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कर्ज

ऋण मुक्ति का चौबीसा 〰️〰️🔸〰️🔸〰️〰️ आप हैं कर्ज के मारे तो परेशान न हों। वैसे भी जीवन में लगभग सभी को कर्ज कभी-कभार लेना पड़ जाता है। लेकिन कुछ ऐसे उपाय  हैं, जिनका ख्याल रखा जाए तो कर्जा जल्दी उतर भी जाता है।  आप इनमें से कोई भी एक उपाय अपना सकते हैं। हर उपाय प्रयोग किये हुए है और सैकड़ों लोगों को इनसे लाभ हुआ है। 1👉 मेष, कर्क, तुला व मकर चर लग्न हैं। इन लग्न में कर्ज लिया जाए तो जल्द ही निस्तारित हो जाता है। यह तो रही लेने वाले की बात, लेकिन चर लग्न में कर्जा देना नहीं चाहिए। चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा। 2👉 किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि, शुक्ल पक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें। 3👉 हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्जा उतारने से मुक्ति मिलती है। 4👉 कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है। 5👉 कर...

विवाह

भृगु संहिता के अनुसार, जानें कैसा होगा विवाह के बाद लड़की का भविष्य       सामान्यत: सभी माता-पिता अपनी कन्या का विवाह करने के लिए वर की कुंडली का गुण मिलान करते हैं। कन्या के भविष्य के प्रति चिंतित माता-पिता का यह कदम उचित है। किन्तु इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए कि लड़की का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा? उसका पति किस वर्ण का, किस सामाजिक स्तर का तथा कितने भाई-बहनों वाला होगा? ज्योतिष के अनुसार यह पता किया जा सकता है कि किसी व्यक्ति के जीवन साथी का स्वभाव और भविष्य कैसा हो सकता है। यहां भृगु संहिता के अनुसार बताया जा रहा है कि किसी स्त्री के जीवन साथी का स्वभाव कैसा और उनका वैवाहिक जीवन कैसा होगा।  कुंडली का सप्तम भाव विवाह का कारक स्थान माना जाता है। अलग-अलग लग्न के अनुसार इस भाव की राशि और स्वामी भी बदल जाते हैं। अत: यहां जैसी राशि रहती है, व्यक्ति का जीवन साथी भी वैसा ही होता है। लड़की की जन्म लग्न कुंडली से उसके होने वाले पति एवं ससुराल के विषय में सब कुछ स्पष्टत: पता चल सकता है। ज्योतिष विज्ञान में फलित शास्त्र के अनुसार लड़की की ...

मारक ग्रह

*मारक शनि, राहु ,केतु के उपाय व दान कब करें?* शनि, राहु , केतु के दान व उपाय सिर्फ तभी किये जायेंगे जब ये ग्रह आपके चार्ट में मारक ग्रह होंगे । यदि शनि, राहु & केतु आपके चार्ट में योगकारक ग्रह हैं तो इन ग्रहों के दान & उपाय नहीं किये जायेंगे । यदि आपके चार्ट में शनि देव की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है तोह आप शनि देव के उपाय & दान कर सकते हैं । राहु देव अगर कुण्डली में खराब हों तो नमक के पौंछे लगाना चाहिए । इससे राहु देव शांत होते हैं। शनि देव, राहु देव और केतु देवता का पाठ सूर्यास्त के बाद या सोने से पहले किया जाता है क्यूंकि ये देवता सूर्यास्त के बाद ही उदय होते है । इसी तरह इनका दान भी सूर्यास्त के बाद ही होता है । परन्तु अमावस्या वाले दिन सारे दिन में किसी भी समय हम शनि देव, राहु देव, केतु देव का पाठ और दान कर सकते हैं क्यूंकि अमावस्या होती ही शनि देव जी की है । वोह सारा दिन उपस्थित रहते हैं । मारक शनि देव के उपाय: (शनिवार को सूर्यास्त के बाद करना है) काले तिल दान करना/ चीटियों को डालना सरसों के तेल का दाल करना काली जुरावें दान करना पीपल के वृक्ष को जल देना पीपल के वृक्ष क...

राहु केतु

👉🏼जन्म कुंडली मे ज़ब राहु आपको धन देने लगे जैसे की आप किसी फर्म मे काम कर रहे है और ओ फर्म लोगो के कुछ काम को ऊपर लेकिन जाने वाली हो तो ओ लोग आपसे जुड़ना सुरु होंगे आपको अधिक से अधिक लालच देना सुरु करेंगे और आप जो ज्यादा कमिशन देरा हो उसका काम कर रहे है मतलब की चारो तरफ से पैंसा आरा हो आप भोग कर रहे उसका तोह तब समझना चाइये की केतु आपकी एक गलती का इंतजार कर रहाँ है असल राहु का दिया धन का व्यक्ति खुद नी भोगता ओ जो पैंसा लेता है उससे बीवी, माँ, बच्चों, भाई के नाम पे किसी न किसी रूप रखता है मतलब उसे राहु सिर्फ हाथ मे आये धन का सुख देता है असल का सुख ओ दूसरे के नाम कर देता है और ज़ब केतु का गुप्त रूप से सुरु होता है तोह लोग गुप्त रूप से ही आपको दुबाने की तैयार बैठे होते है जिनमे आपका अपना भी शामिल होगा अब काम भी जाता है इज्जत भी.. जो धन आपने जिसके नाम पे जिसको दिया है जरा मांग के देखो कुछ नी मिलेगा कोई मदद नहीं करेगा आपको अपने दिए पैसे भिकारी की तरह माँगने पड़ेंगे तब भी नी मिलेंगे न बीवी देगी न माँ न भाई, अजीब है न ये यही केतु का असर है राहु ने तोह दे के छोड़ दिया, अब मारा मारा फिरके न काम मिल...

में ही शनि हु

मै ही शनि हूँ...? (पुनः प्रेषित) 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ पाठको! नमस्कार, आप घबराइये नहीं, हाँ, मेरा ही नाम शनि है। लोगों ने बिना वजह मुझे हमेशा नुकसान पहुँचाने वाला ग्रह बताया है। फलस्वरूप लोग मेरे नाम से डर जाते हैं। मैं आपको यह स्पष्ट कर देना अपना दायित्व समझता हूँ कि मैं किसी भी व्यक्ति को अकारण परेशान नहीं करता। हाँ, यह बात अलग है कि मैंने जब भगवान् शिव की उपासना की थी, तब उन्होंने मुझे दण्डनायक ग्रह घोषित करके नवग्रहों में स्थान प्रदान किया था। यही कारण है कि मैं मनुष्य हो या देव, पशु हो या पक्षी, राजा हो या रंक-सब के लिये उनके कर्मानुसार उनके दण्ड का निर्णय करता हूँ तथा दण्ड देने में निष्पक्ष निर्णय लेता हूँ फिर चाहे व्यक्ति का कर्म इस जन्म का हो या पूर्वजन्म का। सत्ययुग में ही नहीं, कलियुग में भी न्यायपालिका द्वारा चोरी-अपराध आदि की सजा देने का प्रावधान है। यह व्यवस्था समाज को आपराधिक प्रवृत्ति से बचाये रखने हेतु की गयी है, जिससे स्वच्छ समाज का निर्माण हो तथा अपराध पुनरावृत्ति न हो। मेरी निष्पक्षता और मेरा दण्डविधा जगजाहिर है। यदि अपराध या गलती की है तो देव हो या मनुष्य, पशु हो या पक...

आयुर्वेदिक

शरीर की सभी नसों को खोलने का आयुर्वेदिक समाधान.... कपूर और नींबु कितने उपयोगी है...दिन में सिर्फ़ एक बार यह साधारण सा उपाय करके देखिए, सिर के बाल से पैर की उंगली तक सारी नसें मुक्त होने का आपको स्पष्ट अनुभव होगा कि सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा, आपके शरीर की नसें मुक्त होने का स्पष्ट अनुभव होगा। हाथ–पैर में होने वाली झंझनाहट (खाली चढ़ना) तुरंत बंद हो जाती हैं, ◾पुराना घुटनों का दर्द और कमर, गर्दन या रीड की हड्डी (मणके) में कोई नस दबी या अकड़ गई है तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी, पुराना एड़ी का दर्द भी ठीक हो जाएगा।  ◾इस उपाये से बहुत से लोगों के लाखों रुपए बच सकते हैं। पैर में फटी एड़ियां और डैड स्किन रिमूव हो जाती है और पैर कोमल हो जाते हैं और इसके पीछे जो विज्ञान और आयुर्वेद है.  ◾यह उपाय करने के लिए हमें घर में ही उपलब्ध कपूर और नींबू, ये दो चीजें चाहियें। इस उपाय को करने के लिए डेढ़ से दो लीटर गुनगुना पानी लें, जिसका तापमान पैर को सहन होने जितना गरम हो, उसमे आधे नींबू का रस निचोड़े और फिर नींबू को भी उस पानी में डाल दें ◾फिर दूसरी चीज कपूर है–कोई भी कपूर हो। क...

मंगल ग्रह

ज्योतिष शास्त्र में मंगल को एक उग्र और ऊर्जा प्रधान ग्रह माना जाता है। जब मंगल अन्य ग्रहों के साथ अशुभ युति या संयोग करता है, तो यह नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकता है। ऐसे संयोग व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, हिंसा, विवाद, दुर्घटनाएं, मानसिक अशांति और आर्थिक समस्याएं ला सकते हैं। आइए जानते हैं मंगल की अन्य ग्रहों के साथ अशुभ युतियां और उनके प्रभाव: 1. मंगल + शनि (मंगल-शनि युति) प्रभाव: यह युति अत्यधिक संघर्ष, दुर्घटनाओं, मानसिक तनाव और कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता में देरी का कारण बनती है। व्यक्ति गुस्सैल और अस्थिर स्वभाव का हो सकता है। शारीरिक चोट, अपघात या कानूनी विवाद हो सकते हैं। यह युति विशेष रूप से तब अशुभ होती है, जब यह 6, 8, या 12वें भाव में हो। उपाय: मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। शनि और मंगल के शांति उपाय करें। 2. मंगल + राहु (अंगारक योग) प्रभाव: यह युति व्यक्ति को हिंसक, क्रोधी और दुर्घटनाओं के प्रति संवेदनशील बना देती है। जातक को गुप्त शत्रुओं और कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। परिवार में विवाद और मानसिक अशांति बनी रहती है। यह युति विशेष रूप से 1, 4, 7, 8,...