महा शक्ति की महिमा
महा शक्ति की महिमा .....
महाकाली वह शक्ति है जो काल व समय को नियन्त्रित करके इस सृष्टि का संचालन एवं पालन पोषण करती हैं । दस महाविद्याओं में इसका स्थान प्रथम हैं । और ये आद्याशक्ति भी कहलाती हैं । चतुर्भुजा के स्वरूप में ये चारों पुरूषार्थों को प्रदान करने वाली शक्ति हैं । जब कि दस सिर, दस भुजा तथा दस पैरों से युक्त होकर प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को गति प्रदान करती हैं । ये शक्ति स्वरूप में शव के उपर विराजित हैं । इसका अभिप्राय यह है कि शव में आपकी शक्ति समाहित होने पर ही शिव, शिवत्व को प्राप्त करता हेैं । यदि शक्ति को शिव से पृथक कर दिया जाये तो शिव भी शव-तुल्य हो जाता हैं । बिना शक्ति के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और शिव शव के समान हैं । इस सम्पूर्ण सृष्टि में शिव और शक्ति ही सर्वस्व शक्ति हैं ।
वर्तमान युग में माँ महाकाली की साधना करना कल्पवृक्ष को ढुढने के समान है । क्योकि ये कलयुग में शीघ्र अतिशीघ्र फल प्रदान करने वाली महाविद्याओं में से ये एक महा विद्या है । जो साधक महाविद्या के इस स्वरुप की साधना करता है उसका मानव योनि में जन्म लेना सार्थक हो जाता है । क्योकि जहाँ माँ काली एक तरफ अपने साधक की भौतिक आवश्कताओं को पूरा करती है, वहीँ दूसरी तरफ उसे सम्पुर्ण सुख और भैभव प्रदान करती है ।
अष्ट मुंडों की माला पहने माँ यही प्रदर्शित करती है की अपने हाथ में पकड़ी हुयी ज्ञान खडग से सतत साधकों के अष्ट पाशों को छिन्न-भिन्न करती रहती है । उनके हाथ का खप्पर प्रदर्शित करता है ब्रह्मांडीय सम्पदा को स्वयं में समेट लेने की क्रिया का, क्यूंकि खप्पर मानव मुंड से ही तो बनता है और मानव मष्तिष्क या मुंड को तंत्र शास्त्र ब्रह्माण्ड की संज्ञा देता है । अर्थात माँ की साधना करने वाला माँ के आशीर्वाद से ब्रह्मांडीय रहस्यों से भला कैसे अपरिचित रह सकता है । कालीकी साधना से वीरभाव, ऐश्वर्य, सम्मान, वाक् सिद्धि और उच्च तंत्रों का ज्ञान स्वतः ही प्राप्त होने लगता है । माँ काली अद्भुत है, जिसने सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय रहस्यों को ही अपने में समेटा हुआ है । जब साधक इनकी कृपा प्राप्त कर लेता है तो एक तरफ उसे समस्त आंतरिक और बाह्य शत्रुओं से अभय प्राप्त हो जाता है । वही उसे माँ काली की मूल आधार भूत शक्ति और गोपनीय तंत्रों में सफलता प्राप्त हो जाती है ।
Comments
Post a Comment