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Showing posts from April, 2025

विवाह

भृगु संहिता के अनुसार, जानें कैसा होगा विवाह के बाद लड़की का भविष्य       सामान्यत: सभी माता-पिता अपनी कन्या का विवाह करने के लिए वर की कुंडली का गुण मिलान करते हैं। कन्या के भविष्य के प्रति चिंतित माता-पिता का यह कदम उचित है। किन्तु इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए कि लड़की का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा? उसका पति किस वर्ण का, किस सामाजिक स्तर का तथा कितने भाई-बहनों वाला होगा? ज्योतिष के अनुसार यह पता किया जा सकता है कि किसी व्यक्ति के जीवन साथी का स्वभाव और भविष्य कैसा हो सकता है। यहां भृगु संहिता के अनुसार बताया जा रहा है कि किसी स्त्री के जीवन साथी का स्वभाव कैसा और उनका वैवाहिक जीवन कैसा होगा।  कुंडली का सप्तम भाव विवाह का कारक स्थान माना जाता है। अलग-अलग लग्न के अनुसार इस भाव की राशि और स्वामी भी बदल जाते हैं। अत: यहां जैसी राशि रहती है, व्यक्ति का जीवन साथी भी वैसा ही होता है। लड़की की जन्म लग्न कुंडली से उसके होने वाले पति एवं ससुराल के विषय में सब कुछ स्पष्टत: पता चल सकता है। ज्योतिष विज्ञान में फलित शास्त्र के अनुसार लड़की की ...

मारक ग्रह

*मारक शनि, राहु ,केतु के उपाय व दान कब करें?* शनि, राहु , केतु के दान व उपाय सिर्फ तभी किये जायेंगे जब ये ग्रह आपके चार्ट में मारक ग्रह होंगे । यदि शनि, राहु & केतु आपके चार्ट में योगकारक ग्रह हैं तो इन ग्रहों के दान & उपाय नहीं किये जायेंगे । यदि आपके चार्ट में शनि देव की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है तोह आप शनि देव के उपाय & दान कर सकते हैं । राहु देव अगर कुण्डली में खराब हों तो नमक के पौंछे लगाना चाहिए । इससे राहु देव शांत होते हैं। शनि देव, राहु देव और केतु देवता का पाठ सूर्यास्त के बाद या सोने से पहले किया जाता है क्यूंकि ये देवता सूर्यास्त के बाद ही उदय होते है । इसी तरह इनका दान भी सूर्यास्त के बाद ही होता है । परन्तु अमावस्या वाले दिन सारे दिन में किसी भी समय हम शनि देव, राहु देव, केतु देव का पाठ और दान कर सकते हैं क्यूंकि अमावस्या होती ही शनि देव जी की है । वोह सारा दिन उपस्थित रहते हैं । मारक शनि देव के उपाय: (शनिवार को सूर्यास्त के बाद करना है) काले तिल दान करना/ चीटियों को डालना सरसों के तेल का दाल करना काली जुरावें दान करना पीपल के वृक्ष को जल देना पीपल के वृक्ष क...

राहु केतु

👉🏼जन्म कुंडली मे ज़ब राहु आपको धन देने लगे जैसे की आप किसी फर्म मे काम कर रहे है और ओ फर्म लोगो के कुछ काम को ऊपर लेकिन जाने वाली हो तो ओ लोग आपसे जुड़ना सुरु होंगे आपको अधिक से अधिक लालच देना सुरु करेंगे और आप जो ज्यादा कमिशन देरा हो उसका काम कर रहे है मतलब की चारो तरफ से पैंसा आरा हो आप भोग कर रहे उसका तोह तब समझना चाइये की केतु आपकी एक गलती का इंतजार कर रहाँ है असल राहु का दिया धन का व्यक्ति खुद नी भोगता ओ जो पैंसा लेता है उससे बीवी, माँ, बच्चों, भाई के नाम पे किसी न किसी रूप रखता है मतलब उसे राहु सिर्फ हाथ मे आये धन का सुख देता है असल का सुख ओ दूसरे के नाम कर देता है और ज़ब केतु का गुप्त रूप से सुरु होता है तोह लोग गुप्त रूप से ही आपको दुबाने की तैयार बैठे होते है जिनमे आपका अपना भी शामिल होगा अब काम भी जाता है इज्जत भी.. जो धन आपने जिसके नाम पे जिसको दिया है जरा मांग के देखो कुछ नी मिलेगा कोई मदद नहीं करेगा आपको अपने दिए पैसे भिकारी की तरह माँगने पड़ेंगे तब भी नी मिलेंगे न बीवी देगी न माँ न भाई, अजीब है न ये यही केतु का असर है राहु ने तोह दे के छोड़ दिया, अब मारा मारा फिरके न काम मिल...

में ही शनि हु

मै ही शनि हूँ...? (पुनः प्रेषित) 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ पाठको! नमस्कार, आप घबराइये नहीं, हाँ, मेरा ही नाम शनि है। लोगों ने बिना वजह मुझे हमेशा नुकसान पहुँचाने वाला ग्रह बताया है। फलस्वरूप लोग मेरे नाम से डर जाते हैं। मैं आपको यह स्पष्ट कर देना अपना दायित्व समझता हूँ कि मैं किसी भी व्यक्ति को अकारण परेशान नहीं करता। हाँ, यह बात अलग है कि मैंने जब भगवान् शिव की उपासना की थी, तब उन्होंने मुझे दण्डनायक ग्रह घोषित करके नवग्रहों में स्थान प्रदान किया था। यही कारण है कि मैं मनुष्य हो या देव, पशु हो या पक्षी, राजा हो या रंक-सब के लिये उनके कर्मानुसार उनके दण्ड का निर्णय करता हूँ तथा दण्ड देने में निष्पक्ष निर्णय लेता हूँ फिर चाहे व्यक्ति का कर्म इस जन्म का हो या पूर्वजन्म का। सत्ययुग में ही नहीं, कलियुग में भी न्यायपालिका द्वारा चोरी-अपराध आदि की सजा देने का प्रावधान है। यह व्यवस्था समाज को आपराधिक प्रवृत्ति से बचाये रखने हेतु की गयी है, जिससे स्वच्छ समाज का निर्माण हो तथा अपराध पुनरावृत्ति न हो। मेरी निष्पक्षता और मेरा दण्डविधा जगजाहिर है। यदि अपराध या गलती की है तो देव हो या मनुष्य, पशु हो या पक...