ग्रह बल
#नमस्ते(अभिनन्दन) आज हम समझेंगे ग्रहो के बल को अर्थात किन स्थितियों में ग्रहो को एक विशेष बल प्राप्त होता है उसे आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे चलिए आगे बढ़ते है और समझते है-👇
👉इस लेख में हम ग्रहों के बल की बात करेंगे ग्रहों का बल 6(छ:) प्रकार का होता है
☘️स्थान बल
☘️दिग्बल अथवा दिशा बल
☘️काल बल अथवा समय बल
☘️नैसर्गिक बल
☘️चेष्टा बल
☘️द्रग्बल अथवा द्रष्टि बल
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👉स्थान बल
व्यक्ति की कुंडली में यदि-
☘️उच्च राशि में
☘️मूल त्रिकोण में
☘️स्वग्रही तथा मित्र राशि में
👉स्थित गृह को स्थान बली कहा माना जाता है |
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👉दिग्बल अथवा दिशा बल
-बुध तथा गुरु लग्न में
-चन्द्र एवं शुक्र चतुर्थ भाव में
-शनि सप्तम में
-मंगल दशम भाव अथवा स्थान में होतो
-दिग्बली अथवा दिशाओं का बली माना जाता है |
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👉काल बल :
☘️व्यक्ति का रात्रि में जन्म हो तो चन्द्र, मंगल एवं शनि
☘️तथा दिन में जन्म हो तो सूर्य, बुध, तथा शुक्र, काल बली माने जाते हैं |
☘️मतान्तर से बुध को दिन व् रात्रि दोनों में ही #काल_बली माना जाता है |
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👉नैसर्गिक बल
☘️शनि, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, चन्द्र चेष्टा बल तथा सूर्य, ये उत्तरोत्तर बली हैं, इन्हीं को नैसर्गिक बली कहा जाता है |
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👉चेष्टा बल :
☘️मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृष, मिथुन, इन छ: राशियों में से किसी में होने से सूर्य चेष्टा बली होता है |
☘️चन्द्र भी उक्त छ: राशियों में से होने से चेष्टा बली होता है |
👉मंगल,बुध,गुरु,शुक्र,शनि
☘️इनमें से जो भी चन्द्रमा के साथ हो वह चेष्टा बली होता है |
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👉दृग्बल या द्रष्टि बल :
☘️जन्म कुंडली में जब किसी क्रूर गृह पर शुभ गृह की द्रष्टि पड़ती है
☘️तब वह क्रूर गृह भी शुभ गृह की द्रष्टि पाकर द्रग्बली हो जाता है।
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