व्यपार में असफलता के योग
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वैदिक ज्योतिष में व्यापार के असफल होने के कारण और उपाय
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जीवन के प्रमुख एवं मूलभूल उद्देश्यों में से एक है पैसा कमाना और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना। कुछ लोग इस जरूरत को पूरा करने के लिए नौकरी करते हैं तो कुछ अपना व्यवसाय करना पसंद करते हैं। हालांकि, हर व्यक्ति को अपने व्यवसाय में लाभ नहीं मिलता है। आप अपने जीवन में किस मार्ग और क्षेत्र में पैसा कमाएंगें ये आपकी जन्मकुंडली में स्पष्ट लिखा होता है।
कुंडली से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आप नौकरी करेंगें या बिजनेस या फिर एक व्यापारी के तौर पर आपको कितनी सफलता मिल पाएगी। तो चलिए जानते हैं जन्मकुंडली में व्यापार में सफलता के योग के बारे में।
बुध है व्यापार का कारक
ज्योतिष में बुध को व्यापार का प्रतिनिधि ग्रह बताया गया है। इस ग्रह की शुभ एवं अशुभ स्थिति से आपके व्यापारिक क्षेत्र का पता लगाया जा सकता है। कुंडली का दसवां भाव कर्म का भाव होता है। इस भाव में जो ग्रह बैठा हो उसके गुण और स्वभाव के अनुसार व्यक्ति के व्यापार का पता लगाया जा सकता है।
व्यापारी बनाने वाले दशम भाव में ग्रह
अगर कुंडली में दसवें भाव में एक से ज्यादा ग्रह बैठे हैं तो जो ग्रह इनमें से सबसे ज्यादा बलवान होता है व्यक्ति उसी के अनुसार एवं उसी से संबंधित क्षेत्र में व्यापार करता है। वहीं अगर दशम भाव में कोई ग्रह ना बैठा हो तो दशमेश ग्रह की राशि का जो स्वामी होता है उसके अनुसार व्यवसाय तय होता है।
सूर्य की युति वाला ग्रह
जो ग्रह लग्न भाव में बैठे हों या उनकी दृष्टि से लग्न या लग्नेश प्रभावित हो रहे हों तो आप उसके अनुसार व्यापार करते हैं। सूर्य के साथ विराजमान ग्रह भी व्यापार पर अपना असर दिखाता है।
एकादश और एकादशेश जहां बैठा हो उस राशि की दिशा से लाभ होता है। सप्तम भाव से साझेदारी में व्यापार और दशम भाव से निजी व्यापार से लाभ होगा या नहीं, इसका पता लगाया जा सकता है। बुध संबंधित भाव एवं भावेश की स्थिति अनुकूल होने पर व्यापार में लाभ होता है,
अष्टम भाव का असर
कुंडली के छठें, आठवें या बारहवें भाव में कोई ग्रह ना हो या हो तो स्वराशि या उच्च राशि में हो तो वह व्यक्ति अपने प्रयासों से बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।
लग्नेश और भाग्येश अष्टम भाव में ना हों और शनि दशम या अष्टम में ना हो तो वह जातक अकेले अपना बिजनेस एंपायर खड़ा करता है।
दिवालिया बनने के योग
अगर अष्टमेश चौथे, पांचवे, नौवे या दसवें भाव में हो और लग्नेश कमजोर हो तो व्यापारी को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है।
लाभेश व्यय स्थान में हो या भाग्येश और दशमेश व्यय स्थान बारहवें भाव में हो तो व्यापारी के दिवालिया होने के योग बनते हैं।
पंचम भाव में शनि तुला राशि का हो तो भी दिवालिया होने का डर रहता है।
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