अष्टम भाव से संबंधित फल सूत्र

अष्टम भाव से संबंधित फल सूत्र
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अष्टम यानी आयु भाव, इस नाते यदि अष्टमेश केंद्र भाव में हो तो आयु लंबी होती है।

यदि लग्नेश और अष्टमेश अशुभ प्रभाव में अष्टम भाव में हो तो आयु छोटी होती है।

यदि दशमेश या शनि अशुभ प्रभाव में हो या अष्टम भाव में हो तो आयु लंबी होती है।

यदि छठे भाव का स्वामी ग्रह 12 में, अष्टम का स्वामी ग्रह अष्टम भाव में , बाहरवें भाव का स्वामी ग्रह 12वे भाव में ही हो तो भी आयु लंबी होती है।

यदि 6 और 12 भाव का स्वामी लग्न भाव में, 1, 5 और 8 भाव के स्वामी ग्रह अपनी या उच्च राशि के हो तो भी आयु लंबी होती है।

यदि 1, 8, 10 भाव के स्वामी ग्रह केंद्र, त्रिकोण या लाभ भाव में हो तो भी आयु लंबी होती है।

यदि लग्नेश अशुभ प्रभाव में कमज़ोर हो और अष्टमेश केंद्र में हो तो आयु छोटी होती है।

यदि अष्टम भाव में मंगल शनि या मंगल राहू युति हो तो वाहन दुर्घटना का योग बनता है।

यदि अष्टम भाव को शुभ ग्रह देखते हो तो जातक को ससुराल से लाभ होता है, शादी के बाद आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।

यदि अष्टम भाव को अशुभ ग्रह देखते हो तो ससुराल से समस्या आती है, जातक को अनचाहे स्थान परिवर्तन की स्थिति का सामना करना पड़ता है।

अष्टमेश जिस भाव पर दृष्टि देता है उस भाव के पूर्ण फल नष्ट होते हैं, जैसे कि यदि अष्टमेश लाभ स्थान को देखे तो जातक को मेहनत के मुताबिक लाभ नहीं मिलता, धन प्राप्ति में बाधा आती है ।

यदि अष्टम भाव में चंद्रमा अन्य अशुभ ग्रह से पीड़ित हो तो खून से संबंधित, हृदय या मूत्र अंगो संबंधी रोग का योग बनता है।

यदि अष्टम भाव का संबंध तीसरे, पंचम, दसम या एकादश भाव से बने तो अचानक धन लाभ का योग बनता है।

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