संतान प्राप्ति के लिए

संतति योग दोष उपाय  निवारण  विश्लेषण भाग  1:

संसार में कोई भी ऐसा दंपति नहीं होगा, जो संतान सुख नहीं चाहता हो। चाहे वह गरीब हो या अमीर। सभी के लिए संतान सुख होना सुखदायी ही रहता है। संतान चाहे खूबसूरत हो या बदसूरत, लेकिन माता-पिता को बस संतान चाहिए। फिर चाहे वह संतान माता-पिता के लिए सहारा बने या न बने। अकबर बादशाह ने भी काफी मन्नतें मानकर सलीम को माँगा था। 

किसी-किसी की संतान होती है और फिर गुजर जाती है। ऐसा क्यों होता है? ये सब ग्रहों की वजह से होता है। यहाँ पर हम इन्हीं सब बातों की जानकारी देंगे, जिससे आप भी जान सकें कि संतान होगी या नहीं। 

पंचम स्थान संतान का होता है। वही विद्या का भी माना जाता है। पंचम स्थान कारक गुरु और पंचम स्थान से पंचम स्थान (नवम स्थान) पुत्र सुख का स्थान होता है। पंचम स्थान गुरु का हो तो हानिकारक होता है, यानी पुत्र में बाधा आती है। 

सिंह लग्न में पंचम गुरु वृश्चिक लग्न में मीन का गुरु स्वग्रही हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है, परन्तु गुरु की पंचम दृष्टि हो या पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि हो तो संतान सुख उत्तम मिलता है। 

पंचम स्थान का स्वामी भाग्य स्थान में हो तो प्रथम संतान के बाद पिता का भाग्योदय होता है। यदि ग्यारहवें भाव में सूर्य हो तो उसकी पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि हो तो पुत्र अत्यंत प्रभावशाली होता है। मंगल की यदि चतुर्थ, सप्तम, अष्टम दृष्टि पूर्ण पंचम भाव पर पड़ रही हो तो पुत्र अवश्य होता है। 

पुत्र संततिकारक चँद्र, बुध, शुक्र यदि पंचम भाव पर दृष्टि डालें तो पुत्री संतति होती है। यदि पंचम स्थान पर बुध का संबंध हो और उस पर चँद्र या शुक्र की दृष्टि पड़ रही हो तो वह संतान होशियार होती है। पंचम स्थान का स्वामी शुक्र यदि पुरुष की कुंडली में लग्न में या अष्टम में या तृतीय भाव पर हो एवं सभी ग्रहों में बलवान हो तो निश्चित तौर पर लड़की ही होती है। पंचम स्थान पर मकर का शनि कन्या संतति अधिक होता है। कुंभ का शनि भी लड़की देता है। पुत्र की चाह में पुत्रियाँ होती हैं। कुछ संतान नष्ट भी होती है।

संतति सुख के लिए पंचम स्थान, पंचमेश, पंचम स्थान पर शुभाशुभ प्रभाव व बृहस्पति का विचार मुख्‍यत: किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, मिथुन, सिंह, कन्या ये राशियाँ अल्प प्रसव राशियाँ हैं। वृषभ, कर्क, वृश्चिक, धनु, मीन ये बहुप्रसव राशियाँ हैं। 

संतान प्राप्ति में ग्रहों का प्रभाव

संतान प्राप्ति दाम्पत्य जीवन में पहला सुख होता है। नारी संतान प्राप्त करके धन्य हो जाती है। हर आँगन में बच्चों की किलकारी घर के सौंदर्य एवं खुशहाली में चार चाँद लगा देती है, परंतु कुछ दम्पति इस सुख से वंचित रहने से परेशान हो जाते हैं, कुछ हल निकाल लेते हैं। कुछ दम्पति अपने जीवन का अनमोल रत्न (संतान) प्राप्त न कर पाने से जीवन बर्बाद कर लेते हैं एवं प्राप्ति के बाद भी संतान सुखी नहीं रहती। देखें, बच्चे का सुख ग्रहों की शांति से कैसे प्राप्त होता है, क्योंकि ग्रह भी विशेष प्रभाव डालते हैं। 

कुंडली में पंचम भाव संतान का होता है। देखें ग्रह वहाँ विराजमान होकर क्या असर देते हैं। यदि अशुभ असर देते हैं तो उनका उपाय निम्न प्रयोग से कीजिए। 

सूर्य : पाँचवें घर में उच्च का सूर्य हो या शुभ हो तो संतान की वृद्धि करता है, परंतु अशुभ सूर्य संतान में बाधक होता है। इसके लिए हनुमानजी को चोला चढ़ाएँ, चने का भोग लगाएँ अथवा बंदरों की सेवा फल से करें। 

चंद्र : संतान भाव में चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो तो अपने शयन कक्ष में पलंग के नीचे ताँबे की प्लेट रखें। 

मंगल : यदि संतान भाव में मंगल अशुभ फल दे रहा हो या गर्भस्थ में बीच में तकलीफ आ रही हो तो मंगलवार के दिन हनुमानजी के पैर में नमक छुआकर नारी कमर में बाँध ले। अनुकूलता आएगी। 

बुध : बुध पाँचवें घर में अशुभ फल दे रहा हो तो चतुर्थी के दिन चाँदी खरीदें एवं धारण करें। स्नान में कुट का प्रयोग करें। 

गुरु : गुरु पाँचवें घर में संतान के लिए बाधक हो तो गुरुवार को केसर का तिलक चंदन के साथ करें एवं पीली हल्दी, पीला चंदन गुरु मंदिर में दान करें। 

शुक्र : शुक्र यदि संतान भाव में स्थित होकर बाधा दे रहा हो तो सफेद कपड़ा, चंदन, इत्र, दही एवं सुगंधित सफेद फूल का दान करें। 

शनि : शनि पाँचवें घर में संतान के लिए बाधक हो तो काले तिल जमीन में दबा दें एवं लोहे की कील, चाकू शनि मंदिर में दान करें। 

राहु : राहु यदि पाँचवें घर में बाधक हो तो अपने पास चाँदी का चौकोर पतरा रखें एवं लोहे की अँगूठी मध्यमा में पहनें। 

केतु : केतु पाँचवें घर में स्थित होकर संतान बाधक हो तो किसी कोढ़ी या गरीब व्यक्ति को कंबल दान करें एवं मंगल के दिन दोपहर में सीसे की अँगूठी गोमूत्र में धोकर धारण करें।

* पंचम स्थान में पाप ग्रह हो तो संतति सुख में बाधा आती है। 

* पंचमेश यदि 6, 8,12 में हो या 6, 8,12 के स्वामी पंचम में हो तो संतान सुख बाधित होता है। 

* पंचमेश अशुभ नक्षत्र में हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है। 

* पंचम का राहु पहली संतान के लिए अशुभ होता है। 

* लग्न पर पाप प्रभाव हो तो संतति विलंब से होती है। 

* लग्न, षष्ठ, सप्तम या अष्टम का मंगल संतान प्राप्ति में विलंब कराता है। (स्त्री-पुरुष दोनों की कुंडली में) 

* स्त्री की कुंडली में लग्न पंचम, सप्तम, भाग्य या लाभ में शनि हो तो संतान देर से होती है। 

* सूर्य-शनि युति संतान प्राप्ति में विलंब और संतान से मतभेद दिखाती है। 

* प्रथम या सप्तम का मंगल (स्त्री के लिए) कष्ट से संतान प्राप्ति का सूचक है। 

* पंचम स्थान पर पापग्रहों की दृष्टि संतान प्राप्ति में विलंब कराती है। 

* पत्रिका (कुंडली) में गुरु राहु यु‍ति हो व पंचम स्थान पाप प्रभाव में हो तो दत्तक संतान का योग बनता है।
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संतान प्रतिबंधक योग

* तृतीय भाव का अधिपति और चंद्रमा केंद्र या त्रिकोण भावों में स्थित हो तो जरक को संतान सुख में बाधा होती है !

* लग्न में मांगल, आठवें शनि और पंचम भाव में शनि हो तो भी जातक को संतान सुख में बाधा होती है ! 

* बुध और लग्न भाव का अधिपति ये दोनों लग्न के अलावा केंद्र स्थानों में हो तो भी संतान सुख में बाधा होती है ! 

* लग्न, अस्थम एवम बारहवें भाव में पापग्रह हो तो संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है ! 

* सप्तम भाव में शुक्र, दशवें भाव में चन्द्रमा, एवं सप्तम भाव में शनि या मंगल हो तो संतान सुख में बाधा होती है ! 

* तीसरे भाव का अधिपति 1/2/3/5 वें भाव में स्थित हो तथा शुभ से युत या द्रस्त हो तो ऐसे जातक को संतान 
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* बहुसन्तान योग

पंचमेश शनि शुक्र के साथ पाप स्थानगत हो |

आठवें भाग में पंचमेश हो | 

पंचमेश तथा तृतीयेश साथ-साथ हो | 

पंचमेश के स्थान में तृतीयेश हो | 

सप्तमेश-तृतीयेश का अन्योंयास्रित योग हो |
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*गोद जाने का योग

कर्क या सिंह राशि मे पापग्रह हो | 

४ या १०वें स्थान पर पापग्रह हो | 

चन्द्रमा से चतुर्थ राशि मे पापग्रह हो | 

सूर्य से ९वें स्थान पर पापग्रह हो | 

चन्द्रमा या सूर्य शत्रुक्षेत्र मे हो 
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*अधिक कन्या योग
पंचमेश आठवें स्थान पर हो | 

11वें भाव में बुध, शुक्र या चन्द्रमा हो | 

पांचवें भाव में शुक्र हो | 

5वें भाव में मेष, वृष या कर्क राशि हो और उसमे केतु हो | 
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पंचमेश और तृतीयेश दोनों निच के हो |
जब पंचम भाव में बृहस्पति अथवा शुक्र स्थित हो या जब बुध पाँचवें भाव से युक्त हो अथवा जब पंचम भाव में शुभ राशि हो और वहाँ शुभ ग्रह स्थित हो तो पुत्र सुख योग बनता है । ऐसे जातक संतानों से सुख प्राप्त करते हैं ।
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संतान प्राप्ति के अचूक उपाय

ध्यान रहे कि जिनकी जिंदगी में ऐसा दुःख नहीं होता वो इस बात के मर्म को नहीं समझ सकते हैं किंतु जो वाकई इससे पीड़ित हैं, उन्हें इसका चमत्कार बहुत शीघ्र देखने को मिलता है। परंतु इससे पूर्व संतान हीनता से पीड़ित हर जातक को ये तथ्य भली-भांति समझ लेनी होगी कि किसी भी मंत्र-तंत्र-यंत्र सहित रत्न तक आस्था-श्रद्धा-विश्वास व अटूट निष्ठा की मांग करते हैं। यानि इन प्रयोगों को अपनाने के लिए आपको इतना संकल्पकृत होना ही होगा कि मध्य राह में चाहे जितनी बाधाएं आएं किंतु आप अपने कदम डिगने नहीं देंगे। 

इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमने गत आलेख में ये स्पष्ट किया था कि डेस्टिनी चेंज हो सकती है बशर्ते आप ग्रहों की चालाकियां समझ लें तथा अपने विवेक को इस्तेमाल करते हुए सही ढंग से उपाय करें।

तो आइए अब हम संतानहीन योगों के बावज़ूद संतान प्राप्ति के उपायों की बात आरंभ करते हैं:

यदि पति व पत्नी, दोनों की कुण्डलियों में पूर्ण संतानहीनता की स्थिति हो तो उन्हें संतान बाधा मुक्ति के लिए निम्न उपाय अविलंब आरंभ करना चाहिए। इसका परिणाम हमेशा सुखद रहा है............

मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः

जप विधि: तुलसी की माला से प्रतिदिन 5 माला प्रातः काल जप करना श्रेयस्कर रहेगा।

भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर के सामने बैठकर कातर भाव से जप करने के पश्चात लड्डू का भोग (प्रसाद) अवश्य चढ़ाएं।

पुत्रेष्टि यज्ञ: यह एक विशद यज्ञ विधान है, जिसे आचार्यों की सहायता के बिना करना संभव नहीं। इस महान यज्ञ का अनुष्ठान संतानहीनता की स्थिति से मुक्त कर देता है। वस्तुतः यह याज्ञिक विधान वैदिक रीति से संपन्न किया जाता है जिसमें भारी व्यय होता है। इसलिए आम आदमी को ये सलाह दी जाती है कि वह इस यज्ञ के स्थान पर गोपाल संतान मंत्र व यंत्र की सहायता ले ताकि बिना किसी व्यय के उसका कार्य पूर्ण हो जाए।

बाधक ग्रहों की क्रूर व पापी ग्रहों की किरण रश्मियों को पंचम भाव, पंचमेश तथा संतान कारक गुरु से हटाने के लिए रत्नों का विकल्प बेहद प्रभावी रहता है। इस बात को समझने के लिए विशेषज्ञ आचार्य की अनिवार्यता होती है ताकि वह निर्धारित कर सके कि किन ग्रहों के कारण संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तथा किन ग्रहों की किरण रश्मियों को प्रतिकर्षित करने के लिए कैसे रत्नों का प्रयोग किया जाए।

संतानहीनता के लिए नवमांश की स्थिति की समीक्षा किया जाना बेहद आवश्यक है। यदि नवमांश चक्र में भी पूर्णरूपेण संतानहीनता की स्थिति बन रही है तो ऐसे में उपरोक्त वर्णित प्रथम उपाय के साथ तृतीय उपाय एक साथ करना लाभकारी होता है।

ध्यान रहे कि इन सभी प्रयोगों का फल पूर्ण निष्ठा से करने पर ही प्राप्त होता है। जिनके मन में इन उपायों को करते रहने के दौरान संशय व्याप्त रहता है, उन्हें इसका फल अपेक्षानुसार नहीं प्राप्त हो पाता है। 

पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान

दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।

* 2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है।

* प्राचीन संस्कृत पुस्तक 'सर्वोदय' में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।

* यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अंडकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है।

* चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।

* कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र तथा दक्षिणायन रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्री जन्म लेती है। उनका यह भी कहना है कि मंगलवार, गुरुवार तथा रविवार पुरुष दिन हैं। अतः उस दिन के गर्भाधान से पुत्र होने की संभावना बढ़ जाती है। सोमवार और शुक्रवार कन्या दिन हैं, जो पुत्री पैदा करने में सहायक होते हैं। बुध और शनिवार नपुंसक दिन हैं। अतः समझदार व्यक्ति को इन दिनों का ध्यान करके ही गर्भाधान करना चाहिए।

* जापान के सुविख्यात चिकित्सक डॉ. कताज का विश्वास है कि जो औरत गर्भ ठहरने के पहले तथा बाद कैल्शियमयुक्त भोज्य पदार्थ तथा औषधि का इस्तेमाल करती है, उसे अक्सर लड़का तथा जो मेग्निशियमयुक्त भोज्य पदार्थ जैसे मांस, मछली, अंडा आदि का इस्तेमाल करती है, उसे लड़की पैदा होती है।

विश्वविख्यात वैज्ञानिक प्रजनन एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लेण्डरम बी. शैटल्स ने हजारों अमेरिकन दंपतियों पर प्रयोग कर प्रमाणित कर दिया है कि स्त्री में अंडा निकलने के समय से जितना करीब स्त्री को गर्भधारण कराया जाए, उतनी अधिक पुत्र होने की संभावना बनती है। उनका कहना है कि गर्भधारण के समय यदि स्त्री का योनि मार्ग क्षारीय तरल से युक्त रहेगा तो पुत्र तथा अम्लीय तरल से युक्त रहेगा तो पुत्री होने की संभावना बनती है।

गर्भ धारण करने के लिए टोटका  

अगर आपको किसी कारणवश गर्भ धारण नहीं हो रहा हो तो मंगलवार के दिन कुम्हार के घर आएं और उसमें प्रार्थना कर मिट्टी के बर्तन वाला डोरा ले आएं। उसे किसी गिलास में जल भरकर दाल दें। कुछ समय पश्चात डोरे को निकाल लें और वह पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। यह क्रिया केवल मंगलवार को ही करनी है अगर संभव हो तो उस दिन पति-पत्नी अवश्य ही रमण करें। गर्भ की स्थिति बनते ही उस डोरे को हनुमानजी के चरणों में रख दें।
संतान व सुख प्राप्ति हेतु

संतान व सुख प्राप्ति हेतु जेमस्टोन  

संतान सुख की प्राप्ति के लिये पुरुष दायें हाथ INDEX FINGER में 6 रत्ती का पुखराज बृहस्पतिवार को पहने।

संतान का वरदान :-

किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या संतान से दुखी हो अथवा संतान रोगग्रस्त हो तो प्रात: पति-पत्नी एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर 'यौं' बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। संतान संबंधी किसी भी समस्या से शीघ्र मुक्ति मिलती है।

पुत्र प्राप्ति के लिए मन्त्र चौपाई  

प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान। 
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।

सन्तान सुख मन्त्र
हे जगन्नाथ ! हे जगदीश !!
हे जगत् पति !! हे जगदाधार !

संतानप्रदायक गणेश मंत्र

श्री गणेश मंत्र का श्रद्धा के साथ 108 बार पाठ करना संतानप्रदायक माना गया है।

नमोस्तु गणनाथाय सिद्धिबुद्धि युताय च
सर्व प्रदाय देहाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च
गुरुदराय गरबे गोपुत्रे गुह्यासिताय ते
गोप्याय गोपिता शेष भुवनाय चिदात्मने
विश्व मूलाय भव्याय विश्व सृष्टि कराय ते
नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुंडिने
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने
शरणंभव देवेश संततिं सुदृढ़ां कुरु
भविष्यंति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायकः
ते सर्वे तव पूजार्थं निरताः स्युर्वरोमतः
पुत्र प्रदं इदंस्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम।

संतान गोपाल यंत्र

मानव जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एक अच्छे संतान की आवश्यकता होती हैं। परन्तु-कुछ लोग संतान विहीन होते हैं और संतान की प्राप्ति के लिए अनेक प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में संतान प्राप्ति हेतु यह यंत्र अत्यन्त चमत्कारिक है। इस यंत्र की प्रतिष्ठा पूजा करने से मनोवांछित संतान की प्राप्ति होती है। और वह दीर्घायु और गुणवान होता है।
संतान गोपाल यंत्र की साधना अत्यन्त प्रसिद्ध है जिन्हें संतान नहीं उत्पन्न होती है वे बालकृष्ण की मूर्ति के साथ संतान गोपाल यंत्र स्थापित करते हैं तथा उनके सामने संतानगोपाल स्तोत्र का पाठ करते हैं।

रोष्टि यज्ञ’ करते हैं पुत्रेष्टि यज्ञ एवं संतान गोपाल यंत्र के द्वारा अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है।

संतान गोपाल  मंत्र  एवं यंत्र का उपयोग

यदि पति व पत्नी, दोनों की कुण्डलियों में पूर्ण संतानहीनता की स्थिति हो तो उन्हें संतान बाधा मुक्ति के लिए निम्न उपाय अविलंब आरंभ करना चाहिए। इसका परिणाम हमेशा सुखद रहा है............
मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
 
जप विधि: तुलसी की माला से प्रतिदिन 5 माला प्रातः काल जप करना श्रेयस्कर रहेगा। 
 
भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर के सामने बैठकर कातर भाव से जप करने के पश्चात लड्डू का भोग (प्रसाद) अवश्य चढ़ाएं।
 
पुत्रेष्टि यज्ञ: यह एक विशद यज्ञ विधान है, जिसे आचार्यों की सहायता के बिना करना संभव नहीं। इस महान यज्ञ का अनुष्ठान संतानहीनता की स्थिति से मुक्त कर देता है। वस्तुतः यह याज्ञिक विधान वैदिक रीति से संपन्न किया जाता है जिसमें भारी व्यय होता है। इसलिए आम आदमी को ये सलाह दी जाती है कि वह इस यज्ञ के स्थान पर गोपाल संतान मंत्र व यंत्र की सहायता ले ताकि बिना किसी व्यय के उसका कार्य पूर्ण हो जाए।

संतान गोपाल यंत्र को गुरुपुष्य नक्षत्र में पूजन एवं प्रतिष्ठा करने के पश्चात् संतान गोपाल स्त्रोत्र का पाठी करने से शीघ्र ही गृह में कुलीन एवं अच्छे गुणों से युक्त संतान की उत्पत्ति होती है तथा माता पिता की सेवा में ऐसी संतानें हमेशा तत्पर रहती हैं।
संतान गोपाल यंत्र को गोशाला में प्रतिष्ठित करके गोपालकृष्ण का मंत्र का जप श्रद्धापूर्वक करने से वध्या को भी शीघ्र ही पुत्ररत्न उत्पन्न होता है तथा सभी गुणों से सम्पन्न होता है।

ऐसे मिलेगी स्वस्थ और सुन्दर संतान

यदि आपकी शादी को लम्बा समय बीत गया है? लेकिन अब तक आप माता- पिता बनने का सुख नहीं उठा पाएं है। अब तो रिश्तेदार भी आपको ताने मारने लगे हैं तो इस परेशानी से निजात पाने के सबसे आसान उपाय तंत्र में हैं।यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में शीघ्र ही एक स्वस्थ और सुन्दर बच्चे की किलकारियां गुंजे तो नीचे लिखे इन टोटकों को जरुर अपनाए। 

- शुक्रवार के दिन बने तो शुक्रवार के दिन चने के आटे की दो रोटियां बनाकर उस पर सूखी सब्जी रखकर किसी गरीब को खिलाएं। 

- इस क्रिया को सात बार करें तो स्वस्थ संतान की प्राप्ति होगी। 

- सोमवार के दिन गर्भवती स्त्री देशी कपूर का एक टूकड़ा लें। उसमें से आधा काटकर जला दें। आधा शिवजी के मंदिर में डाल दें तो भी स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है। 

- गौ शाला में दान करने से संतान की स्वस्थ और सुन्दर संतान प्राप्त होगी। 

- शुक्रवार को आटे में पनीर डालक र गाय को खिलाने से स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है। 

- दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर नियमित रूप से उस दूध से नर्मदेश्वर का अभिषेक करें और बाद में अभिषेक के दूध को पूरी आस्था के साथ ग्रहण करें। शीघ्र ही सुन्दर और स्वस्थ संतान की प्राप्ति होगी।

पुरुष और स्त्री के दाहिने हाथ मे साफ़ मिट्टी रख कर उसके अन्दर थोडा दही और पिसी शुद्ध हल्दी रखनी चाहिये,यह काम रात को सोने से पहले करना चाहिये,सुबह अगर दोनो के हाथ में हल्दी का रंग लाल हो गया है तो संतान आने का समय है,स्त्री के हाथ में लाल है और पुरुष के हाथ में पीली है तो स्त्री के अन्दर कामवासना अधिक है,पुरुष के हाथ में लाल हो गयी है और स्त्री के हाथ में नही तो स्त्री रति सम्बन्धी कारणों से ठंडी है,और संतान पैदा करने में असमर्थ है,कुछ समय के लिये रति क्रिया को बंद कर देना चाहिये।

चार वीरवार को 900 ग्राम जौं चलते जल में बहाए |

वीरवार का व्रत भी रखना शुभ होगा |

राधा कृष्णजी के मंदिर में शुक्ल पक्ष के वीरवार या जन्माष्टमी को चान्दी की बांसुरी चढाये |

लाल या भूरी गायें को आट्टे का पेढा व पानी दे |

अन्य उपाय 

1. यदि किसी दम्पति को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष में अभिमंत्रित संतान गोपाल यंत्र को अपने घर में स्थापित करके लगातार 16 गुरुवार को ब्रत रखकर केले और पीपल के वृक्ष की सेवा करें उनमे दूध चीनी मिश्रित जल चड़ाकर धुप अगरबत्ती जलाये फिर मासिक धर्म से ठीक तेहरवीं रात्रि में अपने पति से रमण करें संतान सुख अति शीघ्र प्राप्त होगा ।

2. पति पत्नी गुरुवार का ब्रत रखें या इस दिन पीले वस्त्र पहने , पीली वस्तुओं का दान करें यथासंभव पीला भोजन ही करें .....अति शीघ्र योग्य संतान की प्राप्ति होगी ।

3. संतान सुख के लिए स्त्री गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं ...शीघ्र ही उसकी गोद भर जाएगी ।

4. शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें ...निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी ।

5. किसी भी गुरुवार को पीले धागे में पीली कौड़ी को कमर में बांधने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।

6. संतान प्राप्ति के लिए स्त्री पारद शिवलिंग का नियम से दूध से अभिषेक करें ...उत्तम संतान की प्राप्ति होगी ।

7. हर गुरुवार को भिखारियों को गुड का दान देने से भी संतान सुख प्राप्त होता है l  

8. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर पिलाने से स्त्री को अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है यह अत्यंत ही सिद्ध / परीक्षित प्रयोग है ।

9. रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाये और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें उसकी इच्छा अति शीघ्र पूरी होगी ।

10. श्वेत लक्ष्मणा बूटी की 21 गोली बनाकर उसे नियमपूर्वक गाय के दूध के साथ लेने से संतान सुख की अवश्य ही प्राप्ति होती है ।

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