क्रूर गृह
मंगल ही नहीं और भी क्रूर ग्रह हैं #वैवाहिक सम्बन्ध खराब करतें हैं।।
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आप यह तो अवश्य ही जानते होंगे कि कुण्डली में 1,4,7,8 व 12वें भाव में मंगल के होने अथवा उसकी दृष्टि होने पर वैवाहिक जीवन तहस नहस हो जाता है, परन्तु यह भी जानना आवश्यक है कि शनि, राहु, केतु, सूर्य व गुरु भी अकेले सातवें भाव में मौजूद हों तो वह वैवाहिक सम्बन्ध बिगाड़ देते हैं ! यही नहीं शनि यदि लग्न में, पाँचवे भाव में, आठवें भाव, दसवें भाव में भी मौजूद हों तो भी वह वैवाहिक जीवन खराब करते हैं, यही नहीं विवाह में बाधा डाल कर विवाह में विलम्ब भी कराते हैं
शनि की दृष्टि यदि सप्तमेश पर पड़ रही हो तब भी विवाह में अड़चन आयेगी व शादी विलम्ब से होगी ! यदि कुण्डली कन्या की है और शनि की दृष्टि कन्याओं के विवाह के कारक ग्रह वृहस्पति पर हो तब भी उसका विवाह विलम्ब से होगा, वहीं वर की कुण्डली में उसके विवाह के कारक ग्रह शुक्र पर यदि शनि की दृष्टि होगी तब भी विवाह विलम्ब से होगा ! शनि की सातवी दृष्टि के अलावा तीसरी व दशवीं दृष्टि भी मानी गयी है इनमें से सभी दृष्टि कुप्रभाव ही देती हैं !
परन्तु इसका एक अपवाद भी है, जो #ज्योतिष के निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है :--
" शनी क्षेत्रे यदा जीवः, जीव क्षेत्रे यदा शनिः !
स्थान हानि करो जीवः, स्थान वृद्धिः करो शनिः !!
अर्थात शनि के स्वामित्व वाली मकर व कुम्भ राशियों में से किसी में यदि वृहस्पति (जीव) बैठ जांय और वृहस्पति के स्वामित्व वाली धनु व मीन राशियों में से किसी में शनि विराजमान हो जांय तब गुरू (जीव) तो उस भाव की हानि करेंगे और शनि उस भाव की वृद्धि करेंगे ! यह नियम केवल इन चार राशियों तक ही सीमित है, अन्य भावों में ऐसा प्रभाव देखने को नहीं मिलता है ! परन्तु शनि की दृष्टि अनिष्टकारी है और गुरू की दृष्टि शुभ फल देने वाली व लाभकारी होती है ! अतः गुरू जहाँ मौजूद होंगे उस भाव को भले खराब करें लेकिन उनकी जहाँ 5वीं, 7वीं, 9वीं दृष्टि पड़ेगी उस भाव की वृद्धि करेंगे ! पर शनि इसका ठीक उल्टा प्रभाव देता है !
शनि की वजह से विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन प्रभावित हो रहा हो तब हनुमानजी की उपासना अथवा शनि के पिता सूर्य या आराध्य देव शंकर भगवान की पूजा आराधना करने पर शनि का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है !
#राहु सातवें घर के अलावा लग्न में तीसरे भाव मे, ग्यारहवे भाव में भी स्थित है तो वह वैवाहिक जीवन पर कुप्रभाव डालेगा, विवाह में विलम्ब करायेगा !
राहु के कुप्रभाव से बचने हेतु सरस्वती या गणेश जी की पूजा उपासना करने पर राहु शांत हो जाता है और उसका बुरा प्रभाव दूर हो जाता है !
🙇#जयश्रीसीताराम 🙇
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