सार्वभौम योग ♦️
♦️सार्वभौम योग ♦️
👉 पंचम और नवम भाव के स्वामी एक साथ किसी शुभ भाव में विराजमान हों तथा उनके साथ उनका एक और मित्रग्रह भी हो , तो सार्वभौम योग बनता है ।
सार्वभौम योग रखने वाला व्यक्ति बाल्यावस्था में निर्धन हो , परन्तु जीवन की मध्यावस्था एवं वृद्धावस्था में पूर्ण धनी और सुखी होता है तथा उसकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं ।
👉 इस कुण्डली में पंचमेश गुरु स्वराशि में विराजमान है एवं उसके साथ नवमेश चंद्रमा भी विराजमान है । इनका मित्र सूर्य एवं मंगल भी साथ में विराजमान है ।
💥 कई बार कुंडली में अच्छे योग बनते हैं तो उसके साथ कुछ परेशानी के भी योग बन जाते हैं । जैसे कि इस योग में सूर्य एवं चंद्रमा पर शनि की दृष्टि है । दूसरा कि सूर्य चंद्रमा के साथ विराजमान है जो की अमावस्या का जन्म है चंद्रमा पक्ष बल में कमजोर है ।
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि अच्छे योग बनने के बाद भी परेशानी के योग के कारण इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है ।
♦️ इस योग का श्रेष्ठ फल प्राप्त करने के लिए चंद्रमा , सूर्य का मंत्र जाप करें शनि से संबंधित दान तथा उपाय करें ।
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👉 एक ही ग्रह के फलादेश या एक ही योग को आखरी निर्णय ना माने । यह सामान्य जानकारी है । जन्म कुंडली के संपूर्ण विश्लेषण के बाद आखिरी निर्णय होता है ।
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