कर्ज
||#बहुत_कर्ज_है_कब_तक_उतरेगा_और_उपाय?|| कर्ज(ऋण) कई तरह के होते है यहां बात करनी आर्थिक कर्ज की, रुपये पैसे की।कई जातक धन की कमी या धन सेविंग के कारण या मकान बनाने के कारण या किसी अन्य काम को पूरा करने के लिए जो पैसे से होता है उसके लिए बैंक, आर्थिक सरकारी संस्थाओं, या कही से आदि से कर्ज ले लेते है।अब कर्ज ले लेने के बाद क्या वह उतर पायेगा और क्या जिस काम के लिए कर्ज लिया गया है वह हो पायेगा और कर्ज से मुक्ति मिल पाएगी इसके क्या ग्रह योग होते है? अब उस पर बात करते है।। जन्मकुंडली का छठा भाव कर्ज और दूसरा भाव धन का होता है।कर्ज लेकर आसानी से उतर सके और कर्ज से पूरी तरह मुक्ति मिले इसके लिए छठे भाव इस भाव के स्वामी और वर्तमान और भविष्य में चलने वाली दशाओ का अध्ययन जरूरी होता है कि वह शुभ या अशुभ कैसी स्थिति में है?. जब छठे भाव का स्वामी, छठा भाव और वर्तमान भविष्य में चलने वाली महादशा-अन्तरदशाये शुभ और बलवान होगी तब जातक कर्ज उतार देता है या यह कहू कर्ज उतर जाता है क्योंकि कर्ज़ और कर्ज़ से सम्बंधित भाव और दशाएं बलवान है।। अब इसके विपरीत जब छठा भाव इसका स्वामी और वर्तमान में चल रही ग्रह की महादशा-अंतरदशा, भविष्य में आने वाली ग्रह की महादशा-अंतरदशा अशुभ ,पीड़ित या कमजोर है तब कर्ज से मुक्ति आसान नही होगी और कर्ज आदि उतारने में दिक्क्क्त आएगी, ऐसी स्थिति में यदि कुंडली का दूसरा भाव जो कि धन का है वह भी कमजोर हुआ तब दिक्क्क्त ज्यादा होगी , ऐसी स्थिति में कर्ज के कारण जातक को काफी दिक्क्क्त रहेगी हालांकि यहाँ उपाय करने से लाभ लिया जा सकता है बाकी छठा भाव भावेश, दशाएं और धन भाव की स्थिति अच्छी होगी तब समय से और बिना किसी दिक्क्क्त के कर्ज उतर जाता है क्योंकि ग्रह दशा, छठा भाव,दूसरा भाव अच्छा होने से स्थिति शुभ होती है।अब कुछ उदाहरणों से समझते है। #उदाहरण_प्रथम_मेष_लग्न_अनुसार, मेष लग्न में छठे भाव स्वामी बुध बनता है अब यहाँ यदि बुध बलवान होकर शुभ स्थिति में होगा जैसे छठे भाव मे ही हो, और दूसरा भाव धन का भाव अच्छी अवस्था मे होगा तो कर्ज उतरेगा, सब उतरेगा कब?, जैसे जब यही छठे भाव के स्वामी बुध या दूसरे भाव धन स्वामी की दशाएं होगी या छठे भाव मे बेथे किसी शुभ स्थिति में बेठे ग्रह की दशा का समय आएगा तब पूरा कर्ज उतर जाएगा।। #उदाहरण_द्वितीय_तुला_लग्न_अनुसार, तुला लग्न के जातको की कुंडली मे छठे भाव का स्वामी गुरु बनता है अब गुरु यहाँ शुभ स्थिति में हो जैसे उच्च हो अपनी ही राशि का हो , जैसे तीसरे भाव मे अपनी धनु राशि मे बेठे साथ ही छठे भाव पर और छठे भाव स्वामी गुरु पर किसी भी पाप ग्रहः की दृष्टि न हो और छठे भाव मे या छठे भाव के स्वामी गुरु के साथ किसी भी तरह का अशुभ योग न बन रहा हो , शुभ योग बनता हो तो बहुत अच्छी बात है, तब कर्ज बहुत आसानी से उतरेगा, चाहे आर्थिक स्थिति जातक की सामान्य कययु न हो कर्ज उतरेगा।। अब यहाँ एक उदाहरण से और समझते की कर्ज कब नही ऊतर पाता और दिक्कते होती है? #उदाहरण_धनु_लग्न_अनुसार, अब यहाँ छठे भाव का स्वामी शुक्र होता है साथ ही धन भाव स्वामी शनि बनता है।अब यहां छठे भाव का स्वामी शुक्र पीड़ित हो जैसे राहु के साथ हो और राहु का दृष्टि आदि प्रभाव छठे भाव पर भी पढ़े, और धन भाव स्वामी शनि की स्थिति भी कही न कही अशुभ हो, तब यहॉ छठे भाव स्वामी शुक्र पर राहु का प्रभाव और छठे भाव के भी दूषित होने से कर्ज उतरने में दिक्क्क्त आएगी और धनेश शनि भी अशुभ है इस कारण समस्या यहाँ ज्यादा रहेगी।किंतु ऐसी स्थिति में महादशा अंतरदशा जातक को वर्तमान और भविष्य में अच्छी मिलेगी तब समस्या तो आएगी लेकिन ग्रह दशाओ का समय अच्छा होने से समाधान हो जाएगा , ऐसे रास्ते जातक को मिल जायेंगे जिससे समाधान होगा कर्ज से भी मुक्ति मिकेगी दिक्कतों का बाद क्योंकि छठा भाव भावेश पीड़ित होगा तो दिक्क्क्त तो होंगी।। कम शब्दों में कहू तो जब छठा भाव, इसका स्वामी अच्छी अवस्था मे होंगे तो कर्ज तो समय से उतर जाएगा साथ ही दूसरा और ग्यारहवा भाव भी अच्छी अवस्था मे होगा तब कर्ज जातक को मिल भी आसानी से जाता है और कर्ज लेने के बाद जातक जिस काम के लिए भी कर्ज लेता है उसमें लाभ रहता है।।
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