

पंचम भाव में अगर सूर्य हो तो जातक को पुत्र संतान अवश्य प्राप्त होता है

पंचम भाव में मंगल हो तो जातक इंजीनियरिंग संबंधित शिक्षा को प्राप्त करता है

पंचम भाव में बुध हो तो यहां पर बुध की सबसे अच्छी स्थिति पंचम भाव में होती है ऐसा जातक गणित विषय में निपुण होता है और एक बड़े उच्च पद प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है

पंचम भाव में बृहस्पति की स्थिति धनवान ज्ञानवान बनाती है और पंचम भाव में अकेला बृहस्पति इस स्थान का नाश करता है क्योंकि जो ग्रह जिस घर का कारक हो उस स्थान का नाश करता है गुरु अकेला बैठकर संतान की हानि कराता है

पंचम भाव में शुक्र हो तो जातक प्रेम विवाह करता है

पंचम भाव में शनि हो तो उचित शिक्षा में व्यवधान होता है

पंचम भाव में राहु हो तो गर्भपात संबंधित समस्या शिक्षा में व्यवधान प्रेम प्रसंग में धोखा संबंधित समस्या आती है

पंचम भाव में केतु हो तो यह स्थिति शिक्षा और प्रेम के लिए अच्छी नहीं होती है एक प्रेम प्रसंग जरूर टूटता है

कोई भी लग्न हो जातक पंचमेश का रत्न आजीवन धारण करके रख सकता है

पंचमेश की महादशा हमेशा शुभ फल देने वाली होती है

आपकी कुंडली में जो पंचमेश है वह आपका इष्टदेव है

उदाहरण वृश्चिक लग्न की कुंडली हो वहां पंचमेश गुरु है तो भगवान विष्णु आपके इष्ट देव हैं

एकमात्र भगवान विष्णु की आराधना आपके जीवन के सारे कष्टों का निवारण कर सकती है

पंचमेश यदि लग्न में हो तो जातक धनवान और ज्ञानवान होता है

पंचमेश यदि द्वितीय भाव में हो तो जातक बुद्धि से धन कमाता है

पंचमेश यदि तृतीय भाव में हो तो जातक को व्यापार छोटे भाई बहन के साथ करना चाहिए

पंचमेश चतुर्थ भाव में हो तो जातक आलीशान घर का मालिक होता है

पंचमेश अगर पंचम भाव में हो तो उच्च शिक्षित होता है अपने पराक्रम से धनवान होता है

पंच में छठे भाव में हो तो शिक्षा में व्यवधान आता है

पंचमेश सप्तम भाव में हो तो प्रेम विवाह होता है

पंचमेश अष्टम भाव में हो तो जातक को संतान संबंधित समस्या आती है

पंचमेश अगर भाग्य भाव में हो तो जातक को पैतृक संपत्ति भरपूर प्राप्त होती है

पंचमेश अगर दशम भाव में हो तो जातक अपने पराक्रम से उच्च पद प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है और कुल का नाम सुशोभित करता है

पंचमेश एकादश भाव में हो तो जातक प्रचुर धन का मालिक होता है

पंचमी अगर द्वादश भाव में हो तो जातक अत्यधिक खर्चीला होता है

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