चंद्रमा ग्रह की शांति हवन द्वारा।

चंद्रमा ग्रह की शांति हवन द्वारा।
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चंद्र : चन्द्रमा माँ का सूचक है और मन का करक है। इसकी कर्क राशि है। कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दुधारू पशु घर में नहीं टिकते हैं।स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मन में आती है और मन में अनिश्चित भय व शंका रहती है,और सर्दी बनी रहती है। बहुत पीड़ित होने पर मन में आत्महत्या के विचार बार-बार आते रहते हैं।


चन्द्रमा का रोग :- आँखों की बीमारी, कैल्शियम की कमी, मिरगी के दौरे, कफ संबंधित रोग, गला, छाती, मानसिक रोग, स्त्री संबंधित रोग, आलस,ये प्रमुख रोग है।
समिधा:चंद्रमा की समिधा पलाश की लकड़ी साथ में आम की लकड़ी।लकड़ियां खूब सुखा लें फिर उपयोग में लाये।

हव्य जो हवन में डालना है:-
तिल, जौं, सफेद चन्दन का चूरा ,गुड़, अगर , तगर , गुग्गुल, जायफल, दालचीनी, पानड़ी(पान का पत्ता और सुपाड़ी) , लौंग , बड़ी इलायची , गोला (सुखी गरी), छुहारे, नागर मौथा , इन्द्र जौ , कपूर कचरी , आँवला ,गिलोय, जायफल, ब्राह्मी।
चंद्रमा का हव्य चावल और कपूर है, अतः हव्य में 25%चावल और थोड़ा कपूर कचरी बढ़ा लें।
किस मंत्र से करना है:-‘’ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’’
सोमवार को करना है, अगर किसी बीमारी के लिए करना है तो सोमवार को शुरू करके प्रतिदिन करें जब तक बीमारी में आराम न मिल जाय।

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