कुंडली मे प्रेम विवाह के योग


#कुंडली_में_प्रेम_विवाह_योग

1️⃣ ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में विवाह का सप्तम स्थान बताया जाता है , सप्तमेश का सम्बंध पंचमेश से हो जाये तो व्यक्ति के प्रेम विवाह करने के योग बनते है।

2️⃣पंचमेश तथा सप्तमेश एक दूसरे से त्रिकोण या केंद्र स्थान में स्थित हो तो जातक प्रेम विवाह करता है।
3️⃣पंचम भाव के स्वामी सूर्य के साथ उसी भाव में चंद्रमा या मंगल बैठे हों तो प्रेम-विवाह हो सकता है।

4️⃣शुक्र या चन्द्रमा लग्न से पंचम या नवम हों तो प्रेम विवाह कराते हैं।

5️⃣ जब सप्तम या सप्तमेष का सम्बंध तीसरे, पांचवे, 
नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव के मालिक के साथ बनता हैं, ऐसी कुंडली वाले जातक का प्रेम विवाह होता है।

6️⃣सप्तमेश यदि पंचम स्थान के मालिक के साथ तीसरे, पांचवे, सातवे, ग्यारहवें और बारहवें भाव में मंगल या चन्द्रमा स्थित हो तो जातक प्रेम विवाह अवश्य करता है।

7️⃣पंचमेश और सप्तमेष एक साथ यदि तीसरे, पांचवे, सातवे, ग्यारहवें और बारहवें भाव में से किसी भाव में स्थित हो तो निश्चित रूप से जातक प्रेम विवाह करता है।


 8 यदि पंचमेश एकादश यानी ग्यारहवें स्थान में स्थित हो तथा सप्तमेश बारहवें, तिसरे या पांचवे स्थान में स्थित हो तो जातक प्रेम विवाह अवश्य करता है। ऐसे ग्रह लम्बे अफेयर को शादी का रूप देते है ।

9️⃣ राहु - केतु का प्रभाव सप्तम, पंचम स्थान या इनके मालिकों पर पडता हो तथा इन स्थानों के मालिक  तीसरे, पांचवे, सातवे, ग्यारहवें और बारहवें भाव पर स्थित हो तब व्यक्ति प्रेम विवाह करता है।

🔟 जब सातवें भाव के स्वामी यानी सप्तमेश की दृष्टि द्वादश पर हो या सप्तमेश की युति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हो तो प्रेम-विवाह की उम्मीद बढ़ती है।

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