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कलावा (रक्षासूत्र/मौली )

कलावा (रक्षासूत्र/मौली ) *:""""================"""""* *🔹कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?* *🔹कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?* *🔹कलावा किस दिन खोलना चाहिए ?* *🔹कलावा बांधने के फायदे तथा महत्व* *🔹पुराना कलावा कहा रखे ?* *🔹ज्योतिष विज्ञान तथा कलावा* *🔹कलावा तथा आयुर्वेद 🧵* *(कृपया अंत तक पढ़े)* *रक्षा सूत्र (कलावा)* *कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, सनातन धर्म में कलावा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है, कलावा बांधने से व्यक्ति पर त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा होती है, तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती तथा महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति मिलती है।* *🔹 कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?* *कलावा किस हाथ में बांधे इस बारे में भी नियम है, जो कि पुरुषों और

शनि

हिंदी संस्करण: 1. शनि जहां भी बैठे, आपको वहां कड़ी मेहनत करनी होगी। 2. शनि केवल उन लोगों को परेशान करता है जो कड़ी मेहनत नहीं करना चाहते। 3. वक्री शनि 300% कड़ी मेहनत के लिए कहें। वक्री शनि के लिए भविष्यवाणियां:- - छोटे बाल या विषम बाल - 9/5 की नौकरी में खुश नहीं - बहुत सारी नौकरियां बदलते हैं 4. जहां भी वक्री शनि बैठे, वहां कुछ गड़बड़, उदाहरण के लिए, यदि 9वें घर में बैठे तो पिता के बारे में कुछ अजीब (यह शनि के घरों पर भी लागू होता है)। 5. नमक से संबंधित समस्या: वक्री शनि 6. महिलाओं के लिए यदि वक्री शनि 5/6/7/8 में बैठा है तो पीसीओडी और बालों से संबंधित समस्या है। 7. एकाग्रता की समस्या - वक्री शनि 8. वे 100% दिमाग एक जगह नहीं लगा पातीं - वक्री शनि 9. वक्री शनि जिस घर में बैठता है, वहां धैर्य की कमी होती है। 10. वक्री शनि तीसरे भाव में: कागजी कार्रवाई बार-बार करनी पड़ेगी। 11. सप्तमेश शनि विवाह से पहले 1 व्यक्ति विवाह से पीछे हट जाएगा। (उपाय: जीवनसाथी के प्रति प्रतिबद्धता) 12. शनि दूसरे भाव में होने पर आपको घर से दूर रहना पड़ेगा। (उपाय यह है कि परिवार से दूर रहें लेकिन फिर भी उनका साथ दे

जामुन

🪷अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं। 🪷जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है। 🪷पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था जिसे जमोट कहते है। 🪷दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं। 🪷भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था। 🪷स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है। 🪷एक रिसर्च के मु

पूजा

पुरुषों को पूजा करते समय सिर नहीं ढंकना चाहिए  आजकल एक कुप्रथा चल पड़ी है कि पूजन आरंभ होते हीं रूमाल निकाल कर सर पर रख लेते हैं, और कर्मकांड के लोग भी नहीं मना करते । जबकि पूजा में सिर ढकने को शास्त्र निषेध करता है। शौच के समय हीं सिर ढकने को कहा गया है। प्रणाम करते समय,जप व देव पूजा में सिर खुला रखें। तभी शास्त्रोचित फल प्राप्त होगा। शास्त्र क्या कहते हैं ? आइए देखते हैं... उष्णीषो कञ्चुकी चात्र मुक्तकेशी गलावृतः । प्रलपन् कम्पनश्चैव तत्कृतो निष्फलो जपः ॥ अर्थात् - पगड़ी पहनकर, कुर्ता पहनकर, नग्न होकर, शिखा खोलकर, कण्ठको वस्त्रसे लपेटकर, बोलते हुए, और काँपते हुए जो जप किया जाता है, वह निष्फल होता है ।' शिर: प्रावृत्य कण्ठं वा मुक्तकच्छशिखोऽपि वा | अकृत्वा पादयोः शौचमाचांतोऽप्यशुचिर्भवेत् || (कुर्म पुराण,अ.13,श्लोक 9) अर्थात्--  सिर या कण्ठ को ढककर ,शिखा तथा कच्छ(लांग/पिछोटा) खुलने पर,बिना पैर धोये आचमन करने पर भी अशुद्ध रहता हैं(अर्थात् पहले सिर व कण्ठ पर से वस्त्र हटाये,शिखा व कच्छ बांधे, फिर पाँवों को धोना चाहिए, फिर आचमन करने के बाद व्यक्ति शुद्ध(देवयजन योग्य) होता है)। सोपानस

वास्तु

*क्या दक्षिण दिशा अशुभ होती है ??* 👉  आप यह बात दिमाग से बिलकुल निकाल दें कि दक्षिण दिशा ख़राब होता है !!  🏚️ अलग-अलग व्यापार के लिए अलग-अलग दिशा *लाभदायक* होता है !! 🏚️क्या आप जनते हैं कि *दक्षिण दिशा* में राईस मिल,दाल-मिल आटो- मोबाइल्स, सर्विसिंग सेंटर ,गेस एजेंसी ,पेट्रोल पम्प ,मिटटी तेल ,टीवी ,फ्रिज, इलेक्ट्रिक, केमिकल्स,ज्वेलरी,किराने की दुकान ,ब्यूटी -पार्लर आदि अनेक व्यापार लाभदायक स्थिति में चलते हुए मैने देखे हैं  !! 🏚️कोई दिशा खराब नही होती ,जेसा आपका व्यापार है वेसे ही दिशा का चयन करके *अधिकतम लाभ* उठाया जा सकता है !! 🏚️ दक्षिण दिशा में द्वार के बाहर *पकवा मिरर* लगाया जाता है !! पर पकवा मिरर के ऊपर हनुमान जी की फोटो मत लगाइए !! 🏚️ दक्षिण दीवाल पर द्वार के ऊपर *हनुमान जी टाइल्स* लगाएं !! 🏚️ भगवान की बनाई कोई भी *दिशा अशुभ* नही होती  !! 🏚️अगर दक्षिण और पश्चिम दिशा अशुभ हो गई तब तो संसार की *आधी जमीन* अशुभ हो जाएगी !! बहुत से व्यापार दक्षिण में शुभ दायक देखे गये हैं  !! 🏚️भवन के अंदर जो *गलत बनावट* होती है वो दोषपूर्ण हो सकता है  !! और वास्तु के दोष उत्तर ,पूर्व ,पश्चि

बुध ग्रह

अष्टम भाव गुप्त चीजों का occult, का आयु, का बदलाव का, मृत्यु का और पुनर्जन्म का, ससुराल का, पत्नी के धन का है। यहां जातक का फोकस पूरा जीवन अष्टम भाव से संबंधित मामलों मैं गुप्त विद्याओं में रहस्यमयी घटनाओं में अचानक घटित होने वाली घटनाएं और जीवन की डार्कर साइड पर रहता है। यह भी हो सकता है कि व्यक्ति किसी की सहायता इस तरह की स्थितियों में करें अष्टम भाव दूसरों की सेवा का भी है पैतृक संपत्ति का भी है और जमीन से नीचे निकलने वाली वस्तुओं का भी है जैसे ऑयल, गैस, gems पूरा जीवन अचानक घटित होने वाली घटनाएं और छुपी हुई चीजों के चारों तरफ चलता है। अष्टम भाव मुख्य रूप से आयु का है अत: लग्नेश अपनी स्थिति के अनुसार व्यक्ति की आयु पर सीधा प्रभाव डालता है। अगर अच्छी स्थिति में है तो लंबी आयु देता है अगर कमजोर या पीड़ित है तो मध्यम या अल्पायु देता है। अष्टम भाव असाध्य बीमारी का है अगर लग्नेश अष्टम भाव में मजबूत है तब जातक की जीवन शक्ति मजबूत होगी और कोई असाध्य बीमारी नहीं होगी लेकिन यदि लग्नेश पीड़ित है तो कोई असाध्य बीमारी हो सकती है। जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ता है अतः लग्नेश कमजोर नहीं

कुंडली

💥 जो सदस्य कभी भी कुंडली पोस्ट करके प्रश्न पूछना चाहते हैं  इस पोस्ट को अपने प्रोफाइल में सेव करके रखें ताकि जब उपाय बताया जाए तो आपको ढूंढना ना पड़े।  कुछ समय बाद यह मत पूछना किस ग्रह का क्या मंत्र है ? प्रबल कैसे करें ? दान उपाय क्या करना है ? ♦️ज्योतिष में सिर्फ दो ही उपाय होते हैं ।  जो ग्रह आपको फलादेश के हिसाब से लाभ दे रहे हैं यदि वह कमजोर है तो उन्हें प्रबल करें ।  जो ग्रह आपको फलादेश के हिसाब से परेशान कर रहे हैं उनका दान एवं उपाय उन ग्रहों से संबंधित जीव-जंतुओं के लिए करें ।  👉 प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में विधि विधान से साधना अवश्य करना चाहिए । कुछ महत्वपूर्ण मंत्र है जिनका जाप  प्रत्येक व्यक्ति को बचपन से  करना चाहिए । जिसके माध्यम से आप कई सारे कष्टों से छुटकारा पा सकते हैं । 👉 किसी भी ग्रह का मंत्र जाप तभी लाभ देगा जब आप  विधि विधान से साधना करेंगे और उसके बाद ज्यादा से ज्यादा संख्या में मंत्र जाप करें । एक दो माला मंत्र जाप करने से कुछ होने वाला नहीं है । परंतु आप एक दो माला से प्रारंभ करें और और धीरे-धीरे बढ़ाएं एवं अनुष्ठान करें । 🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸 👉 सूर्य