विवाह और 2–7–11 भाव का रहस्य ✨
✨ विवाह और 2–7–11 भाव का रहस्य ✨
ज्योतिष में विवाह कोई साधारण घटना नहीं, यह कर्मों का फल और जीवन की बड़ी जिम्मेदारी मानी जाती है।
कुंडली में विवाह देखने के लिए तीन मुख्य भाव सबसे महत्वपूर्ण हैं – दूसरा, सातवाँ और ग्यारहवाँ भाव।
🌸 2nd भाव – परिवार और नया घराना
यह भाव बताता है कि शादी के बाद नया परिवार कैसे बनेगा।
यदि 2nd भाव मज़बूत है तो शादी के बाद सुख-समृद्धि और परिवार का सहयोग मिलता है।ASTRO SHYRA OBEROI
🌸 7th भाव – जीवनसाथी और दांपत्य
यह सीधा विवाह का भाव है।
यह बताता है कि जीवनसाथी कैसा होगा, रिश्ता कब बनेगा और शादी स्थायी रहेगी या नहीं।
🌸 11th भाव – इच्छाएँ और समाज की स्वीकृति
विवाह सिर्फ़ दो लोगों का नहीं होता, यह समाज में स्वीकार्यता का विषय भी है।
11वें भाव की सक्रियता के बिना शादी पूरी नहीं मानी जाती।
🔮 कैसे पता चलता है शादी का समय?
1. दशा और अंतरदशा
जब 2, 7 या 11वें भाव का स्वामी या उनसे जुड़े ग्रहों की दशा चल रही हो, विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है।
2. ग्रहों का गोचर
जब बृहस्पति या शुक्र इन भावों से गुजरते हैं या उन पर दृष्टि डालते हैं, तब विवाह के योग मजबूत हो जाते हैं।
3. ग्रहों की दृष्टि
शुभ ग्रहों (बृहस्पति, चंद्र, शुक्र) की दृष्टि विवाह को शीघ्र और मधुर बनाती है।
शनि या मंगल की दृष्टि देरी तो देती है, लेकिन विवाह स्थायी भी बना सकती है।
🌿 कुछ खास संकेत
पुरुष की कुंडली में शुक्र और महिला की कुंडली में बृहस्पति विवाह के निर्णायक ग्रह माने जाते हैं।
7वें भाव में शुभ ग्रह हों तो जल्दी विवाह, पाप ग्रह हों तो देरी या संघर्ष।
11वें भाव की सक्रियता होने पर रिश्ते पक्के होकर विवाह तक पहुँचते हैं।
🧘 सारांश
विवाह तभी संभव होता है जब 2nd + 7th + 11th भाव एक साथ सक्रिय हों।
यह सिर्फ़ प्रेम या इच्छा से नहीं होता, बल्कि समय (दशा), ग्रहों का आशीर्वाद और सामाजिक स्वीकृति से पूरा होता है।
👉 इसलिए विवाह की सही भविष्यवाणी करने के लिए हमेशा इन तीन भावों को मिलाकर देखना चाहिए।
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