असली स्फटिक की पहचान-
असली स्फटिक की पहचान-
मार्केट में स्फटिक के नाम पर कांच की या प्लास्टिक की मालाएं मिलती हैं। लेकिन स्फटिक एक शुद्ध चमकिला पत्थर है। हाथ में लेने पर यह भारी और एकदम ठंडा लगेगा। इसकी चमक कभी भी खतम नहीं होती है। जब इसे रगड़ेंगे तो इसमें स्पार्क होगा। इसके मोती एकदम से पारदर्शी नहीं होते हैं। यह कभी भी मटमेला नहीं होता। इसकी माला अंधेरे में लाइट मरने पर चमकती है। इसके मोती पूरी तरह से गोल नहीं होते। इसकी माला के हर मोतियों का साइज अलग-अलग हो सकता है। कोई छोटा तो कोई बड़ा। क्योंकि इसकी कोई कटिंग नहीं होती है। हां, डायमंड कट माला के मोती एक जैसे होते हैं लेकिन वह बहुत महंगे मिलते हैं।
स्फटिक का मंत्र- स्फटिक पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है। इसके देवता कालाग्नि हैं। माता लक्ष्मी की उपासना के लिए स्फटिक की माला शुभ मानी गई है। इसका मंत्र है- 'पंचवक्त्र: स्वयं रुद्र: कालाग्निर्नाम नामत:।।'
लाभ-
1.कहते हैं कि इसे पहनने से किसी भी प्रकार का भय और घबराहट नहीं रहती है।
2.इसकी माला धारण करने से मन में सुख, शांति और धैर्य बना रहता है।
3.ज्योतिष अनुसार इसे धारण करने से धन, संपत्ति, रूप, बल, वीर्य और यश प्राप्त होता है।
4.माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से भी मुक्ति मिल जाती है।
5.इसकी माला से किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।
6.इससे सोच-समझ में तेजी और दिमाग का विकास होने लगता है।
7.इसकी भस्म से ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियां दूर होती है।
8.स्फटिक किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है।
9.स्फटिक की माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
10.स्फटिक की माला धारण करने से शुक्र ग्रह दोष दूर होता है।
11.स्फटिक के उपयोग से दु:ख और दारिद्र नष्ट होता है।
12.यह पाप का नाशक है। पुण्य का उदय होता है।
13.सोमवार को स्फटिक माला धारण करने से मन में पूर्णत: शांति की अनुभूति होती है एवं सिरदर्द नहीं होता।
14.शनिवार को स्फटिक माला धारण करने से रक्त से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
15.अत्यधिक बुखार होने की स्थिति में स्फटिक माला को पानी में धोकर कुछ देर नाभि पर रखने से बुखार कम होता है एवं आराम मिलता है।
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