शुक्र

शुक्र और आकर्षण

जो आआपके मन अर्थात चन्दर को अपनी ओर आकर्षित कर वो शुक्र। इंसी लिए तो 4 में दिग्बली हो गया और बल मिल गया इसे। आकर्षण भी ऐसा की तुम सुदबुध ख़ो बैठो। कितना चमकीला तारा जो है। चकाचोंध। ज्योतीष भी तो इसी लिए आआपको अपनी ओर आकर्षित करती है। वो भी तो शुक्र ही तो है।

स्त्री वर्ग भी तो शुक्र ही है। गायन, नृत्य, कला, चित्रकारी के गुण उनमें जन्मजात ही होते है। ये सब भी तो शुक्र ही तो है। और नारी का आकर्षण इलु इलु क्या क्या नही करवा देता। लेकिन ये शुक्र मा लक्ष्मी भी तो है। मतलब नारी साक्षात लक्ष्मी का अवतार या अंश।

अभिनय शुक्र। कैसे पागल रहते है हम इन भाँडो के पीछे। उसी का तो आकर्षण है।

हीरा सदा इए लिए। मतलब इसकी ऊर्जा कंभी खत्म भी नही होती। इतना ऊर्जावान है। ज़िरफ आकर्षण ही नही ऊर्जा भी भरपूर दे।

ख्याति। आपका नाम। आकर्षण जो है। आआपकि तड़फा खींचेगा ये दुनिया को। मालव्य योग और क्या है। नेता अभिनेता सभी खींचते है आआपको उनके अंदर बैठा शुक्र देख लो।

इसको समझ पाना भी तो कठिन है। सँजीवनि विद्या जो है ये। एक आंख से देखता जो है। नारी के मन की गहराई कौन नाप पाया है। ज्योतीष इतनी आसान थोड़ी है। 

आकर्षण ये, ऊर्जा ये, ज्ञानी ये, भोग ये, योग ये, रहस्यमयी ये। 

मेष में उत्तेजित, वृषभ में ये अपने परिवार में खुश, मिथुन में पूर्ण पराक्रम दिखाने वाला, कर्क में दिग्बली, सिंह में क्या कर लेगा, रोग में इसका क्या काम, जीवन साथी के साथ एकदम खुश, मृत्यु में तो पूरा मर जायेगा बेचारा, धर्म मे इसका क्या काम, कर्म में ओर लाभ में उदास।

अब इसका आकर्षण देखो कहा जगके खत्म होता है। 12 वे भाव मे। मीन राशि। वही जाकर इसे शांति मिलती है। कि यार इतना भी क्या भोग। अंत मे नाश ही होना है। मोक्ष ही लेना है। तो भोग ज़िरफ सांसारिक जीवन के लिए जितना जरूरी है। अंत मे गुरु ज्ञान ईश्वर की शरण मे जाके ही इसे शांति मिलती है।

तो नोजवानो बात मानो आकर्षण नही इसकी विद्या को पहचानो ओर शुक्र शुक्र हो जाओ।


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