कार्तिक पूर्णिमा

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30 नवंबर 2020 कार्तिक पूर्णिमा
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कार्तिक पूर्णिमा का पर्व सोमवार (30 नवंबर 2020 को) को अगर भरण और रोहिणी नक्षत्र में स्नान-दान के साथ मनाया जाएगा। सोमवार को सुबह पूर्णिमा तिथि को रोहणी नक्षत्र होने से इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। पू्र्णिमा तिथि तो रविवार को दोपहर 12:30 के बाद शुरू हो गई है, लेकिन उदया तिथि सोमवार को होने के करण ग्रहस्थ लोग सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाएंगे।

घर मे अपने अपने पितरों के नाम पर दीपक रखें। परिवार की आर्थिक तंगी दूर करने के लिए पितरों को खुश करना बेहद जरूरी माना जाता है। देव दीपावली को पितर देवताओं को दीप दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा को दीप जलाने से भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है। इस कारण श्रद्धालु विष्णुजी को ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल के पेड़, नदी किनारे, मंदिरों में दीप जलाते है।

इस दिन दान करना अत्‍यंत शुभ माना जाता है. किसी ब्राह्मण या निर्धन व्‍यक्ति को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान और भेंट देकर विदा करें।

शास्त्रों में तुलसी के पौधे को लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का रूप बताया गया है यानी जहां पर तुलसी होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास होता है। यह एक अद्भुत औषधीय पौधा (Medicinal Plant) है। तुलसी का पौधा घर में लगाने से नेगेटिव एनर्जी (Negative Energy) खत्म होती है और पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है।तुलसी का पौधा घर में आने वाली विपत्ति को रोकने के साथ-साथ रोगों के नाश के लिए भी एक अच्छा उपाय है। साथ ही यह परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी शुभ होती है। तुलसी का पौधा घर में होने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है।

प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण व्रत रखा जाता है। सत्यनारायण व्रत में कथा स्नान दान आदि का बहुत महत्व है। इस व्रत में सतनारायण भगवान अर्थात विष्णु जी की पूजा की जाती है सारा दिन व्रत रखकर संध्या समय में पूजन तथा कथा की जाती है। पूजा के उपरांत भोजन ग्रहण किया जाता है।इंद्र का दर्प भंग करने के लिए विष्णु जी ने नर और नारायण के रूप में बद्रीनाथ में तपस्या की थी वही नारायण सत्य को धारण करते हैं अतः सत्यनारायण कहे जाते हैं।

🌿पूर्णिमा के दिन करने हेतु उपाय🌿

स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
चावल लेकर उसमें हल्दी मिलाकर गंगाजल मिलाएं और उस को पीसकर उससे स्वास्तिक बनाएं अपने मुख्य द्वार पर बनाते समय गायत्री मंत्र का जप करें या फिर गणेश मंत्र का जप करें गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होगी घर के क्लेश दूर होंगे सुख-समृद्धि प्राप्त होगी। शाम के समय पूर्णिमा के दिन  चंद्रमा को अर्घ्य दे।

जय श्री राधे
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