ह्रदय रेखा
🥀🥀🥀🥀 ~~~ हृदय रेखा ~~~ 🥀🥀🥀🥀
दोस्तों नमस्कार ..🙏🙏.....
दोस्तों चाहे जैसा भी हाथ हो हर व्यक्ति के हाथ में तीन रेखाएं जरूर होती हैं, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा। जीवन रेखा से हम व्यक्ति की आयु और जीवन में कष्टों का विचार करते हैं। मस्तिष्क रेखा से व्यक्ति की दिमागी स्थिति के बारे में जानते हैं और हृदय रेखा से हम व्यक्ति के मानसिक प्रेम, स्नेह भावनाओं, विपरीत लिंग के मध्य आकर्षण, भावनात्मक स्थिरता, मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति और स्वभाव के बारे में जान सकते हैं। तो आइए जानते हैं...
ह्रदय रेखा हथेली में अंगुलियों के नीचे स्थित होती है। यह रेखा प्रयाः प्रथम अंगुली से आरम्भ होकर करतल को पार करती हुई चौथी या छोटी अंगुली के मूल पर हथेली के अंत में समाप्त होती है। हृदय रेखा के प्रारम्भिक स्थान को लेकर कुछ हस्त रेखा विशेषज्ञों के अलग - अलग मत हैं लेकिन मैं यहां सिर्फ अपना अनुभव व्यक्त कर रहा हूं।
1.÷ जब हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र के बिल्कुल बाहर से आरम्भ होती है तो व्यक्ति प्रेम में अंधा हो जाता है। ऐसे जातक को अपने प्रेमी या प्रेमिका में कोई दोष नज़र नहीं आता और वह उसकी पूजा करता है ऐसे जातक प्रायः अपने प्रेम में अंधविश्वास में धोखा खाते हैं।
2.÷ यदि हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र के मध्य से आरम्भ हो तो जातक के प्रेम में अंधविश्वास नहीं होता। ऐसे जातक के प्रेम में आदर्श प्रमुख स्थान रखता है। इस प्रकार की रेखा सर्वोत्तम समझी जाती है। ऐसे व्यक्ति प्रेम में दृढ़ और विश्वसनीय होते हैं।
3.÷ यदि हृदय रेखा पहली और दूसरी अंगुली के बीच के स्थान से आरम्भ हो तो जातक प्रेम के मामले में शांतिपूर्ण और गहरे स्वभाव का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने प्रेम के लिए बड़े से बड़ा बलिदान कर सकते हैं किन्तु वे अपने प्रेम का प्रदर्शन नहीं करते। वे प्रेम तो हृदय से करते हैं, किन्तु इतना नहीं कि अपने प्रेमी या प्रेमिका की देवता या देवी के समान उपासना नहीं करते हैं।
4.÷ यदि हृदय रेखा शनि क्षेत्र से आरम्भ हो ( जैसा कि चित्र में दिखाया गया है ) तो जातक प्रेम के संबंध में स्वार्थी होते हैं। उनका आत्मबलिदान करने का स्वभाव नहीं होता। वे चिड़चिड़े मिजाज के और कम बोलने - चालने वाले होते हैं और अपने प्रेम का प्रदर्शन नहीं करते। वे हठी स्वभाव के होते हैं और जिस व्यक्ति को चाहते हैं, उसे प्राप्त करके ही चैन लेते हैं। किन्तु एक बार जब वो उसको प्राप्त कर लेते हैं तो वे उसके प्रति उदासीन हो जाते हैं और पूर्ण निष्ठा नहीं निभाते। उन्हें अपनी कमियां तो नहीं दिखाई देतीं, किन्तु उनके जीवन - साथी, प्रेमी या प्रेमिका से कोई गलती हो जाए तो वे उसे क्षमा नहीं करते।
5.÷ यदि हृदय रेखा बहुत लंबी अर्थात् हथेली के एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुंच जाए तो जातक अत्यंत ईर्ष्यालु स्वभाव का होता है यह अवगुण अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाता है यदि मस्तिष्क रेखा बहुत झुकाव के साथ चन्द्र पर्वत की ओर मुड़ जाए।
6.÷ यदि हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र पर नीचे की ओर मुड़ जाए तो जातक को अपने प्रेम और मैत्री संबंधों में अत्यंत निराशा का सामना करना पड़ता है।
7.÷ यदि हृदय रेखा जंजीराकार हो या सूक्ष्म रेखाओं का एक समूह उसमे आकर मिलता हो तो यह योग इस बात का परिचायक है कि जातक दिल - फेंक तबीयत का है और उसके प्रेम में स्थिरता नाममात्र को भी नहीं है। वह उस भंवरे के समान होता है जो विभिन्न स्वाद प्राप्त करने के लिए फूल - फूल पर मंडराया करता है।
8.÷ यदि शनि क्षेत्र से आरम्भ होने वाली हृदय रेखा जंजीराकार और चौड़ी भी हो तो जातक विपरीत योनि से नफ़रत करता है। यदि यह रेखा पीले रंग की हो तो जातक के मन में प्रेम की भावना जन्म ही नहीं लेती।
9.÷ यदि हृदय रेखा इतनी नीचे स्थित हो कि मस्तिष्क रेखा को स्पर्श करती सी हो तो प्रेम की भावनाओ का मस्तिष्क पर अधिक प्रभाव होता है।
10 .÷ जब हृदय रेखा आरम्भ में दो शाखाओं में विभाजित होती है एक शाखा बृहस्पति क्षेत्र की और दूसरी शाखा पहली और दूसरी अंगुली के बीच के स्थान को जाती हो, तो यह योग संतुलित और सुखद प्रेम स्वभाव का परिचायक है। ऐसी परिस्थिति में जातक अपने प्रेम संबंधों में बहुत सुखी और भाग्यशाली होता है।
11.÷ यदि हृदय रेखा टूटी - फूटी हो तो जातक को प्रेम - संबंधों में कभी न कभी बहुत दुःख उठाना पड़ता है।
नोट .÷ पूर्ण फलादेश हेतु हथेली और अंगुलियों की बनावट, ग्रह पर्वत और अन्य रेखाओं का भी विश्लेषण अवश्य कर लेना चाहिए।
✍️ astrologer Deshraj Chauhan.95198 47994.
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