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आयुर्वेदिक

शरीर की सभी नसों को खोलने का आयुर्वेदिक समाधान.... कपूर और नींबु कितने उपयोगी है...दिन में सिर्फ़ एक बार यह साधारण सा उपाय करके देखिए, सिर के बाल से पैर की उंगली तक सारी नसें मुक्त होने का आपको स्पष्ट अनुभव होगा कि सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा, आपके शरीर की नसें मुक्त होने का स्पष्ट अनुभव होगा। हाथ–पैर में होने वाली झंझनाहट (खाली चढ़ना) तुरंत बंद हो जाती हैं, ◾पुराना घुटनों का दर्द और कमर, गर्दन या रीड की हड्डी (मणके) में कोई नस दबी या अकड़ गई है तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी, पुराना एड़ी का दर्द भी ठीक हो जाएगा।  ◾इस उपाये से बहुत से लोगों के लाखों रुपए बच सकते हैं। पैर में फटी एड़ियां और डैड स्किन रिमूव हो जाती है और पैर कोमल हो जाते हैं और इसके पीछे जो विज्ञान और आयुर्वेद है.  ◾यह उपाय करने के लिए हमें घर में ही उपलब्ध कपूर और नींबू, ये दो चीजें चाहियें। इस उपाय को करने के लिए डेढ़ से दो लीटर गुनगुना पानी लें, जिसका तापमान पैर को सहन होने जितना गरम हो, उसमे आधे नींबू का रस निचोड़े और फिर नींबू को भी उस पानी में डाल दें ◾फिर दूसरी चीज कपूर है–कोई भी कपूर हो। क...

मंगल ग्रह

ज्योतिष शास्त्र में मंगल को एक उग्र और ऊर्जा प्रधान ग्रह माना जाता है। जब मंगल अन्य ग्रहों के साथ अशुभ युति या संयोग करता है, तो यह नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है। ऐसे संयोग व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, हिंसा, विवाद, दुर्घटनाएं, मानसिक अशांति और आर्थिक समस्याएं ला सकते हैं। आइए जानते हैं मंगल की अन्य ग्रहों के साथ अशुभ युतियां और उनके प्रभाव: 1. मंगल + शनि (मंगल-शनि युति) प्रभाव: यह युति अत्यधिक संघर्ष, दुर्घटनाओं, मानसिक तनाव और कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता में देरी का कारण बनती है। व्यक्ति गुस्सैल और अस्थिर स्वभाव का हो सकता है। शारीरिक चोट, अपघात या कानूनी विवाद हो सकते हैं। यह युति विशेष रूप से तब अशुभ होती है, जब यह 6, 8, या 12वें भाव में हो। उपाय: मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। शनि और मंगल के शांति उपाय करें। 2. मंगल + राहु (अंगारक योग) प्रभाव: यह युति व्यक्ति को हिंसक, क्रोधी और दुर्घटनाओं के प्रति संवेदनशील बना देती है। जातक को गुप्त शत्रुओं और कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। परिवार में विवाद और मानसिक अशांति बनी रहती है। यह युति विशेष रूप से 1, 4, 7, 8,...

कलावा (रक्षासूत्र/मौली )

कलावा (रक्षासूत्र/मौली ) *:""""================"""""* *🔹कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?* *🔹कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?* *🔹कलावा किस दिन खोलना चाहिए ?* *🔹कलावा बांधने के फायदे तथा महत्व* *🔹पुराना कलावा कहा रखे ?* *🔹ज्योतिष विज्ञान तथा कलावा* *🔹कलावा तथा आयुर्वेद 🧵* *(कृपया अंत तक पढ़े)* *रक्षा सूत्र (कलावा)* *कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, सनातन धर्म में कलावा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है, कलावा बांधने से व्यक्ति पर त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा होती है, तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती तथा महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति मिलती है।* *🔹 कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?* *कलावा किस हाथ में बांधे इस बारे में भी नियम है, जो कि पुरुषों और...

शनि

हिंदी संस्करण: 1. शनि जहां भी बैठे, आपको वहां कड़ी मेहनत करनी होगी। 2. शनि केवल उन लोगों को परेशान करता है जो कड़ी मेहनत नहीं करना चाहते। 3. वक्री शनि 300% कड़ी मेहनत के लिए कहें। वक्री शनि के लिए भविष्यवाणियां:- - छोटे बाल या विषम बाल - 9/5 की नौकरी में खुश नहीं - बहुत सारी नौकरियां बदलते हैं 4. जहां भी वक्री शनि बैठे, वहां कुछ गड़बड़, उदाहरण के लिए, यदि 9वें घर में बैठे तो पिता के बारे में कुछ अजीब (यह शनि के घरों पर भी लागू होता है)। 5. नमक से संबंधित समस्या: वक्री शनि 6. महिलाओं के लिए यदि वक्री शनि 5/6/7/8 में बैठा है तो पीसीओडी और बालों से संबंधित समस्या है। 7. एकाग्रता की समस्या - वक्री शनि 8. वे 100% दिमाग एक जगह नहीं लगा पातीं - वक्री शनि 9. वक्री शनि जिस घर में बैठता है, वहां धैर्य की कमी होती है। 10. वक्री शनि तीसरे भाव में: कागजी कार्रवाई बार-बार करनी पड़ेगी। 11. सप्तमेश शनि विवाह से पहले 1 व्यक्ति विवाह से पीछे हट जाएगा। (उपाय: जीवनसाथी के प्रति प्रतिबद्धता) 12. शनि दूसरे भाव में होने पर आपको घर से दूर रहना पड़ेगा। (उपाय यह है कि परिवार से दूर रहें लेकिन फिर भी उनका साथ दे...

जामुन

🪷अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं। 🪷जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है। 🪷पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था जिसे जमोट कहते है। 🪷दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं। 🪷भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था। 🪷स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है। 🪷एक रिसर्च के मु...

पूजा

पुरुषों को पूजा करते समय सिर नहीं ढंकना चाहिए  आजकल एक कुप्रथा चल पड़ी है कि पूजन आरंभ होते हीं रूमाल निकाल कर सर पर रख लेते हैं, और कर्मकांड के लोग भी नहीं मना करते । जबकि पूजा में सिर ढकने को शास्त्र निषेध करता है। शौच के समय हीं सिर ढकने को कहा गया है। प्रणाम करते समय,जप व देव पूजा में सिर खुला रखें। तभी शास्त्रोचित फल प्राप्त होगा। शास्त्र क्या कहते हैं ? आइए देखते हैं... उष्णीषो कञ्चुकी चात्र मुक्तकेशी गलावृतः । प्रलपन् कम्पनश्चैव तत्कृतो निष्फलो जपः ॥ अर्थात् - पगड़ी पहनकर, कुर्ता पहनकर, नग्न होकर, शिखा खोलकर, कण्ठको वस्त्रसे लपेटकर, बोलते हुए, और काँपते हुए जो जप किया जाता है, वह निष्फल होता है ।' शिर: प्रावृत्य कण्ठं वा मुक्तकच्छशिखोऽपि वा | अकृत्वा पादयोः शौचमाचांतोऽप्यशुचिर्भवेत् || (कुर्म पुराण,अ.13,श्लोक 9) अर्थात्--  सिर या कण्ठ को ढककर ,शिखा तथा कच्छ(लांग/पिछोटा) खुलने पर,बिना पैर धोये आचमन करने पर भी अशुद्ध रहता हैं(अर्थात् पहले सिर व कण्ठ पर से वस्त्र हटाये,शिखा व कच्छ बांधे, फिर पाँवों को धोना चाहिए, फिर आचमन करने के बाद व्यक्ति शुद्ध(देवयजन योग्य) होता है)। स...

वास्तु

*क्या दक्षिण दिशा अशुभ होती है ??* 👉  आप यह बात दिमाग से बिलकुल निकाल दें कि दक्षिण दिशा ख़राब होता है !!  🏚️ अलग-अलग व्यापार के लिए अलग-अलग दिशा *लाभदायक* होता है !! 🏚️क्या आप जनते हैं कि *दक्षिण दिशा* में राईस मिल,दाल-मिल आटो- मोबाइल्स, सर्विसिंग सेंटर ,गेस एजेंसी ,पेट्रोल पम्प ,मिटटी तेल ,टीवी ,फ्रिज, इलेक्ट्रिक, केमिकल्स,ज्वेलरी,किराने की दुकान ,ब्यूटी -पार्लर आदि अनेक व्यापार लाभदायक स्थिति में चलते हुए मैने देखे हैं  !! 🏚️कोई दिशा खराब नही होती ,जेसा आपका व्यापार है वेसे ही दिशा का चयन करके *अधिकतम लाभ* उठाया जा सकता है !! 🏚️ दक्षिण दिशा में द्वार के बाहर *पकवा मिरर* लगाया जाता है !! पर पकवा मिरर के ऊपर हनुमान जी की फोटो मत लगाइए !! 🏚️ दक्षिण दीवाल पर द्वार के ऊपर *हनुमान जी टाइल्स* लगाएं !! 🏚️ भगवान की बनाई कोई भी *दिशा अशुभ* नही होती  !! 🏚️अगर दक्षिण और पश्चिम दिशा अशुभ हो गई तब तो संसार की *आधी जमीन* अशुभ हो जाएगी !! बहुत से व्यापार दक्षिण में शुभ दायक देखे गये हैं  !! 🏚️भवन के अंदर जो *गलत बनावट* होती है वो दोषपूर्ण हो सकता है  !! और वास्...