महर्षि वसिष्ठ कि गाय सेवा* ⛳
*🐂सुख समृद्धि का आधार गाय🐂*
⛳ *महर्षि वसिष्ठ कि गाय सेवा* ⛳
*ब्राह्मणाश्चैव गावश्च कुलमेकं द्विधा कृतम् ।*
*एकत्र मन्त्रास्तिष्ठन्ति हविरन्यत्र तिष्ठति ॥*
*उनके कथनानुसार गायों से सात्त्विक वातावरण का निर्माण होता है। गाये अत्यन्त पवित्र हैं, इसलिये जहाँ रहती हैं, वहाँ कोई भी दूषित तत्त्व नहीं रहता। उनके शरीर से दिव्य सुगन्ध युक्त वायु प्रवाहित होती है और नव प्रकारका कल्याण- -ही-कल्याण होता है।*
*गावः पवित्रं परमं गावो माङ्गल्यमुत्तमम् ।*
*गावः स्वर्गस्य सोपान गावो धन्याः सनातना• ॥*
*अर्थात् गौएँ स्वर्ग जाने की सीढ़ी है। गाएँ सब प्रकार की कल्याणमयी हैं। देवता तथा मनुष्य सबको भोजन देनेवाली भी गौएँ ही हैं।*
*'अन्नमेव परं गावो देवाना हविरुत्तमम् ।*
*अर्थात् गौएँ समस्त प्राणियो को खिलाने-पिलाने एव जिलाने वाली है*
*भगवान् वेदव्यास ने वेदान्तदर्शन मे - ' क्षीरवद्धि' इस सूत्र मे दिखाया है कि परमात्मा गाय के दूध की तरह शरीर मे स्थित है। बाहर दिखायी नहीं पड़ता, परतु शास्त्रीय विधान से उसका साक्षात्कार किया जा सकता है। इस प्रकार और भी दूसरे सूत्रों मे गाय के दूध की उपमा दी गयी है। उनका महाभारत का सम्पूर्ण वैष्णव धर्म-पर्व गो- उपासनानं हो सम्बन्धित है। इनके पिता पराशर जी ने 'कृषिपराशर' ग्रन्थ लिखा था, जिसमे गाय-बैलो के द्वारा उत्पन्न अन्न को भी कहा है और यह भी बतलाया है कि खेती के कामों में गाय की बहुत आराम से प्रयुक्त करना चाहिये। उन्हें सदा सुख देना चाहिये। उन्हे सदा गोशालाओ मे रखना चाहिये। बीमार होने पर ओषधि की व्यवस्था करनी चाहिये। गोशालाओं में किसी प्रकारका भय नहीं होना चाहिये। बारहो महीना उसमें शीत, वर्षा और गर्मीसे रक्षा के लिये साधन होने चाहिये। जिससे उन्हें तथा उनके बच्चो को कष्ट न हो। ये भविष्यपुराण के उत्तरपर्व, मध्यमपर्व एवं महाभारत के वैष्णवधर्म-पर्व एवं वृहद व्यासस्मृति मे भी कही गयी है।*
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आगम तत्त्वं तु बुधः परीक्षते सर्वयत्नेन ॥
*सूर्यदेव भगवान की जय*
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