गोचर

गोचर क्या है इसको कैसे देखा जाता है इनके नियम क्या है इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है बताती हूं
🙏🙏🙏🙏

गोचर फल के सात महत्‍वपूर्ण नियम
जब हमें भाव का प्रभाव देखना है तो हमेशा लग्‍न से गोचर देखें। जैसे अगर आपकी सिंह लग्‍न और कन्‍या राशि हो और शनि तुला में हो तो तीसरे भाव का फल ज्‍यादा मिलेगा क्‍योंकि शनि लग्‍न से तीसरे भाव में है।
अगर यह देखना है कि शुभ फल मिलेगा कि अशुभ तो चंद्र से देखें। सामान्‍य तौर पर पाप ग्रह और चंद्र खुद जन्‍म चंद्र से उपाच्‍य भावों में सबसे बढिया फल देते हैं। 
सूर्य, मंगल, गुरु और शनि का चंद्र से 12 वें भाव पर, आठवें भाव पर और पहले भाव पर गोचर विशेषकर अशुभ होता है। चंद्र से 12वें, पहले और दूसरे भाव में शनि के गोचर को साढे साती कहा जाता है।
ग्रह न सिर्फ उन भावों का फल देते हैं जहां वे लग्‍न से बैठे होते हैं बल्कि उन भावों का भी फल देते हैं जिन जिन भावों को वे देखते हैं।
अगर कोई ग्रह उस राशि में गोचर करे जिसमें वह जन्‍म कुण्‍डली में हो तो अपने फल को बढा देता है।
दशा गोचर से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण होती है। अगर किसी फल के बारे में दशा न बताए तो सिर्फ गोचर से फल नहीं मिल सकता। इसलिए बिना दशा देखे सिर्फ गोचर देखकर कभी भविष्‍यवाणि नहीं करनी चाहिए।
अगर दशा प्रारम्‍भ होने के समय गोचर बढिया न हो तो दशा से शुभ फल नहीं मिलता।

भ्रमण काल-
 
सूर्य,शुक्र,बुध का भ्रमण काल 1 माह, चंद्र का सवा दो दिन, मंगल का 57 दिन, गुरु का 1 वर्ष,राहु-केतु का डेढ़ वर्ष व शनि का भ्रमण काल ढाई वर्ष होता है अर्थात् ये ग्रह इतने समय तक एक ही राशि में रहते हैं तत्पश्चात् ये अपनी राशि बदल लेते हैं। 
 
विभिन्न ग्रहों का गोचर अनुसार फल-
 
सूर्य- सूर्य जन्मकालीन राशि से 3,6,10 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में सूर्य का फल अशुभ देता है।
 
चंद्र- चंद्र जन्मकालीन राशि से 1, 3, 6, 7, 10 व 11 भाव में शुभ तथा 4,8, 12 वें भाव में अशुभ फल देता है।
 
मंगल- मंगल जन्मकालीन राशि से 3 ,6,11 भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।
 
बुध- बुध जन्मकालीन राशि से 2,4,6,8,10 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।
 
गुरु-गुरु जन्मकालीन राशि से 2,5,7,9 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।
 
शुक्र-शुक्र जन्मकालीन राशि से 1,2,3, 4,5, 8,9,11 और 12 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।
 
शनि-शनि जन्मकालीन राशि से 3,6,11 भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।
 
राहु-राहु जन्मकालीन राशि से 3 ,6,11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।
 
केतु-केतु जन्मकालीन राशि से 1,2,3,4,5,7,9 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

Comments

Popular posts from this blog

Chakravyuha

Kaddu ki sabzi

Importance of Rahu in astrology