शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं!
शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं!
शिवलिंग के ऊपर चढाये जल को लांघा
नही जाता और शिव लिंग की परिक्रमा
आधी की जाती है।
शिवलिंग पर अर्पित नैवेद्य भी नही
खाया जाता,उसे गऊ वंश को खिला
दिया जाता है क्यों कि उनमें ही इसकी
शक्ति की सहने की क्षमता होती है।
भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें,
हैरान हो जायेंगे !
भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के
अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर
सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।
▪️ शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि
न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं,तभी तो
उन पर जल चढ़ाया जाता है,
ताकि वो शांत रहें।
▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि
बिल्व पत्र,आकमद,धतूरा,गुड़हल आदि
सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी
रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल
निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।
▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का
डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।
▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल
नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर
औषधि का रूप ले लेता है।
▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से
कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर
नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।
महाकाल उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों
के बीच का सम्बन्ध (दूरी )देखिये_*
▪️ उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी
▪️ उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी
▪️ उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी
▪️ उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी
▪️ उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी
▪️ उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी
▪️ उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी
▪️ उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
▪️ उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी
▪️ उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी
सनातन धर्म में कुछ भी बिना कारण के
नहीं होता था ।
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है,
जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते
आ रहे हैं।
इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और
ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित
यंत्र भी बनाये गये हैं करीब 2050 वर्ष
पहले।
और जब करीब 100 साल पहले
पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा(कर्क)
अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी
तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही
निकला।
आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते
हैं सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी
के लिये।
हर हर महादेव💐
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