भद्र_योग

#भद्र_योग

यदि बुध मिथुन या कन्या राशि में और लग्न व चन्द्रमा से केंद्र में स्थित हो तो भद्र योग बनता है। यह योग बुध से बनता है। जब कुंडली में बुध केंद्र में स्वराशि मिथुन व कन्या उच्च राशि में स्थित हों तो भद्र योग बनता है। 

ऐसे में जातक की किस्मत अचानक बदल जाती है। कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में भद्र योग बनता है वह बुद्धि, चतुराई और वाणी का धनी होता है. ऐसे लोग कारोबार में भी सफलता अर्जित करते हैं।

ऐसा जातक सफल वक्ता भी बन सकता है। ऐसा जातक कार्य कौशल, लेखन, गणित, कारोबार और सलाहकर के क्षेत्र में सफल रहता है। उसमें विशलेषण करने की गजब क्षमता रहती है। उसकी तार्किक शक्ति भी अद्भुत रहती है। उपरोक्त गुण होने से वह सफल जीवन यापन करता है।

बुद्धि के कारक बुद्ध इस योग का निर्माण करते हैं। यह जातक को बुद्धिमान तो बनाते हैं साथ ही इनकी संप्रेषण कला भी कमाल की होती है।

रचनात्मक कार्य में इनकी रूचि अधिक होती है अच्छे वक्ता लेखक हो सकते हैं। इनके व्यवहार में ही भद्रता झलकती है जिससे सब को अपना मुरीद बना लेते हैं। 

यह योग जातक को बुद्धिमान बनाता है। ज्योतिष वक्ता हो सकते हैं। भद्र पुरुष की तरह व्यवहार करते हैं अगर बुध की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है फिर भी योग बन रहा है तो कैशियर बना सकता है अगर मजबूत है तो बड़ी संस्थाओं में कैशियर बना देता है।

#भद्र_योग_फल

भद्र योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सिंह के समान फुर्तीला होता है। उसकी चाल हाथी के समान कही गई है। वक्षस्थल पुष्ट होता है। गोलाकारक सुडौल मजबूत बाहें होती हैं, कामी या कहें रसिक प्रवृति का हो सकता है, विद्वान, कमल के समान हाथ-पैर होते है। सत्वगुण, कान्तिमय त्वचा से युक्त होता है।

इसके अतिरिक्त जिसका जन्म भद्र नामक योग में हुआ हो, उसके हाथ-पैर में शंख, तलवार, हाथी, गदा, फूल, बाण, पताका, चक्र, कमल आदि चिन्ह हो सकते हैं। उसकी वाणी सुन्दर होती है। इस योग वाले व्यक्ति की दोनों भृकुटी सुन्दर, बुद्धिमान, शास्त्रवेता, मान-सम्मान सहित भोग भोगने वाला, बातों को छिपाने वाला, धार्मिक, सुन्दर ललाट, धैर्यवान, काले घुंघराले बाल युक्त होता है।

भद्र योग वाला व्यक्ति सब कार्य को स्वतन्त्र रुप से करने में समर्थ होता है। अपने लोगों को भी क्षमा करने वाला तथा उसकी संपति को अन्य भी भोगते है।

जातक हंसमुख और लोगों के साथ मेल-जोल करने वाला होता है। उसका मन कोमल होता है और प्रेम की इच्छा उसके मन में सदैव बनी रहती है। व्यक्ति कोमल और सौम्य काम करने की इच्छा अधिक रखता है। मेहनत से अधिक वो अपनी बुद्धि से काम करना अधिक पसंद करता है।

#भद्र_योग_का_कैरियर_में_प्रभाव

भद्र योग का विशेष गुण व्यक्ति में कौशलता को उभारने का होता है. व्यक्ति अपनी भाषा शैली से दूसरों पर प्रभाव जमाने में सफल होता है। जातक काफी प्रभावशाली और अपनी जीवन शैली जीने में उन्मुक्तता चाहने वाला होता है। व्यक्ति अपने चातुर्य से काम निकलवाने में भी माहिर होता है. अपने जीवन में अपने इसी कौशल को अपना कर जिंदगी को जीता है। जातक एक प्रतिभाशाली शिक्षक हो सकता है या एक प्रभावशाली कथा वाचक भी बन सकता है।

मुख्य रुप से जातक संचार जैसे क्षेत्र में अपनी पैठ जमा सकता है. उसकी काबिलियत को इस स्थान पर ही पहचाना जा सकता है और वह निखर कर सामने आती भी है। एक प्रकार के सलाहकार के रुप में अथवा लेखन और बोलने में योग्य जैसे की पत्रकारिता के क्षेत्र में संवाद कर्मी के रुप में कानून के क्षेत्र में जज या वकालत के कार्य में आगे बढ़ सकता है। भद्र योग में जन्मा जातक व्यवहार कुशल और लोगों के मध्य प्रसिद्ध भी होता।

#भद्र_योग_कब_शुभ_फल_देगा

जन्म कुण्डली में कोई योग कितना शुभ होगा और किस तरह से फल देने में सक्षम होगा। ये जन्म कुण्डली की मजबूती पर भी निर्भर करता है। जन्म कुण्डली में अगर योग शुभता से युक्त हो और ग्रह भी मजबूत हो और किसी भी प्रकार के पाप अथवा खराब प्रभाव से मुक्त हो तो योग जातक को अपना शुभ फल प्रभावशाली रुप से देने वाला होता है।

दूसरी ओर अगर ग्रह किसी पाप प्रभाव में हो कमजोर हो तो ऎसी स्थिति में योग अपना शुभ फल देने में सक्षम होता है। इसलिए भद्र योग में जातक को इसी प्रभाव के कारण अच्छे फल मिलते हैं। बुध की कमजोर स्थिति के कारण भद्र योग अपने खराब न प्रभाव देने वाल बन सकता है। व्यक्ति की वाणी प्रभावित हो सकती है और वह छल-कपट से आगे बढ़ने वाला होता है।

कुण्डली में बनने वाला कोई भी योग अपनी शुभता को तब बेहतर रुप से पा सकता है. जब कुण्डली में कुछ अन्य शुभ योग भी बन रहे हों तो ऎसे में कुण्डली मजबूत बन जाती है और व्यक्ति को सकारात्मक फल भी मिलते हैं। इसी के साथ अगर जो योग कुण्डली में बन रहा हो उस योग के ग्रह की दशा मिल रही हो तो उस योग का फल भी जातक को अवश्य मिलता है।

कई बार कुण्डली में योग तो बनते हैं लेकिन ग्रह की दशा समय पर नहीं मिल पाने पर जातक उस योग का प्रभाव उचित रुप से भोग भी नही पाता है. इसलिए ग्रहों की दशा का प्रभाव भी जातक को योग की प्राप्ति कराने में सहायक बनता है।

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