सूर्य+मंगल...

सूर्य+मंगल...

पहली बात... अत्यधिक ऊर्जा, अग्नि तत्व प्रधान रूप से विद्यमान..
यदि ये दोनों ग्रह एक साथ हैं तो लग्न में बैठे ग्रह को अवश्य ही जलाएंगे यानी तपाएंगे और ऐसे में कहीं गुरु लग्न में हो तो तप कर सोना जैसे कुंदन बन जाता है वैसा ये गुरु सोने से भी ऊपर का रेट वाला यानी ऐसे जातक की कीमत बहुत मूल्यवान.. जहां खड़ा हो जाए वो जगह चमकने लगे.. बुध हो जाए तो बुध का मूवमेंट बहुत तीव्र हो कर लगन को ही जलाने लग सकता है क्योंकि बुध लेंस है और यदि बुध पर राहु का प्रभाव रहा तो लगन पर आग लग जाएगी यानी जातक पर अचानक चोट पहुंचेगी दर्दनाक स्थिति से मृत्यु प्राप्त हो सकती है...

सूर्य+मंगल जातक को निडर बनाते हैं बहादुर और निर्भीक होकर चलने वाला जैसे जंगल में शेर..
मान पर आ जाए तो हाथ उठाते देरी नही लगती..
पर कुंडली में चंद्र कितना नेक हो कर जातक में दया का संचार करता है और मंगल को नेक रखता है तो रहमदिल शासक की भांति होता है.. सूर्य मंगल एक साथ हैं तो जातक ज्यादा पॉलिटिकली नही लेकिन हिम्मत और ताक़त पर यकीन करने वाला जैसे कर्ण को शकुनी की बातें नही समझ आती थीं लेकिन आप कर्ण को सूर्य+मंगल का व्यक्ति मान सकते हो क्योंकि वो सूर्य अंश भी थे और एक महारथी योद्धा भी..
देखो 
लाल किताब कहती है
सूर्य+मंगल= तो चंद्र कहीं न कहीं कमजोर रहता है..
इमोशनली बैलेंस्ड नही हो पाता शीघ्रता से... इसका कारण ये है की पहले तो चंद्र मंदा नही होता बल्कि कमजोर यानी वीक हो जाता है एक वीक आदमी लगभग मंदे जैसा ही फल देगा.. इसी कारण वो मंदा लगता है पर होता नही..
दूसरा ये कमजोर इसलिए क्योंकि जब दो भीषण अग्नि तत्व के प्लेनेट्स एक साथ आएंगे तो चंद्र जो की जल तत्व है उसका वाष्पीकरण कर देंगे और चंद्र लिक्विड स्टेट से नष्ट हो जाएगा आप्रकृतिक हो जाएगा इसीलिए कर्ण की माता का त्याग उन्हें बाल्यावस्था में ही सहना पड़ा क्योंकि एक तो उसके पिता स्वयं सूर्य देव तो एक सूर्य का अंश दूसरा उसको योद्धा बनना था महान और महान योद्धा विषम परिस्थितियों में ही उत्पन्न होते हैं, इसीलिए सूर्य+मंगल क्रोध बहुत शीघ्रता से दिखाते हैं क्योंकि इनकी अग्नि ही भरी हुई है इनके अंदर...

2 तत्व ताकत के मामले में सबसे आगे एक अग्नि दूसरा वायु ये 2 तत्व अगर मजबूत हैं तो आदमी का जिगर कलेजा हाथ पैर सर सब मजबूत है...
इसीलिए जब ये दो ग्रह एक साथ कहीं बैठे हों तो अवश्य ही इनका प्रभाव खुला होना चाहिए यानी ये जागे हुए घरों में बैठे हों यानी इनकी दृष्टि किसी पर पड़ती जरूर हो...
तब तो इनकी एनर्जी डिस्ट्रीब्यूट हो कर सेटल हो जाएगा अन्यथा जिस भाव में बैठे होंगे वहां हरदम जैसे आग लगी हो...
पर चंद्र को वैसे भी कुंडली में देखना जरूरी है कहीं गुरु चंद्र मिल कर सूर्य मंगल को एक साथ देख लें तो खेल ही बदल जाएगा.. बहुत अच्छा राजयोग क्रिएट हो जाएगा सभी राज दरबार के प्रमुख ग्रह एक साथ बैलेंस क्रिएट कर देंगे कुंडली में...

इनकी एनर्जी गुरु शनि चंद्र से लगातार चेक करनी पड़ती है.. यदि इनके शत्रु ग्रहों पर इनकी दृष्टि पड़ी तो ये उसे मारे बिना नहीं छोड़ते हैं पर देखने योग्य बात ये है कि ये किस भाव में स्वयं बैठे हैं और किस भाव में इनके शत्रु ये बेशक एक अलग गुत्थी है...

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