शनि

शनि देव के राशि परिवर्तन के क्या प्रभाव होंगे मेरे इस इस पुराने लेख से समझने की कोशिश किजिए।

1620 साल बाद बना दुर्लभ संयोग इन 3 राशि वालों पर बरसेगा पैसा

अक्सर आपने टेलीविजन में, यूट्यूब चैनल्स में, अख़बारों में "1620 साल बाद बना दुर्लभ संयोग इन 3 राशि वालों पर बरसेगा पैसा" ऐसी हैडलाइन वाली ख़बरें सुनी, देखी और पढ़ी होंगी या ज्योतिषियों को बोलते सुना होगा।

यकीन मानिए किसी का "अचानक" भाग्योदय नहीं होता ना ही किसी पर "अचानक" पैसा बरसता है, जिस भी व्यक्ति पर आपको लग रहा है कि उस पर "अचानक" पैसा बरस रहा है उसके बारे में करीब से जानने पर आपको पता चलेगा ये ये "अचानक" उसकी कई बरसों की मेहनत का परिणाम है।

अगर इसे ज्योतिषीय आधार पर समझने की कोशिश करें तो वैदिक ज्योतिष में मनुष्य की आयु 120 वर्ष मानी गई है, और इन 120 वर्षों को नौ ग्रहों में बांटा गया है हर ग्रह कुछ वर्षों तक जातक के जीवन में विशेष प्रभाव डालता है नौ ग्रहों की कुल अवधि 120 वर्षो की होती हैं वो निम्नलिखित है।

सूर्य           -        6 वर्ष
चंद्र           -       10 वर्ष
मंगल        -         7 वर्ष
राहु          -       18 वर्ष
बृहस्पति   -        16 वर्ष
शनि         -       19 वर्ष
बुध          -       17 वर्ष
केतु         -         7 वर्ष
शुक्र         -       20 वर्ष

इसमें समझने वाली बात यह है कि महादशा के अंदर अंतर्दशा होती है अंतर्दशा के अंदर प्रत्यंतर दशा होती है प्रत्यंतर दशा के अंदर सूक्ष्म दशा समस्या होती है सूक्ष्म दशा के अंदर प्राण दशा होती हैं, ये क्रम सुव्यवस्थित तरीके से चलता रहता है।

प्राण दशा का समय तो कई बार इतना कम होता है की किसी कार्य के शुरु होने और खत्म होने तक किसी दूसरे या तीसरे ग्रह की प्राण दशा शुरू हो जाती है, इसीलिए व्यक्ति के विचार बदलते रहते हैं और कभी कभी वो कार्य को बीच में ही छोड़ देता है या उसकी रुचि अचानक बढ़ जाती है। 

विषय से हटकर एक बात जोड़ना चाहूंगा जीवन में महादशा के साथ-साथ अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जीवन में कई बार अच्छे ग्रह की महादशा में बुरे ग्रह का प्रत्यंतर आ जाता तो जीवन कुछ समय के लिए जटिल हो जाता है, और कई बार बुरे ग्रह की महादशा में अच्छे ग्रह का प्रत्यंतर आ जाता है तो जीवन सुख कुछ समय के लिए सुखमय हो जाता है ठीक वैसे जैसे चींटी को बहते वक्त तिनके का सहारा मिल गया हो। इस बातों के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि ये कतई जरूरी नहीं की अच्छी महादशा में सिर्फ अच्छे और बुरी महादशा में महादशा के सिर्फ बुरे फल जी जातक को मिलेंगे।

पुनः विषय पर लौटते हैं एक "सामान्य परिस्थिति" में आपके जीवन में घटने वाली एक छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी घटना घटने में योगदान आपकी कुंडली (षोडश वर्ग) में उपस्थित ग्रहों का, उन ग्रहों से बनने वाले योगों का, आपके लग्न का, आपकी राशि का, आपकी देश, काल, परिस्थिति आदि का होता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही कोई "अच्छा ज्योतिषी" फलादेश करता है।

अब आप खुद ही सोचिए जो ज्योतिष इतना सूक्ष्म है इतनी बारीक और इतनी सारी गणनाओं पर आधारित है, क्या उसमें "1620 साल बाद बना दुर्लभ संयोग इन 3 राशि वालों पर बरसेगा पैसा" जैसी आधारहीन बातों के लिए कोई जगह बनती है ?

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