क्रूर गृह
मंगल ही नहीं और भी क्रूर ग्रह हैं #वैवाहिक सम्बन्ध खराब करतें हैं।। =================================== आप यह तो अवश्य ही जानते होंगे कि कुण्डली में 1,4,7,8 व 12वें भाव में मंगल के होने अथवा उसकी दृष्टि होने पर वैवाहिक जीवन तहस नहस हो जाता है, परन्तु यह भी जानना आवश्यक है कि शनि, राहु, केतु, सूर्य व गुरु भी अकेले सातवें भाव में मौजूद हों तो वह वैवाहिक सम्बन्ध बिगाड़ देते हैं ! यही नहीं शनि यदि लग्न में, पाँचवे भाव में, आठवें भाव, दसवें भाव में भी मौजूद हों तो भी वह वैवाहिक जीवन खराब करते हैं, यही नहीं विवाह में बाधा डाल कर विवाह में विलम्ब भी कराते हैं शनि की दृष्टि यदि सप्तमेश पर पड़ रही हो तब भी विवाह में अड़चन आयेगी व शादी विलम्ब से होगी ! यदि कुण्डली कन्या की है और शनि की दृष्टि कन्याओं के विवाह के कारक ग्रह वृहस्पति पर हो तब भी उसका विवाह विलम्ब से होगा, वहीं वर की कुण्डली में उसके विवाह के कारक ग्रह शुक्र पर यदि शनि की दृष्टि होगी तब भी विवाह विलम्ब से होगा ! शनि की सातवी दृष्टि के अलावा तीसरी व दशवीं दृष्टि भी मानी गयी है इनमें से सभी दृष्टि कुप्रभाव ही देती हैं ! परन्तु इसका ...