गुरु
ओम शांति
पिछले दिनों मैंने गुरु 12 लग्नो के तीसरे घर मे क्या फल देगा बताया था ,वृचिक तक आज आगे के 2 लग्नो के बारे मे बताऊंगी
1, धनु लग्न में गुरु लग्नेश ओर 4th हाउस का स्वामी होता हैं लग्नेष का तीसरे घर मे होना जात्ताक को पराकर्मी बनाता है जातक अपने पराक्रम से कामयाबी पाता है ,जहा जात्ताक पराक्रम से ही सुख पाता है क्योंकि 4th से यह 12 वा हाउस है । जातक भगयेवान होता है और फ़िल्म लाइन मीडिया लाइन ,लेखक ,बन सकता है
2, मकर लग्न में गुरु तीसरे और बारवे भाव का स्वामी होता है जब यह तीसरे घर मे आता तो जातक पराकर्मी होता है ,अगर तीसरे भाव का स्वामी अगर पीड़ित हो तो जातक की छोटे भाई बहन से सम्बंद खराब होंगे, जक्तक का लेखन में खास रुचि होगी ।बृहस्पति के साथ एक व्यक्ति अपने काम के प्रति अधिक समर्पित होगा, जिससे उनके लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना आसान हो जाएगा। इस प्रक्रिया में, इन जातकों को विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने या व्यवसाय से संबंधित यात्राओं पर या पेशेवर मामलों के लिए विदेश यात्रा करने का मौका मिल सकता है। हालांकि, यदि बृहस्पति वक्री है, तो जातकों का आत्मविश्वास कम हो सकता है और वे कोई पहल नहीं करते हैं, और अपने लक्ष्यों के प्रति जुनून और उत्साह के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए चुनौतीपूर्ण पाते हैं।
3, कुंभ लग्न में गुरु दूसरे ओर ग्यारवे भाव का स्वामी होता है , जहा तीसरे भाव मे बैठ कर जातक को धन और लाभ के लिए परकर्म कारवता है जातक फ़िल्म line मीडिया लाइन , मे अछि सफलता पता है ,
4, मीन लग्न मे गुरु लग्न ओर दशम के स्वामी होता है जक्तक पराकर्मी होगा । उसका परकर्म ही उसका कर्म होगा और परकर्म करना ही उसकी आदत होगी अपनी इसी आदत से वो कामयाबी हासिल करता है , तीसरे भाव में बृहस्पति रचनात्मक और कलात्मक कार्यों में सफलता दिलाएगा। कुछ लोग फैशन, मीडिया और डिजाइन के क्षेत्र में भी सफल हो सकते हैं। हालाँकि, ये लोग सफल अभिनेता या राजनेता बन सकते हैं
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