कब विवाह होगा?

कब विवाह होगा?

1. सप्तमेश शुभग्रह की राशि में हो व शुक्र अपनी उच्च राशि में हो, तो नौ वर्ष की उम्र में ।

2. शुक्र धन स्थान में और सप्तमेश ग्यारहवें स्थान में स्थित हो, तो 10 या 16 वर्ष की आयु में ।

3. लग्न में शुक्र और लग्नेश दसवें एवं ग्यारहवें राशि में हो, तो 11 वर्ष की आयु में।

4.केन्द्र स्थान में शुक्र हो और शुक्र से सातवें शनि स्थित हो, तो 12 या 19वर्ष में ।

5. सातवें स्थान में चन्द्रमा हो और शुक्र से सातवें स्थान में शनि स्थित हो, तो 18 वर्ष की आयु में

6. द्वितीयेश ग्यारहवें और एकादशेश दूसरे भाव में हो, तो 13 वर्ष की आयु में।

 7. शुक्र द्वितीय स्थान में हो और द्वितीयेश तथा मंगल इन दोनों का योग हो तो 27वें वर्ष में ।आयु में। 

8. पंचम भाव में शुक्र और चतुर्थ में राहु स्थित हो, तो 33 वर्ष की वर्ष में ।

9. तृतीय भाव में शुक्र और नौवें भाव में सप्तमेश गया हो, तो 27 या 30

 10. लग्नेश में शुक्र जितना नजदीक हो उतनी जल्दी। शुक्र की स्थिति जिस राशि में हो उस राशि की दशा में।

11. सप्तमस्थ राशि की जो संख्या हो उसमें आठ जोड़ देने पर जो संख्या आये, उस वर्ष में शुक्र, लग्न और चन्द्रमा से सप्तमाधिपति की संख्या में विवाह का योग आता है।

12. लग्न द्वितीय और सप्तम में शुभग्रह हो या इन स्थानों पर शुभग्रहों की दृष्टि हो, तो छोटी उम्र ।

13. लग्नेश और सप्तमेश को जोड़कर जो राशि ज्ञात हो उस राशि में जब गोचर का गुरु पहुंचता हो। 

14. शुक्र और चन्द्रमा इन दोनों में से जो ग्रह बली हो उसकी महादशा ।

 15. यदि सप्तमेश शुक्र के साथ हो, तो सप्तमेश की अन्तर्दशा में तथा नवमेश, दशमेश और सप्तम भावस्थ ग्रह की अन्तर्दशा में।

16. लग्नेश और सप्तमेश के स्पष्टराश्यादि के युग तुल्यराशि में जब गोचरीय बृहस्पति स्थित रहता हो, चन्द्राधिष्ठित नक्षत्र और सप्तमेश के योग्य तुला अंश में गुरु के होने पर तथा यदि गुरु मित्र के नवांश में हो, तो एक स्त्री से स्वनवांश में स्थित हो तो तीन स्त्रियों से एवं यदि गुरु उच्चारा

में स्थित हो तो बहुत स्त्रियों से । 17. सप्तमेश जिस राशि और नवांश में स्थित हो उसके स्वामियों में अथवा शुक्र और चन्द्रमा में जो अधिक बली हो उसकी दशा में सप्तमेशयुक्त राश्यंश से त्रिकोण में गुरु के होने पर।

18. शुक्रयुक्त सप्तमेश की दशा भुक्ति में, लग्न से द्वितीयेश की राशिपति दशा भुक्ति में एवं दशमेश और अष्टमेश की दशा भुक्ति में ।

 19. गोचर से गुरु दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें एवं ग्यारहवें स्थान में होने पर।

20. सप्तमेश, पंचमेश व एकादशेश की दशा-अन्तर्दशा में। 21. सप्तमस्थ बलिष्ठ ग्रह की दशा-अन्तर्दशा में ।

22. शुक्र से सप्तम स्थान का स्वामी जिस दिशा में अधिपति हो, उसी दिशा में।

23. यदि पापग्रह सप्तम और द्वितीय स्थान में हो, तो विलम्ब से और विवाह हो जाये तो पत्नी वियोग ।




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