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वैदिक ज्योतिष-कुंडली में बृहस्पति ग्रह 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बृहस्पति ग्रह को सेनापति भी कहा जाता है| ये एक राशि में लगभग 12 -13 महीना रहता है | कुंडली में बृहस्पति ग्रह को पति सुख, खजाना, धर्मशास्त्र, धन, ज्ञान ,आचार्य, अच्छा आचरण,ज्योतिष आदि का कारक माना गया है| इसके अलावा और भी विस्तार से बात करें तो यज्ञ,बड़ा भाई, राज्य से मान सम्मान,तपस्या, आध्यात्मिकता, श्रद्धा और विद्या इत्यादि का विचार भी बृहस्पति ग्रह से किया जाता है |

कमजोर बृहस्पति ग्रह कुंडली के जिस घर में भी बैठे हों उसी घर से सम्बंधित चीजों की हानि कर सकते हैं। हालाँकि बृहस्पति ग्रह भाग्य, शारीरिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता और शक्ति का प्रतीक है। वैदिक ज्योतिष के अध्ययन से पता चलता है कि कुंडली में बृहस्पति ग्रह ज्ञान है | एक शिक्षक है एक अच्छे मंत्री हैं और हमारे विचारों का विस्तार है। दरअसल बृहस्पति ग्रह से जुड़े कारकों पर नज़र डालें और उनके परिणामों का विश्लेषण करें तो गुरु ग्रह भौतिक धन की बजाय बुद्धि और ज्ञान धन की तरफ इशारा करता है।

बृहस्पति ग्रह को धनु और मीन राशियों का स्वामी और कर्क राशि में उच्च का माना गया है | आकाश तत्व और ईशान दिशा का स्वामी है | मोटापा , चर्बी , पेट और पाचन क्रिया पर इसका अधिपत्य है | गुरु कफकारक है| कुंडली में अगर कमजोर बृहस्पति बैठे हों तो व्यक्ति का वजन बढ़ जाता है| उसे किसी भी विषय पर ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो सकती है।जिगर की समस्याओं,कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कमजोर पाचन , मधुमेह, मोटापे और ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारियों को भी बृहस्पति ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। बुध और बृहस्पति दोनों ग्रहों से बुद्धि देखी जाती है| फर्क इतना है बुध से किसी बात को जल्दी समझ लेना होता है| जबकि बृहस्पति से विचार और चिंतन देखा जाता है |

बृहस्पति ग्रह के लिए नीचे दिए गए मन्त्रों का जाप करना चाहिए। 

1  ॐ बृं बृहस्पतये नमः।।
2  ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।



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