विवाह बाधा
राम राम,
विवाह में बाधा पहुंचाने वाले कुछ योग:-
* शनि सप्तम भाव में स्वगृही हो एवं सूर्य से सप्तमस्थ होने पर विवाह में बाधा अवश्य आएगी।
* सूर्य एवं शनि की युति लग्न में हो तो विवाह विलंब से होगा।
* चंद्रमा सप्तम भाव में एवं शनि लग्न में हो या शनि एवं चन्द्रमा की युति सप्तम भाव में हो तो विवाह में विलंब अवश्य होगा।
* छठे भाव में शनि हो, अष्टम् भाव में सूर्य हो एवं अष्टमेश निर्बल (पापक्रांत) हो तो विवाह नहीं होता या पर्याप्त विलंब संभव है।
* यदि सूर्य सप्तम भाव में हो, शनि की उस पर दृष्टि हो अर्थात् शनि लग्न में, पंचम भाव में या दशमभाव में हो तो भी विवाह में विलंब सभव है।
* यदि सूर्य, शनि के साथ हो या शुक्र सप्तमेश हो तो विवाह में देरी अवश्य होगी।
* शुक्र, चन्द्रमा परस्पर शत्रु हैं। चंद्र एवं सूर्य दोनों ही शुक्र के शत्रु हैं अतः शुक्र तथा चन्द्रमा की सप्तम भाव में स्थिति भी चिंतनीय है।जिसके कारण विवाह का सुख न्यून होता है,ऐसी अवस्था में विवाह के बाद शीघ्र तलाक भी हो जाता है।
* यदि मंगल और शनि एक दूसरे से सप्तम में हो तो निश्चित रूप से विवाह में विलंब होता है।
* यदि शुक्र शत्रुराशिगत होकर सप्तमस्थ हो तो विवाह में अनेक
अवरोध आते हैं एवं विवाह में विलंब अवश्य होगा।विवाह जल्दी होने पर विवाह विच्छेद भी हो जाता है।
• शुक्र से सप्तम में शुक्र का शत्रु ग्रह हो तो भी विवाह में विलम्ब होता है।
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