मांगलिक-विचार

मांगलिक-विचार


मंगल ग्रह किसी भी जन्म कुंडली में पाँच भावों में से किसी एक ही भाव पर होता है।

यथा यदि 'मंगल' प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम, अष्टम या द्वादश भावों में से जिस किसी एक भाव में है, तो आप मांगलिक हैं.......!!! 

यह उपरोक्त भाव जन्म-लग्न और चन्द्र-लग्न से यानि दोनों लग्नों से देखा जाता है।

यदि उपरोक्त दोनों लग्नों से मांगलिक हैं, तो वह पूर्ण मांगलिक कहलायेगा और यदि उपरोक्त जन्म और चन्द्र लग्नों में से किसी एक ही लग्न से मांगलिक हैं, तो वह आंशिक मांगलिक कहलायेगा...!

और यदि उपरोक्त मंगल की तरह  उन्हीं पाँच भावों  में  से किसी भी एक भाव में राहु , सूर्य और शनि ...इन तीनों ग्रहों में से कोई एक भी ग्रह हों,तो वह मांगलिक जातकों के मंगल दोष यानि मांगलिक दोषों को समाप्त कर देता है।

इसलिए विवाह में मंगल परिहार ( घट-कुंभ -विवाह ) आदि के साथ सूर्य, शनि, राहु वाली जातिका से मांगलिक जातक का और ठीक इसी तरह की मांगलिक जातिका का उसी प्रकार के सूर्य, शनि, राहु वाले जातक से विवाह सम्पन्न होता है..!

अथवा समान मांगलिक जातक-जातिका के साथ विवाह होता है।

प्रेम-विवाह में कोई मांगलिक दोष नहीं होता है...पता चलने पर विधिवत्  शिव-पूजन संस्कार और मंगल-परिहार से... सबकुछ शुभ हो जाता है!

किन्तु.......
🏵️मंगल-दोष ---संदर्भ 
विवाह  हेतु......👉👉👉

🏵️मंगलीक कौन ?

लेखिका रमा मल्होत्रा से कादम्बिनी 1992 ई०के अप्रैल अंक के माध्यम से पुनः मेरे(जय नारायण प्रसाद) द्वारा संपादित!
🙏🙏🙏

लग्न-राशि के अनुसार मांगलिक होने या न होने की दशाएँ इस प्रकार से हैं......

1. यदि मंगल के साथ चंद्रमा, गुरु या बुध हो, तो मंगल दोष नहीं माना जाता ।

2. जब मंगल मेष या वृशिक में हो, तो मांगलिक नहीं होता ।

3.  यदि "मंगल"  चंद्रमा, सूर्य या शनि के घर अर्थात कर्क, सिंह, मकर या कुंभ में हो, तो मांगलिक नहीं होता ।

4. यदि अष्टम भाव में मंगल हो और स्वामी गुरु हो, तो मांगलिक नहीं होता।

5. यदि मंगल, मेष, कर्क, तुला या मकर में हो, तो मंगल दोष नहीं लगता ।

6. यदि मंगल अश्विनी, मघा या मूल नक्षत्र में हो, तो मांगलिक नहीं होता ।

6.  मकर या कुंभ लग्नवालों को सप्तम भाव का मंगल दोष नहीं होता ।

7.  वृष, तुला, कर्क और सिंह लगवालों को अष्टम भाव का मंगल दोष नहीं लगता ।

8. मेष लग्न का जातक या जातिका रहने पर - मंगल की उपस्थिति पाँचो भावों में से किसी भी भाव में रहने से मंगल दोष नहीं  लगाता।

9. सिंह लग्न का जातक या जातिका रहने पर-मंगल की उपस्थिति पाँचो भावों में से किसी भी भाव में रहने से मंगल दोष नहीं
लगाता ।
🩸🩸🩸🩸🩸🩸🩸

परन्तु,अब.....

👉👉 लग्न-राशि के अनुसार मंगल दोष कहाँ-कहाँ होता है, आइए देखें :-...

१. वृष लग्न में मंगल दोष प्रथम भाव में होता है।

२. मिथुन लग्न में मंगल दोष सप्तम भाव में होता है।

३. कर्क लग्न में मंगल दोष अष्टम भाव में होता है।

४. कन्या लग्न में मंगल दोष प्रथम, चतुर्थ, सप्तम भाव में होता है।

५ . तुला लग्न में मंगल दोष.. प्रथम,द्वादश भाव में होता है।

६. वृश्चिक लग्न में मंगल दोष..अष्टम भाव में होता है।

७. धनु लग्न में मंगल दोष... प्रथम भाव में होता है।

८. मकर लग्न में मंगल दोष... द्वादश भाव में होता है।

९. कुंभ लग्न में मंगल दोष... प्रथम भाव में होता है।

१०. मीन लग्न में मंगल दोष... प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और द्वादश भावों में होता है।

उपरोक्त विवरण की सहायता से आप किसी
भी व्यक्ति की जन्म कुंडली को देखकर, यह बता सकते हैं कि क्या वह मांगलिक है भी या 
नहीं.....!!!

 ऐसा माना जाता है कि मांगलिक कन्या का वर, और मांगलिक वर को कन्या मांगलिक ही होनी चाहिए, जिससे मंगल-दोष का प्रभाव खतम या कम हो जाता है

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