रत्न नीलम
🌄 रत्न नीलम
✨✨लग्न अनुसार रत्न विचार ✨✨
✨ मेष लग्न- के लिए शनि दशम और एकादश का स्वामी हैं । दोनों शुभ भाव हैं । तब भी एकादश भाव के स्वामित्व के कारण शनि को इस लग्न के लिए शुभ ग्रह नहीं माना है । परन्तु हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं कि यदि शनि द्वितीय , चतुर्थ , पंचम , दशम , एकादश या लग्न में स्थित हो तो शनि की महादशा में नीलम धारण करने से हर दशा में आशातीत लाभ होगा ।
✨ वृषभ लग्न- के लिए शनि नवम और दशम भावों का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ और योगकारक ग्रह माना गया है । इसको नीलम धारण करने से सदा सुख , सम्पदा , समृद्धि , मान , प्रतिष्ठा , राज्यकृपा तथा धन की प्राप्ति होगी । शनि की महादशा में यदि नीलम लग्नेश के रत्न हीरे के साथ धारण किया जाए तो और भी उत्तम फलदायक सिद्ध होगा ।
✨मिथुन लग्न- के लिए शनि अष्टम और नवम भावों का स्वामी होता है । नवम त्रिकोण का स्वामी होने से यह रत्न धारण किया जाए तो लाभदायक होगा । यदि नीलम को लग्नेश के रत्न पन्ने के साथ धारण किया जाए तो और भी उत्तम फलदायक होगा ।
✨कर्क लग्न- के लिए शनि सप्तम ( मारक स्थान ) और अष्टम ( दुःस्थान ) भावों का स्वामी होने के कारण अशुभ ग्रह माना गया है । शनि लग्नेश का चित्र भी है । अतः इस लग्न के जातक को नीलम कभी नहीं धारण करना चाहिए ।
✨सिंह लग्न के लिए शनि षष्ठ ( दु : स्थान ) और सप्तम ( मारक स्थान ) भावों का स्वामी होने के कारण अशुभ ग्रह माना गया है । शनि लग्नेश का शत्रु भी है । अतः इस लग्न के जातक को नीलम नहीं धारण करना चाहिए ।
✨ कन्या लग्न- के लिए शनि पंचम और षष्ठ भावों का स्वामी है । पंचम त्रिकोण का स्वामी होने के कारण शनि को इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह नहीं माना गया है । अतः शनि की महादशा में इस लग्न का जातक नीलम धारण करके लाभ उठा सकता है ।
✨तुला लग्न - के लिए शनि चतुर्थ और पंचम का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ योगकारक ग्रह माना गया है ।
अनुसार यह लग्नेश शुक्र का अभिन्न मित्र भी है । अतः इस लग्न का जातक इस रत्न को धारण करके सब प्रकार का सुख प्राप्त कर सकता है । शनि की महादशा में यह विशेष रूप से फलदायक है । लग्नेश शुक्र के रत्न हीरे या नवम भाव के स्वामी बुध के रत्न पन्ने के साथ नीलम धारण किया जाए तो और भी अधिक अच्छा फल देता है ।
✨वृश्चिक लग्न- के लिए शनि तृतीय और चतुर्थ भावों का स्वामी है । ज्योतिष के सिद्धान्तों के शनि इस लग्न के लिए शुभ ग्रह नहीं माना गया है । फिर भी यदि चतुर्थ का स्वामी होकर पंचम , नवम , दशम और एकादश में हो तो शनि की महादशा में यह रत्न धारण किया जा सकता है । क्योंकि शनि और लग्नेश मंगल परस्पर मित्र नहीं हैं - एक अग्नि है तो दूसरा बरफ , अतः हम यही राय देंगे कि इस लग्न के जातक नीलम से दूर रहें तो श्रेयस्कर होगा ।
✨ धनु लग्न- के लिए शनि द्वितीय ( मारक स्थान ) और तृतीय भावों का स्वामी होने के कारण इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह माना गया है । इसके अतिरिक्त शनि लग्नेश बृहस्पति का शत्रु है । अत : इस लग्न के जातक के लिए नीलम धारण करना ठीक न होगा ।
✨मकर लग्न- के लिए शनि लग्न और धन भाव का स्वामी है । इस लग्न के जातक नीलम का सदा सुख और सम्पन्नता प्राप्त करने के लिए धारण कर सकते हैं । वास्तव में उनको नीलम धारण करना चाहिए ।
✨ कुम्भ लग्न- के लिए शनि लग्न और द्वादश भाव का स्वामी है । इस लग्न के जातक नीलम का सदा सुख और सम्पन्नता प्राप्त करने के लिए धारण कर सकते हैं । वास्तव में उनको नीलम धारण करना चाहिए । इसी प्रकार कुम्भ लग्न के लिए शनि द्वादश का स्वामी होते हुए भी लग्नेश है । उसकी मूल त्रिकोण राशि लग्न में पड़ती है । अत : मकर लग्न के जातकों के समान इस लग्न के जातको के लिए भी नीलम एक शुभ फलदायक रत्न है ।
✨ मीन लग्न- में शनि एकादश और द्वादश का स्वामी होने के कारण इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह माना गया है । इसके अतिरिक्त शनि द्वितीय , चतुर्थ , पंचम , नवम , या लग्न में स्थित हो तो शनि की महादशा में नीलम धारण करने से आर्थिक लाभ हो सकता है । परन्तु हमारी राय यही है कि इस लग्न के जातक यदि नीलम न धारण करें तो अच्छा है ।
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