ज्योतिष में शुक्र ग्रह
ज्योतिष में शुक्र ग्रह शुक्र को दैत्य गुरु “शुकराचार्य” कहा गया है। यह वह दिव्य ऋषि हैं जिन्हें मृत-संजीवनी विद्या का वरदान प्राप्त था – अर्थात मृत प्राणियों में पुनः जीवन डालने की कला। यही कारण है कि कुंडली में शुक्र व्यक्ति को टूटने नहीं देता, चाहे जीवन कितना भी कठिन क्यों न हो। शुक्र लक्ष्मी, सौंदर्य, वैभव, भोग, विलासिता, प्रेम, कला, संगीत, वस्त्र, सुगंध, रत्न, आकर्षण, वाहन, और विवाह सुख का कारक है। जिस कुंडली में शुक्र शुभ हो, वहाँ गरीबी लंबे समय तक टिक नहीं पाती। अब देखें – 12 भावों में शुक्र का सामान्य फल 1st भाव (लग्न में शुक्र) व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व वाला, सुंदर मुख-मंडल, कला प्रेमी, अच्छे कपड़े और सुगंध का शौकीन। समाज में सम्मान और लोकप्रियता मिलती है। जीवन में प्रेम और सफलता सहज मिलती है। 2nd भाव वाणी में मिठास, परिवार में धन-वैभव, अच्छे भोजन और गहनों का सुख। बैंक बैलेंस अच्छा, व्यापार में लाभ और वाणी से काम निकलवाने की क्षमता। 3rd भाव साहसी, रचनात्मक, संगीत–नृत्य–कला में उत्कृष्ट। छोटे भाई-बहनों से प्रेम। सोशल मीडिया, प्रदर्शन कला, लेखन या विज्ञापन में सफलता। 4th भाव मां ...