अष्टमेश द्वितीय भाव में ।
अष्टमेश द्वितीय भाव में ।
अष्टमेश द्वितीय भाव में है तो यह निर्भर करता है की अष्टमेश लग्न कुंडली में शुभ कारक है या अशुभ कारक ।
शुभ कारक होकर शुभ स्थिति में होगा तो फल भी शुभ मिलेंगे ।
अगर अशुभ कारक होकर अशुभ स्थिति में होगा तो फल भी अशुभ रहेंगे ।
यह सभी चीजें कुंडली की गहन जांच के बाद समझी जा सकती हैं।
द्वितीय भाव धन से संबंधित होता है।
अष्टम भाव हानि या नाश से संबंधित होता है।
सामान्य परिस्थिति में अष्टम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में धन के लिए उत्तम नहीं है।
फाइनेंशियल क्राइसिस से परेशान रह सकता है।
धन हानि की भी संभावना होती है।
अपने धन या संपत्ति से उचित लाभ नहीं कमा पाता है। शत्रुओं या छुपे हुए शत्रु के कारण परेशानियों का सामना करता है।
चोरों के द्वारा भी हानि की संभावना है।
अपने पारिवारिक धन को भी प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में शुभ स्थिति में हो तब छुपे हुए स्त्रोतों से धन लाभ होने की संभावना है।
अचानक से भी धन लाभ हो सकता है।
अनैतिक या गैरकानूनी कार्यो से भी धन अर्जित कर सकता है।
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