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कुंडली का नवम भाव...

कुंडली का नवम भाव... जन्मकुंडली का नौवां घर सर्वाधिक शुभ घरों में गिना जाता है इस घर का अपना विशेष महत्व है मैंने जीवन में इस घर का प्रभाव स्वयं अनुभव करके देखा है अक्सर हम राजयोग के बारे में बात करते हैं हर व्यक्ति की कुंडली में राजयोग और दरिद्र योग मिल जायेंगे | हर योग की कुछ समय अवधि रहती है दो तीन साल से लेकर पांच छह साल तक ही ये योग प्रभावशाली रहते हैं जिस राजयोग के विषय में मैं सोच रहा हूँ अलग है नवम भाव से बनने वाला योग पूरे जीवन में प्रभाव कारी रहता है... कुछ लोगों को आगे बढ़ने के अवसर ही नहीं मिल पाते और कुछ लोग अवसर मिलते ही बहुत दूर निकल जाते हैं | बदकिस्मती जो जीवन बदल दे इसी घर की देन होती है | खुशकिस्मती जो अगली पीढ़ियों के लिए भी रास्ता साफ़ कर दे नवम भाव का प्रबल होना दर्शाती है | मनपसंद जीवनसाथी पाने की आस में पूरा जीवन गुजर जाता है उसके साथ जिसे कभी पसंद किया ही नहीं | जिन्दगी के साथ समझौता कर लेना या यह मान लेना कि यही नसीब था इन घटनाओं के लिए नवम भाव ही उत्तरदायी है | आस लगाकर बैठे हजारों हजार लोग भाग्य के पीछे भागते रहते हैं और यह भी सच है कि इस दौड़ में हम सब हैं | प्...

काली मिर्च से धन प्राप्ति के अचूक उपाय

काली मिर्च से धन प्राप्ति के अचूक उपाय    जीवन में धन अति आवश्यक है। धन न हो तो व्यक्ति के जीवन में खुशियां भी बेमानी लगती है और यदि धन है तो हर दिन एक नई खुशी होती है। अनेक धर्म ग्रंथों में भी धन के महत्व का वर्णन किया गया है।  तंत्र शास्त्र के अंतर्गत कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से धन की चाह पूरी हो जाती है और जीवन में फिर कभी धन की कमी नहीं होती। ऐसे ही कुछ उपाय नीचे लिखे हैं- उपाय 1- शनिवार के दिन पीपल का एक पत्ता तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के घोल से अपने दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से ह्रीं लिखें। इसके बाद इस पत्ते को धूप-दीप दिखाकर अपने बटुए में रखे लें।  प्रत्येक शनिवार को पूजा के साथ वह पत्ता बदलते रहें। यह उपाय करने से आपका बटुआ कभी धन से खाली नहीं होगा। पुराना पत्ता किसी पवित्र स्थान पर ही रखें। 2- काली मिर्च के 5 दाने अपने सिर पर से 7 बार उतारकर 4 दाने चारों दिशाओं में फेंक दें तथा पांचवें दाने को आकाश की ओर उछाल दें। यह टोटका करने से आकस्मिक धन लाभ होगा। 3- अचानक धन प्राप्ति के लिए सोमवार के दिन श्मशान में स्थित महादेव मंदिर ...

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लाल किताब के 25 अचूक टोटके और उपाय लाल किताब की विशेषताएं : ‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी कुछ अपनी निजी विशेषताएँ हैं, जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को ‘टोटकों’ का सहारा लेने का संदेश देना है। ये टोटके इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है। काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि। ऐसे कुछ टोटकों के नमूने हैं, जिनके अवलम्बन से जातक ग्रहों के अनिष्टकारी प्रभावों से अनायास की बचा जाता है। कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि। में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय जातक इन टोटकों के सहारे बिना किसी खर्च के (मुफ्त में) या अत्यल्प खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है। ‘लाल किताब’ में धर्माचरण और सदाचरण के बल...

शुक्र ग्रह का 12 भावों में फल

शुक्र ग्रह का 12 भावों में फल  👉 जिसके लग्न स्थान में शुक्र हो तो उसका अंग-प्रत्यंग सुंदर होता है। श्रेष्ठ रमणियों के साथ विहार करने को लालायित रहता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घ आयु वाला, स्वस्थ, सुखी, मृदु एवं मधुभाषी, विद्वान, कामी तथा राज कार्य में दक्ष होता है। 👉 दूसरे स्थान पर शुक्र हो तो जातक प्रियभाषी तथा बुद्धिमान होता है। स्त्री की कुंडली हो तो जातिका सर्वश्रेष्ठ सुंदरी पद प्राप्त करने की अधिकारिणी होती है। जातक मिष्ठान्नभोगी, लोकप्रिय, जौहरी, कवि, दीर्घजीवी, साहसी व भाग्यवान होता है। 👉 तीसरे भाव पर शुक्र हो तो वह स्त्री प्रेमी नहीं होता है। पुत्र लाभ होने पर भी संतुष्ट नहीं होता है। ऐसा व्यक्ति कृपण, आलसी, चित्रकार, विद्वान तथा यात्रा करने का शौकीन होता है। 👉 चतुर्थ भाव पर यदि शुक्र हो तो जातक उच्च पद प्राप्त करता है। इस व्यक्ति के अनेक मित्र होते हैं। घर सभी वस्तुओं से पूर्ण रहता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घायु, परोपकारी, आस्तिक, व्यवहारकुशल व दक्ष होता है 👉 पांचवें भाव पर पड़ा हुआ शुक्र शत्रुनाशक होता है। जातक के अल्प परिश्रम से कार्य सफल होते हैं। ऐसा व्यक्ति कवि हृदय, सुखी, भो...

मृगशिरा नक्षत्र: एक विस्तृत जानकारी

🔴मृगशिरा नक्षत्र: एक विस्तृत जानकारी मृगशिरा नक्षत्र, वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से पांचवां नक्षत्र है। इसका नाम 'मृग' (हिरण) और 'शिरा' (सिर) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है हिरण का सिर। यह नक्षत्र वृषभ राशि के 23°20' से मिथुन राशि के 6°40' तक फैला हुआ है। 🔴नक्षत्र के मुख्य पहलू  ● देवता: इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता चंद्रमा हैं, जो मन, भावनाओं और रचनात्मकता के प्रतीक हैं।  ● स्वामी ग्रह: इसका स्वामी ग्रह मंगल है, जो ऊर्जा, साहस और इच्छाशक्ति को दर्शाता है। यह मंगल की ऊर्जा और चंद्रमा की सौम्यता का एक अनूठा संयोजन बनाता है।  ● प्रतीक: इसका प्रतीक हिरण का सिर है, जो खोज, जिज्ञासा, और निरंतर तलाश का प्रतिनिधित्व करता है।  ● लिंग: इस नक्षत्र का लिंग स्त्री है।  ● गण: इसका गण देव है, जो दैवीय और आध्यात्मिक गुणों का संकेत देता है।  ● तत्व: इसका तत्व पृथ्वी है।  ● प्रकृति: इस नक्षत्र की प्रकृति मृदु (कोमल) और तीक्ष्ण (तेज) दोनों है, जिसका अर्थ है कि यह कोमल और रचनात्मक कार्यों के लिए भी उपयुक्त है और कभी-कभी तीक्ष्ण या उग्र कार्यों के लिए भी। 🔴मृग...

सूर्य

🌟 आपके नाम में छुपा है आपका सूर्य और जीवन का रहस्य!) ✨ क्या आपका नाम ‘स, श, ह’ अक्षर से शुरू होता है? ✨ उदाहरण: संजय, शरोज, स्वाति, सुप्रिया, सीमा, सुप्रभा, शीखा, शीला हेमंत, हनुमान, हरीश, हरवीर, हरिप्रसाद, हरिओम 👉 ज्योतिष कहता है कि आपका सूर्य त्रिशांश कुंडली में वृषभ या तुला राशि में स्थित होता है। 💡 सत्य: नाम माता-पिता ने रखा है ऐसा भ्रम है। वास्तव में नाम का पहला अक्षर आत्मा लेकर जन्म लेती है। यह सूत्र केवल आपके पुकार नाम पर आधारित है, जन्म नक्षत्र से इसका कोई सम्बन्ध नहीं। ☀️ सूर्य का महत्व: सूर्य है — आत्मा, यश, मान, सम्मान, समाज, जो कुछ भी श्रेष्ठ है। और उसी ने आपको यह नाम भी दिया है। 🔥 इसका अर्थ: सुख, समृद्धि, वैभव और भोग-विलास में रुचि महंगे और उत्कृष्ट वस्तुओं की ओर आकर्षण जीवन में आनंद और सम्पन्नता की इच्छा 🌿 वृषभ राशि के गुण, स्वभाव और धर्म गुण: स्थिर, भरोसेमंद, धैर्यशील, भोगी स्वभाव: धैर्यवान, सुरक्षा और स्थायित्व प्रिय, धनी बनने की प्रवृत्ति धर्म: मेहनत और संयम से सुख-समृद्धि प्राप्त करना ⚖️ तुला राशि के गुण, स्वभाव और धर्म गुण: संतुलनप्रिय, सौंदर्य और कला में रुचि, ...

लक्ष्मी योग

जन्म कुण्डली मै सबसे शुभ योग महालक्ष्मी योग क्या है ?? लक्ष्मी शब्द से जानकारी मिलती है धन के बारे मे, तो ये योग वैसे सभी के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन खासकर उनके लिय ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। जो धनवान बनना चाहते है खुद से बहुत ज्यादा धन अर्जित करना चाहते है। ये योग बहुत दुर्लभ है। अधिकतर जन्मकुंडली मे नही मिलता है। जिसकी जन्मकुंडली मे ये योग बनता है। उसके तो "बारे-न्यारे" मतलब उस जातक की लॉटरी निकल गयी और ज्योतिषी को उस जातक के धन से संबंधित भविष्य कथन मे आसानी होती है। ऐसा जातक हमेशा मध्य वर्ग के परिवार मे जन्म लेता है और आसमान को छूने वाली सफलताओं को प्राप्त करता है। इसलिए तो ये योग राजयोग है कहलाता है। आश्चर्यजनक सफलता को प्राप्त करना, जन्मकुंडली मे महालक्ष्मी योग कैसे बनता है - जब मंगल ग्रह और चंद्रमा दोनो ग्रह एक साथ लग्नकुंडली के किसी घर मे एक साथ युति बनाते है तो यह युति महालक्ष्मी योग कहलाती है। लेकिन इसकी कुछ शर्तें होती है अगर ये शर्ते पूरी नही हुई तो योग कैंसल यानी रद्द माना जाएगा। इसका कोई भी सकारात्मक प्रभाव जीवन पर नही देगा। इसलिए तो ये योग दुर्लभ श्रेणी मे आता है। इ...