बसंत_पंचमी
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हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान हो कर प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है।
माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पचंमी का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।
इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है। इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती हैं।बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है।
इस दिन देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 26 जनवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करने और उन्हें पीले फूल चढ़ाने का विधान है। यही नहीं इस दिन पीले वस्त्रों में माता का पूजन करते हैं और भोग में पीली खाद्य सामग्री चढ़ाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
बसंत पंचमी के दिन कोई भी शुभ काम करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है। इस दिन शादी विवाह जैसे कार्यक्रम भी बिना मुहूर्त के संपन्न हो सकते हैं। इस दिन को शुभ और मांगलिक कार्य करने के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
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