rahu

सभी को एस्ट्रो पूर्णिमा बिष्ट का प्यार भरा नमस्कार .
आज मैं आपको राहु केतु के बारे में बताने जा रहे हैं.
1]  ज्योतिष में इन दोनों ग्रहों को छाया ग्रह माना जाता है इनका खुद का अपना अस्तित्व नहीं है.
 इनका प्रभाव अगर आपने समझना है तो पहले आपको यह देखना होगा कि यह किस राशि में बैठे हैं और कितने ग्रह के साथ युति बना कर बैठे हैं क्योंकि राहु केतु छाया ग्रह है और यह भ्रम पैदा करते हैं जिस ग्रह की राशि में यह बैठेंगे इस ग्रह के जैसा  फल देंगे और जिस ग्रह के साथ बैठेंगे उस ग्रह की तरह यह अपना स्वरूप बनाकर फलप्रदान करते हैं अर्थात इनका स्वरूप का कोई स्थिर प्रभाव नहीं है.

2] राहु केतु को पापी ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है और इनका प्रभाव व्यक्ति के ऊपर अकस्मात दिखाई देता है क्योंकि यह अकस्मात ग्रह है यदि कुंडली में उनकी स्थिति अच्छी होती है अर्थात कारक हो जाए मित्र राशि में बैठ जाएं तो अपनी महादशा में जातक को राजा बना देते हैं और यदि उनकी स्थिति कुंडली में खराब हो जाए अर्थात् नीच राशि में बैठ जाएं मंगल के साथ बैठ जाएं 6 8 12 भाव में बैठ जाएं तो अपनी महादशा में यहव्यक्ति को राजा से भिखारी बना देते हैं.

3] केतु को सम्मानित रूप से अध्यात्म का ग्रह माना जाता है वैराग्य का ग्रह माना जाता है इसलिए इन्हें थोड़ा सा राहु से अच्छा बताया जाता है किंतु राहु के एकदम सामने होने की वजह से केतु भी पीड़ित हो जाते हैं और दोषी बन जाते हैं लेकिन वास्तव में देखा जाए तो केतु सम्मान दिलाते हैं तथा राहु से जनित जितने भी परेशानियां होती हैं केतु उन्हें बैलेंस करने का काम करते हैं चाहे तो आप आजमां के देख सकते हैं कुंडली में आपको इस बात की पुष्टि मिल जाएगी.

4] राहु की मित्र राशियां कन्या वृषभ मिथुन तुला मकर और कुंभ है. तथा राहु कन्या राशि को अपनी राशि मानते हैं पसंद करते हैं और केतु मीन राशि को अपनी राशि मानते हैं क्योंकि मीन राशि का स्वामी गुरु भी आध्यात्मिकता से जुड़े हैं और केतु भी इसी प्रकार का स्वभाव रखते हैं और इन्हें भी गुरुवात दृष्टि प्राप्त है.
5] केतु की मित्र राशियां मीन धनु वृक्ष मेष वृश्चिक है वास्तव में यह भी मित्र राशि नहीं है क्योंकि राहुल केतु छाया ग्रह हैं और ब्रह्म पैदा करते हैं जिस ग्रह की राशि में बैठेंगे उसी के प्रकार अपना फल देते हैं तो आप यदि इस प्रकार से देखेंगे तो ज्यादा श्रेष्ठ रिजल्ट आप राहु केतु का बता सकते हैं.
6] कुछ विद्वानों ने राहु को वृषभ में उच्च बताया है तो कुछ विद्वानों ने मिथुन राशि में राहु को कुछ बताया है और वृश्चिक में इन्हें नीचे बताया जाता है विश्लेषण करते समय आप दोनों ही राशि में इन्हें उच्च रूप प्रदान कर सकते हैं दोनों में सत्यता पाए जाएंगे.

7] केतु को धुन में नीचे का बताया गया है लेकिन यह तथ्य पूर्ण रूप से सत्य नहीं है क्योंकि धुन भी गुरु की राशि है और गुरु नीच का फल नहीं देते.

8] जुआ ताश सट्टा शेयर मार्केट आदि जगहों पर राहु का आधिपत्य हैं और इन सब चीजों से जो भी लोग धन कमाते हैं उनकी कुंडली में राहु और बुध की स्थिति उत्तम होती है क्योंकि इन्हीं चीजों से अकस्मात धन की प्राप्ति लोगों को प्राप्त होती है .

9] जिनकी कुंडली में राहु केतु बलवान होते हैं ऐसे जातकों को कम मेहनत में भी बहुत अच्छी सफलता प्राप्त हो जाती है और सम्मान भी इन्हें मिल जाता है.

10] राहु एक प्रकार से पागल ग्रह है और जिस भी भाव में बैठेगा उसे भाव में पागलपन डाल देगा उसे रिश्ते को पागल कर देगा इनका तृतीय हाउस में बैठना तथा दशम भाव में बैठना और एकादश भाव में बैठना श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि व्यक्ति अगर पराक्रम के लिए कर्म के लिए आए के लिए पागल है तो यह अच्छी बात है.
केंद्र में हमारे रिश्ते जुड़े हैं इसलिए यह राहु यहां बैठ जाए तो उसे भाव से संबंधित जो रिश्ता होता है उसे परेशान करते हैं .


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