गुरु चंद्रमा का गजकेसरी योग

गुरु चंद्रमा का गजकेसरी योग

वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारी कुंडली में या फिर कहें ग्रहों के द्वारा बहुत अच्छे अच्छे लोग भी बनते हैं। जिनके फलस्वरूप व्यक्ति धनवान भी बनता है सम्मान प्राप्त करने वाला भी बनता है समाज में उच्च पदवी भी प्राप्त करता है और लोगों के बीच में आकर्षण का केंद्र भी रहता है। 

इसमें कुछ योग इस प्रकार हैं जैसे सूर्य बुध का सूर्य बुध आदि योग, मंगल चंद्रमा का अखंड लक्ष्मी योग, गुरु चंद्रमा का गजकेसरी योग आदि। 

आज हम बात करेंगे गजकेसरी योग यानी कि गुरु और चंद्रमा के द्वारा बनाया गया योग। जैसे कि इसमें साफ दिख रहा है कि गुरु और चंद्रमा की युति से यह योग बनता है क्योंकि गुरु धन सम्मान विद्या आदि का कारक है और चंद्रमा मन मस्तिष्क के साथ-साथ माता का भी कारक है। गुरु आपको धन मान-सम्मान आदि दिलाएगा और चंद्रमा आपके मन और मस्तिष्क को स्थिर करके आपको अपने कार्य क्षेत्र में या कहे जिसमें आपकी रुचि हो उसमें आगे बढ़ाएगा और उसी में आगे बढ़ते हुए आप धन संपदा मान सम्मान के मालिक बनेंगे। गज केसरी योग में गज को हाथी से भी जोड़ा गया है जैसे पुराने समय में धनवान व्यक्तियों या फिर राजाओं के पास हाथी घोड़ा सब होते थे और और गज को शक्ति का भी प्रतीक माना गया है क्योंकि उसके अंदर बल काफी अधिक होता है इसीलिए इसे गजकेसरी योग की संज्ञा दी गई है।

अब बहुत से मेरे मित्र यह कहेंगे कि हमारी कुंडली में यह योग बनता है परंतु हमारे पास कुछ भी नहीं है या कर्जे में है या बुरा समय चल रहा है इस प्रकार की बातें कहेंगे। तो मैं आपसे सिर्फ इतना कहूंगा कि आपकी पत्रिका में गुरु की और चंद्रमा की इस स्थिति को भी देखें वह किस राशि में बैठे हैं वह राशि उनके शत्रु राशि तो नहीं है गुरु आप के नीचे तो नहीं है चंद्रमा का भी नीच होने से यह योग फलित नहीं होता है। कई बार किसी पापी ग्रह की  दृष्टि की वजह से भी यह योग फलित नहीं हो पाता। और कई बार गुरु चंद्रमा इकट्ठे ना भी हो और इनकी दृष्टि पढ़ रही हो तो भी योग फलित होता है। 

यह योग जिस भी कुंडली में होगा चाहे वह फलित ना हो रहा हो तब भी मैंने यह देखा है कि जिसकी भी कुंडली होती है उस व्यक्ति के अंदर सूझबूझ बहुत अच्छी होती है और यदि वह अपनी कुंडली के अनुसार इन ग्रहों को सही कर लेता है तो वह धन संपदा मान सम्मान का मालिक अवश्य बनता है क्योंकि यह योग यह सब उस व्यक्ति को जरूर दिलाता है।

यदि आप गुरु और चंद्रमा के उपाय जानना चाहेंगे तो आप मेरे पहले के पोस्ट पढ़ सकते हैं। लेकिन इसमें एक समस्या यह है की उपाय सिर्फ लग्न कुंडली को देख कर ही नहीं बताने चाहिए क्योंकि व्यक्ति की कुंडली में लग्न कुंडली के साथ-साथ नवमांश समुदाय अष्ट वर्ग चंद्र पत्रिका वर्ष पत्रिका आदि कि भी भूमिका होती है जो उसके व्यक्तित्व को बताती है तो आप लोग अपने अपने योग्य गुरु द्वारा या कहें उनके सानिध्य में रहकर उपायों को करें तो आपको बेहतर प्रभाव देखने को मिलेगा अपने जीवन में।

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