पितृदोष
#पितृदोष कलयुग में लोगो को बहुत बुरी तरीके से मारता है।
लोग समझ ही नही पाते है।जब तक उनकी आंख खुलती है तब तक पितृदोष उनकी जिंदगी को तहस नहस कर चुका होता है।
पितृदोष कभी भी पूरे घर परिवार को अपनी चपेट में लेता है।इसका प्रभाव घर के सभी सदस्यों के ऊपर पड़ता है और पितृदोष के प्रभाव के कारण पूरा घर बुरी तरीके से प्रभावित होता है।
जीवन में कोई भी उपाय काम न करे तो समझ लेना चाहिए की जिंदगी अब पितृदोष से घिर चुकी है।
इसलिए पितृदोष को ठीक करने के लिए सबसे पहले घर का इलाज करना जरूरी होता है।जब तक घर का इलाज नहीं किया जाता है तब तक आप चाहे कितने भी उपाय कर लीजिए पितृदोष अपना दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता है।
घर का इलाज वास्तु उपायों से करना होता है,जब तक घर की वास्तु व्यवस्था न बिगड़े तब तक पितृदोष अपना कोई विशेष दुष्प्रभाव घर में नही डाल पाता है।
अगर अपने घर की व्यवस्था को वास्तु से मजबूत किया जाए तो पितृदोष निष्क्रिय हो जाता है और अपना प्रभाव नहीं दे पाता है।
इसलिए हमारे शास्त्रों में वास्तु का बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
घर का वास्तु जितना मजबूत होगा,घर की किलाबंदी उतनी ही पावरफुल रहेगी।
याद रखिए पितृदोष एक्टिव होने से पहले हमेशा घर में पहले बड़े बड़े वास्तुदोष निर्मित करता है,उसके बाद ही पितृदोष अपना रंग दिखाता है,
इसलिए समझदार बने और अपने घर को हमेशा वास्तु अनुकूल बना कर रखे,
जन्म कुंडली में मौजूद पितृदोष को तो आप और हम नही बदल सकते है ये जन्म कुंडली में है तो आप इसको आगे पीछे नहीं कर सकते है।परंतु हम अपने घर के वास्तु को तो सुधार सकते है।ये अधिकार तो ईश्वर ने हमें दिया है।हम अपने घर के वास्तु को सुधार कर अपनी आनी वाली संतानों को भीं पितृदोष से मुक्त रख सकते है।
कुंडली में मौजूद पितृदोष वास्तुदोष के रंग में रंग कर ही घात लगा कर हमला करता है।इसलिए हमेशा घर को वास्तु अनुसार बनाए और सुखी जीवन जिए।
जन्म कुंडली में अगर सूर्य का पितृदोष बने तो पिता पुत्र में दुश्मनी हो जाती है या पिता लाइलाज बीमारियो के शिकार होकर समय से पहले ही दुनिया से चले जाते है।सूर्य ka पितृदोष जीवन में एक बार इज्जत और नाम को भीं खराब और बदनाम करता है।
चंद्रमा का पितृदोष माता से दूर कर देता है,हमेशा धन के उतार चढ़ाव में डालता है,और मानसिक परेशानियां पैदा करता है।
मंगल का पितृदोष अपने ही भाईयो को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बना देता है और लंबे भूमि विवादो में धकेल देता है,खून की बीमारियां देता है और कोर्ट केस में भी धकेलता है।
बुध का पितृदोष घर की बहन बेटियों की जिंदगी को नरक बना देता है,और उनके जीवन में दुखों का कोई अंत ही नही होता है।या बहन बेटियां घर छोड़ कर भाग जाती है और वापस कभी नही आती है।
गुरु का पितृदोष एक बार आगे बढ़ा कर फिर वापस पीछे ले आता है और इंसान दिन रात 24 घंटे मेहनत करने के बावजूद आगे ही नही बढ़ पाता है,वह आज भी खुद को वही खड़ा पाता है जहा वह 20 साल 30 साल पहले था।
गुरु का पितृदोष पूरे परिवार की प्रगति को रोक देता है,दुनिया आगे बढ़ती दिखाई देती है और उनका परिवार पीछे खिचकता महसूस होता है,
गुरु का पितृदोष धीरे धीरे कर्ज को लगातार बढ़ाते जाते है और घर की संपत्ति में, रिश्तों में,व्यापार में,नेटवर्क में,स्वास्थ्य में कमी करता है।
शुक्र का पितृदोष पति पत्नी को एक दूजे का दुश्मन बना देता है या दोनो में बड़े चरित्र दोष पैदा होते है,घर में एक दूजे के साथ जीना मुश्किल हो जाता है।
शुक्र का पितृदोष पत्नी के स्वास्थ्य पर भी जबरदस्त तरीके से हमला करता है और उसको कोई न कोई शारीरिक समस्या में उलझाए रखता है।
शनि का पितृदोष अपने चाचा ताऊ से विवाद देता है दूरी बनाता है,
और शनि का पितृदोष गहरा हो तो कमर,घुटनों या रीड की हड्डियों में ऐसी समस्याएं पैदा करता है की कैसी भी दवाई खा लेने के बावजूद ये समस्याएं नही जाती है।इंसान न ठीक से चल पाता है न बैठ पाता है और न सो पाता है।
पितृदोष कोई भी हो पर घर में सब का जीना मुश्किल कर देता है।सुबह शाम लड़ाई झगड़े होना घर में आम बात हो जाती है।घर में गाली गलौज करना,चीखना चिल्लाना,एक दूजे पर हाथ उठाना और मरने मारने पर उतर जाना,बीमारियो पर लगातार पैसा खर्च होना और कर्ज का घर पर बढ़ते ही चले जाना पितृदोष की प्रमुख निशानियां है।
पितृदोष को ठीक करने के लिए जन्म कुंडली अनुसार उपाय करना जरूरी होता है तभी सही से लाभ मिलता है,इसके लिए आप अपनी जन्म कुंडली विश्लेषण जरूर करवाए।
आप अपनी जन्म कुंडली के विश्लेष्ण और पितृदोष के जन्म कुंडली अनुसार सटीक उपाय प्राप्त करने हेतु हम से भी 9867733353 पर संपर्क कर सकते है।
पर्सनल सलाह हेतु हमारी सामान्य फीस है,इसकी जानकारी आप हमारे पेज पर जाकर प्राप्त करे या हमे msg करे।
पितृदोष के लिए सामान्य उपाय आप ये भी कर सकते है और अपने जीवन में से दुख परेशानियों को दूर कर सकते है।
घर में भागवत का पाठ करवाने से,घर में समय समय पर ब्राह्मणों को भोजन कराने से,अमावस्या को कौवों को खीर खिलाने से,अमावस्या को गरीब लोगो को अपनी श्रद्धा अनुसार भोजन कराने से या उन्हे भोजन सामग्री दान करते रहने से पितृदोष के पड़ने वाले दुष्प्रभावों में कमी आती है।
घर में नित्य गायत्री मंत्र का जप करने से,मंदिरों और तीर्थ स्थानों के दर्शन करते रहने से तथा वहा पर दान पुण्य करने से लाभ होता है,
अमावस्या के दिन सुखा नारियल ले और उसमे रवा सेक कर शक्कर,काले तिल और देशी घी मिला कर भर ले और उसको किसी पीपल,बरगद के पेड़ के नीच जमीन में दबाए, उस समय आप का मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए,तथा ये कार्य करते समय अपने पितरों से आप के जीवन के दुख दूर करने की कामना करे,
अपने घर में से जूना पुराना खराब जंग लगा लोहे का सामान,कबाड़ आदि हटाए,
घर में जाले छिपकलियां आदि न आने दे,घर में कबूतर लाल चीटियां आदि अधिक न आए,आए तो घर में साफ सफाई का ख्याल रखे तो धीरे धीरे ये आना बंद हो जाते है।
घर के अंदर अनुशासन बना कर रखे,
प्रतिदिन समय पर सोने और उठने की आदत डाले,सुबह के बाद देर तक घर में कोई न सोए,
घर की छत,सीढियां और टॉयलेट की व्यवस्था हमेशा साफ और स्वच्छ रखे।
घर में दिन पर पड़े न रहे,घर में सामान अस्त व्यस्त पड़ा न रखे,
घर में भोजन की बरबादी न हो,घर में बंद और खराब इलेक्ट्रोनिक सामान जमा कर पड़ा न रखे।
घर में बहुत अधिक किताबे note books आदि जमा कर न रखे।
कम सामान के साथ जीना सीखे,घर में ठूंस ठूंस कर सामान न भरे,
घर में अलग अलग मन मर्जी से रंग न करे।
घर के दरवाजे खिड़कियां सब दुरुस्त रखें।
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