कन्या राशि

--------• खाना no 6 या कन्या राशि •--------

इसको Key 🗝️ and Lock 🔒 Mechanism Model से समझा जाना चाहिए...🔐

कन्या राशि को काल पुरुष कुंडली में हम सब लोग छठे स्थान पर देखते हैं... मेरे दृष्टिकोण के मुताबिक यदि कोई दैवज्ञ किसी भाव यानी house के विषय में गहराई से समझेगा तो उसको उस भाव में काल पुरुष के अनुसार पड़ने वाली राशि के जैसे हूबहू स्वभाव का मिलता है यानी पहले हम छठे भाव को समझने का प्रयास करते हैं वैसी ही हमें कन्या राशि की स्थिति समझ में आयेगी...

कन्या राशि बुध की मूल त्रिकोण राशि है और छठे भाव में बैठने के कारण इसके अंदर त्रिक स्वभाव है या यूं कह लें कि बाधक स्वभाव है...

यह राशि बुध की है और Lock and Key Mechanism में बुध चाभी है जो ताले को खोलती है..
यानी अक्लेकी चाभी यानी जातक का जैसा बुध होगा उसके अंदर समस्या को सुलझाने वाला दिमाग यानी चाभी उतनी ही शानदार होगी...

अब प्रश्न उठता है कि ये लॉक कौन सा है या क्या है..?

दरअसल, छठा भाव पाताल लोक का कहा गया है पर मेरा मानना है की छठा घर भू लोक से नीचे की ओर जितने भी लोक हैं उन तक जाने का मार्ग है..
और पाताल का कारकत्व केतु के हाथ हैं जिसको हम लॉक यानी ताला मान रहे हैं यानी समस्याएं...

रोग, ऋण और शत्रु और यहीं दफन है हमारे पिछले जन्मों के कर्मों के फल यहीं केतु के पास जो पाप कर्म है उनका फल और जो हमारे ऊपर किसी का ऋण है तो उसका फल यहीं कैद होता है...

लाल किताब खाना no 6 को केतु का भाव कहती है पर साधारणतयः कोई लॉजिकल एक्सप्लेनेशन का अभाव महसूस होता है मैने वहां प्रकाश डालते हुए पाया कि खान no 6 केतु की जगह है.. पाताल लोक की ओर जाने वाला मार्ग, और इतना ही नहीं दरअसल यह भाव 2 हिस्सों में व्यवस्थित है..
एक तो जमीन से जुड़ा हुआ धरातल पर जैसे एक कोई लेबोरेट्री बनी हुई हो पर वहीं उसके नीचे अंडरग्राउंड में खूब गहराई में भी कई विभिन्न विभिन्न प्रकार की चुनौतीपूर्ण स्थितियां होती हैं जो जीवन को खतरे में डाल सकती हैं...

अभी जल्दी जल्दी में कन्या राशि के विषय में समझ कर हम देखते हैं की केतु को आखिर यहां क्या काम मिलता है..

कोई भी ग्रह एवं कोई भी ग्रह जो भी खाना नंबर 6 में बैठेगा या कन्या राशि में बैठेगा वह अंडरग्राउंड लैब बेसमेंट में बैठेगा ऐसा मानेंगे बुध के कारण यहां पर इस भाव में हर एक ताले के लिए (यहां हर ताला केतु है) बुद्ध ने चाबी बना रखी है तो हर ताले के लिए हर चाबी मौजूद है...

परंतु जितना बुद्ध इस भाव को जानता है उतना ही केतु भी इस भाव को जानता है क्योंकि केतु पाताल में ही रहता है इसलिए पाताल में छुपी हुई वस्तुओं रखी हुई अन्य व्यवस्थाओं से केतु भली भांति परिचित है जबकि बुद्ध को यहां इस भाव में बढ़त प्राप्त है यदि इस राशि में कन्या में या इस भाव में बुध और केतु की संयुक्त अवस्था हो तो दोनों ही उच्च फल के कहे जाते हैं जबकि केतु शुक्र का परम मित्र है केतु और शुक्र कन्या राशि में या छठे भाव में दोनों ही नीचे अवस्था के माने जाते हैं।

अब होता यह है की जो भी ग्रह खाना नंबर 6 में जाता है या कन्या राशि में बैठता है उसको कुंडली वाले की बाधा हटाने बाधक भाव में जाना पड़ता है ऐसा हम मानते हैं जैसे मान लो की सिंह लग्न में मंगल खाना नंबर 6 में जाए तो यह मंगल इस बात को दर्शाइए कि जातक अपने पराक्रम और साहस के दम पर समस्याओं को सुलझाने में महारथी होता है पर यदि कुंडली में केतु कहीं भी बैठकर गड़बड़ हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि ताला बहुत मजबूत है और बुद्ध अच्छा हुआ तो खोजने वाला या समस्या को सुलझाने वाला ग्रह है उसे चाबी की बदौलत उसे ताले को खोल लेगा.

केतू एक वफादार जानवर है कुत्ता है..

अगर केतु 6 में बैठा है यानी केतु खूब ताले बनाएगा यानी समस्याओं को जन्म ।देता रहेगा, और वैसे यह बुरी बात नहीं है वो इसलिए क्योंकि जब केतु जीवन में परेशानियां भेज रहा हो तो वो पुरानी पाप कर्म के फलों को भुगतवा कर नष्ट कर रहे हैं...

तो कन्या राशि में केतु प्रारब्ध से प्रतीत होकर  रोग, ऋण और शत्रु पैदा करता रहेगा...

जबकि बुध अभी मीन राशि में ही हैं... और मीन का बुध राहु से मिले हैं और इसलिए हुआ यह है कि बुध+राहु= नकली गुरु का रूप रख कर केतु द्वारा पाताल से खोद खोद कर आपके द्वारा किया गए पाप कर्म फलों का संचित भंडार, जातक पर फेंकता है पर 

बुध राहु के कारण चाभी कहीं खो गई है या गायब कर दी गई है...
इससे केतु के कोई उपाय या दान काम नही करेंगे क्योंकि यह नकली गुरु बने बैठे राहु+बुध.. केतु को मूर्ख बनाने का कार्य कर रहे हैं...
और फलों का भुगतान जातक को करना पड़ ही जाएगा..
पर जब बुध मेष राशि में चले जाएंगे... हम देखेंगे कि बुध यानी पाप कर्म को फ्री करने की चाभी के विषय में जातक अब पता लगाना चालू करेगा, की framework design करेगा और गुरु बुध से यह जानकारी लेकर बाद में केतु को मुक्त करेंगे जब वो स्वयं वृष राशि में पहुंचेंगे...

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