शश_योग

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इस योग का निर्माण शनि ग्रह द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है और जातक की कुंडली में यह योग अत्यंत शुभ फल देता है। यदि शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र स्थान पर हो यानि शनि यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान  में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग का निर्माण होता है।

शश योग शनि के प्रभाव को सुधारने में मदद करता है और शुभ परिणाम देता है। यह योग जातक को शनि के कुप्रभाव से बचाने में अत्यधिक लाभदायक है। 'शनि साढे़साती' और 'शनि ढैय्या' के बुरे प्रभाव को भी कम कर देता है। शनि के प्रभाव के कारण जातक मेहनती होगा। 

शश योग का कुंडली पर प्रभाव

▪जिस कुंडली में यह योग हो वह जातक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है और नाम कमाता है।

▪जिस व्यक्ति की कुंडली में शश योग बनता है उसे उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। 

▪शश योग का निर्माण होने से व्यक्ति के अंदर छिपी हुई बातों को जानने की क्षमता शनि देव प्रदान करते हैं। 

▪शश योग के प्रभाव से व्यक्ति सामाजिक जीवन में बड़ा प्रतिष्ठित पद हासिल करता है।

▪जिन व्यक्तियों की कुंडली में शश योग का निर्माण हो रहा हो तो ऐसे व्यक्ति बड़े सरकारी अफसर, अभियंता, जज, वकील बनते हैं। 

▪इस योग वाले लोग भूमि, भवन संबंधी कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं

शश योग में जन्म लेने वाले जातक

शश योग को शशका योग के नाम से भी जाना जाता है। इस योग में जन्म लेने वाले बच्चों का छोटा चेहरा, फुर्तीली आंखें और मध्यम ऊंचाई वाले छोटे दांत हो सकते हैं। उन्हें यात्रा करना पसंद होता है। ऐसे जातक कई यात्राओं की योजना बनाएंगे। उन्हें वादियां और पहाड़ों पर जाना पसंद होता हैं। 

शश योग के जातक जल्द क्रोधित होने वाले, जिद्दी और साहसी हो सकते हैं। इसके अलावा वे पार्टियों की मेजबानी करना और लोगों को घर पर आमंत्रित करना पसंद करते हैं। वे मेहनती हैं और अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त करते हैं।

यह दूसरों की सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। वे धातु की वस्तुओं को बनाने में कुशल होते हैं। ऐसे जातक विपरीत लिंग की तरफ सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं। वे दूसरों पर बहुत सारा पैसा भी बर्बाद कर सकते हैं। 

वे अपनी मां से बिना शर्त प्यार करते हैं। फिट बॉडी के साथ वे आकर्षक दिखाई देते हैं। हालांकि वे काफी बुद्धिमान होते हैं इसलिए दूसरों में अक्सर दोष ढूंढते रहते हैं

शश योग के लाभ

•कुंडली में बना शश योग जातक किसी बड़ी बीमारी से उबर सकेंगे और उनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी। 
•कुंडली में बने शश योग से जातकों का जीवन लंबा होता है।
ऐसै जातक बहुत व्यावहारिक होते हैं।
•शश योग वाले जातक केवल आवश्यकतानुसार बात करना पसंद करते हैं।
•ऐसे जातक बहुत सारा ज्ञान प्राप्त करते हैं और कई रहस्यों का खुलासा करते हैं।
•शश योग वाले जातक बहुत सफल होते हैं और राजनीति के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को प्राप्त करते हैं। 

शश योग का करियर पर प्रभाव

•ये जातक कानूनी क्षेत्र में अच्छा कर सकते हैं।
•ऐसे जातक सरकारी क्षेत्र में पैसा कमाएंगे और लाभान्वित होंगे।
•ये जातक संपत्ति के लेन-देन से भी अच्छी कमाई कर सकते हैं।
•ऐसे जातक आध्यात्मिक क्षेत्र में योगदान देंगे।
शश योग वाले जातक शिक्षक, सलाहकार या कहानीकार भी •बन सकते हैं।
ऐसे जातक वित्तीय क्षेत्र में भी अच्छी कमाई कर सकते हैं।

शश योग कब और कैसे परिणाम देता है

अपने आप में शश योग की उपस्थिति शुभता की गारंटी नहीं देती है, ऐसे कई कारक हैं जो इस योग की शुभता में गिरावट का कारण बन सकते हैं जैसे कि कुंडली में शुभ शनि पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो बनने वाला शश योग शुभ फलदायी नहीं होता है।

यदि कोई दुर्बल ग्रह शनि से प्रभावित होता है, तो यह योग शुभ फल नहीं देता है। जातक को शुभ परिणामों के बजाय अशुभ फल मिलते हैं। 

यदि प्रथम भाव में शनि अशुभ है, तो जातक शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना कर सकता है। 

यदि शनि चतुर्थ भाव में अशुभ है, तो जातक के आध्यात्मिक, पारिवारिक जीवन में परेशानी पैदा करेगा। 

यदि शनि सातवें घर में कमजोर है, तो यह वैवाहिक सुख को प्रभावित करेगा। जातक किसी के साथ ठीक से पार्टनरशिप नहीं कर सकेगा। 

यदि शनि दशम भाव में अशुभ है, तो जातक को बहुत अधिक परिश्रम करना होगा और उसका करियर भी समाप्त हो सकता है।

कुंडली में शुभ शनि पर दो या दो से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो या यदि कोई दुर्बल ग्रह शनि से प्रभावित होता है तो शश योग शुभ फलदायी हो इसकी कोई गारंटी नहीं।
यदि शनि चतुर्थ भाव में अशुभ होकर विराजमान है तो पारिवारिक जीवन में परेशानी। 
यदि शनि सातवें घर में अशुभ होकर विराजमान है तो यह वैवाहिक जीवन में सुख की गारंटी नहीं। पार्टनरशिप की सफलता की भी कोई गारंटी नहीं।
 यदि शनि दशम भाव में अशुभ होकर विराजमान है, तो करियर में सफता की प्राप्ति अधिक परिश्रम से ही हो सकती है।

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