राखी पर ये 5 सावधानी अवश् रखे

 राखी पर ये 5 सावधानी अवश् रखे

बहनो से निवेदन - अपने भाई को सूखे-नारियल गोले से मत बांधिये राखी...वरना अनर्थ होगा_
_राखी बांधते समय अपने भाई का हाथ भरा हुआ हो, तो ही राखी बांधी जाती है यह परम्परा है।_
_इसलिये बहने अपने भाई के हाथ में नारियल रखती हैं, भाई नारियल पकड़ता है और बहन राखी बांधती है।✊✊_
_हाथ भरा होने के पीछे यह कामना रहती है कि भाई के हाथ में सदैव लक्ष्मी बनी रहे। इसी कारण उसके हाथ में *‘‘श्री’’ फल* अर्थात नारियल रखा जाता है। 💵💸_
_कुछ लोगों के यहॉ केले, मिठाई अथवा सूखे नारियल गोले भी रखे जाने लगे हैं- यह पूर्णत: गलत है। ❌❌_
_👉आप कहेंगे कि यह परम्परा है - तो समझ लीजिये यह परम्परा भूल-वश चालू हो गई है जिसे तत्काल सुधार लेना चाहिये। 😳_
_👩 कौन बहन चाहती है कि उसके भाई के हाथ सूखे रह जायें- यदि बहन नहीं चाहती है तो उसेअपने भाई के हाथ में ‘‘जलयुक्त श्रीफल ही रखकर राखी बांधना चाहिये।’’ 🙋‍♂️🏵_
_👉 और भाईयों को भी ध्यान रखना चाहिये कि वह श्रीफल से ही राखी बंधवायें।_
😳
_👉 रोचक जानकारी - परम्परा यह है कि शादी-शुदा बहने जब मायके आती हैं तो भाई के लिये नारियल और भाभी के लिये सूखा-गोला लाती है जिसे उनकी झोली में डालती हैं।_ _कालांतर में इस सूखे गोले से कुछ बहनों ने गलती करते हुए भाईयों को राखी बांधना शुरु कर दी।_
_जबकि यह सूखा गोला सिर्फ भाभी के लिये होता है।_
_भाई के हाथ में श्रीफल ही रखा जाता है ?? ☺️_
👇

*_क्या 5 सावधानी रखनी है-_*
_1. राखी श्रीफल नारियल से ही बंधवानी है, सूखे गोले से नहीं। ☺️_
_2. नारियल नहीं है तो सिर्फ धन अर्थात कुछ रुपये हाथ में रखकर भी राखी बंधवा सकते हैं लेकिन इसके अलावा कुछ नहीं रखना चाहिये। परिस्थितिजन्य अक्षत मतलब बिना टूटे साबूत चावल भी रखे जा सकते हैं। ☺️_
_3. एक ही श्रीफल से पूरे परिवार के लोग राखी बंधवा सकते हैं, इसलिये अलग-अलग श्रीफल नही खरीदना चाहिये ।☺️_
_4. भाई को बहनों से कुछ लेना नहीं चाहिऐ इस मान्यता के अनुसार श्रीफल भी भाई अपने पास नहीं रखते सिर्फ हाथ में रखकर राखी बंधवाते हैं। वह_ _श्रीफल बहन का ही होता है। ☺️_
_5. बहनों को प्रयास करना चाहिऐ कि वह अपने हाथ से *रेशमी धागे की राखी* बनाकर अपने भाई को बांधे। रेशम का धागा_ _आसानी से बाजार में मिल जाता है। राखी कोई दिखावे की वस्तु नहीं है,_

   _वह मर्यादा और शक्ति का प्रतीक है,यह_
_रक्षा-सूत्र है,जो पूरे वर्ष हमारी रक्षा करता है,इसलिये इसमें_ _तडक़-भडक़-चमक की जरुरत नहीं है। हॉ बाजारु राखी सिर्फ बच्चों का मन बहलाने का माध्यम है। यदि आप भाई को चाहती हैं तो रेशम की डोर ही बांधे।☺️_
_👉 मिठाई को लेकर भी सावधान रहे - पहला प्रयास बहने अपने हाथ से कोई मिठाई बनाये नहीं बना सके,तो हलुवा ही बना ले। बहुत मजबूरी में ही बाजार से मिठाई लायें...क्योंकि यह प्यार का पर्व है ???_
_🙋‍♂️ भाई, अपनी बहन को स्पष्ट कहे कि *खुद मिठाई बनाकर लाना,* बाजार की नहीं होना चाहिये।_
_👩 बहन, अपने भाई को स्पष्ट कहे कि सिर्फ *स्नेह और प्यार दे,* रुपये से राखी को ना तोले।_
_आईये हम सब मिलकर इस महापर्व को व्यवस्थित रूप से मनायें,..._

🕉*वैदिक राखी बनाने की विधि .......
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5 पवित्र चीजों से बनता है यह रक्षा सूत्र.......
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कैसे बनती है असली वैदिक राखी, भाई की करती है हर संकट से रक्षा.....
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रक्षा बंधन का पर्व वैदिक विधि से मनाना श्रेष्ठ माना गया है। इस विधि से मनाने पर भाई का जीवन सुखमय और शुभ बनता है। वर्तमान में बाज़ार ने हमारे लगभग हर रीति-रिवाज़, तीज-त्यौहार को मनाने के मापदंड लगभग बदल दिये हैं। चकाचौंध में इन त्यौहारों के वास्तविक मूल्य भी लुप्त होते जा रहे हैं। रक्षाबंधन से लगभग एक महीने पहले ही बाज़ारों में रौनक शुरु हो जाती है। दुकानें सजाई जाने लगती हैं। रंग-बिरंगी राखियों के स्टॉल भी लगाये जाने लगते हैं। रेशम के धागों से लेकर बनावटी फूलों की राखियां सजी होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं वैदिक परंपरा के अनुसार जो राखियां आप बाज़ार से खरीदते हैं उनका महत्व केवल प्रतीकात्मक रूप से त्यौहार को मनाने जितना ही है। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन के दिन बहनों को भाई की कलाई पर वैदिक विधि से बनी राखी जिसे वास्तव में रक्षासूत्र कहा जाता है बांधी जानी चाहिये। इसे बांधने की विधि भी शास्त्रसम्मत होनी चाहिये।
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रक्षा बंधन के दिन राखी बाँधने के अतिशुभ मुहूर्त अपराह्न का समय होता है। यदि कभी अपराह्न मुहूर्त किन्ही ज्योतिषी कारणों से उपलब्ध ना हो, तो प्रदोष मुहूर्त भी अनुष्ठान के लिए शुभ माना जाता है। भद्रा समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है इसलिए इस समय अनुष्ठान न करें।
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कच्चे सूत व हल्दी से बना रक्षासूत्र शुद्ध व शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है।
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वहीं दुर्वा, अक्षत, केसर, चंदन, सरसों से बना रक्षासूत्र भी शुभ व सौभाग्यशाली माना जाता है। विभिन्न धार्मिक क्रिया-कलापों में इन वस्तुओं का इस्तेमाल होते हुए आपने देखा होगा। हल्दी, चावल और दूब तो विशेष रूप से लगभग हर कर्मकांड, पूजा आदि में प्रयोग की जाती है। दरअसल रक्षासूत्र में इनके इस्तेमाल के पीछे की मान्यता भी यही है कि जिसे भी रक्षासूत्र बांधा जा रहा है उसकी वंशबेल दूब की तरह ही खूब फले-फैले, भगवान श्री गणेश को प्रिय होने से इसे विघ्नहर्ता भी माना जाता है। वहीं अक्षत यानि चावल आपसी रिश्तों में एक दूसरे के प्रति श्रद्धा के प्रतीक हैं साथ ही दीर्घायु स्वस्थ जीवन की कामना भी इनमें निहित मानी जाती है। केसर तेजस्विता के लिये तो चंदन शीतलता यानि संयम के लिये एवं सरसों हमें दुर्गुणों के प्रति तीक्ष्ण बनाये रखे इस कामना के साथ रखी जाती है। हल्दी, गोमती चक्र, कोड़ी भी शुभ माने जाते हैं।
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वैदिक राखी बनाने के लिए एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें । उसमें (१) दूर्वा (२) अक्षत (साबूत चावल) (३) केसर या हल्दी (४) शुद्ध चंदन (५) सरसों के साबूत दाने - इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं ।
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शास्त्रानुसार इसके लिए पांच वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जिनसे रक्षासूत्र का निर्माण किया जाता है। इनमें दूर्वा (घास), अक्षत (चावल), केसर, चन्दन और सरसों के दाने शामिल हैं। इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावे में पिरो दें। इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी।
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पांच वस्तुओं का महत्त्व........
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दूर्वा (घास) - जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में लगाने पर वह हजारों की संख्या में फैल जाती है, वैसे ही ‘हमारे भाई या हितैषी के जीवन में भी सद्गुण फैलते जायें, बढ़ते जायें...’ इस भावना का द्योतक है दूर्वा । उसी प्रकार रक्षा बंधन पर भी कामना की जाती है कि भाई का वंश और उसमें सदगुणों का विकास तेजी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ती जाए। दूर्वा विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए।
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अक्षत (चावल) - हमारी परस्पर एक दूजे के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
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केसर - केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।
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चन्दन - चन्दन की प्रकृति शीतल होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।
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सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें। सरसो के दाने भाई की नजर उतारने और बुरी नजर से भाई को बचाने के लिए भी प्रयोग में लाए जाते हैं।
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इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान के चित्र पर अर्पित करें। फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं, वह पुत्र- पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्षभर सुखी रहते हैं।
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राखी बांधते समय बहन बोलें यह मंत्र.........
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येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल।।
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शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बांधते समय यह मंत्र बोलें ‘अभिबद्धनामि‘ के स्थान पर ‘रक्षबद्धनामि कहे।
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रक्षासूत्र बांधते समय मिठाई या गुड़ से मुंह मीठा कराना ही उत्तम रहता है।**जैसा की आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म के अनुसार  प्रतिवर्ष श्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस बार 22 अगस्त 2021 रविवार के दिन है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यदि यह रक्षा सूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में उसका बड़ा महत्व है ।

आइए हम आपको बताते हैं वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि ।
वैदिक रक्षा सूत्र बनाने के लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -
(१) दूर्वा (घास)
(२) अक्षत (चावल)
(३) केसर
(४) चन्दन
(५) सरसों के दाने ।

इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।

अब आप सभी के मन में यह प्रश्न स्वभाविक है कि इन पांच वस्तुओं का महत्त्व क्या है।

आइए जानते हैं एक एक सामग्री की विशेषता से।

(१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए।

(२) अक्षत - हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।

(३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।

(४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।

(५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम गुरुदेव के श्री-चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।

महाभारत में यह रक्षा सूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधी थी । माना जाता है कि जबतक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई ।
जो भी बंधुजन इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं वे सभी जन  पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सुखी रहते हैं ।

रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र
रक्षा सूत्र बाँधते समय  एक विशेष मंत्र का उच्चारण करते हैं जो इस प्रकार है-

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

रक्षा सूत्र के इस पवित्र मंत्र का अर्थ
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दानवीर, महाबली राजा बलि जिस (रक्षा सूत्र) से बंध गए थे उसी से मैं तुम्हें भी बाँधता हूँ। फिर रक्षा सूत्र को संबोधित करते हुए- हे रक्षा! तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।

अर्थात् जिस प्रकार भगवान वामन ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था उसी प्रकार मैं तुम्हें भी इस रक्षासूत्र रूपी धर्म-बंधन में बाँधता हूँ। हे रक्षा! तुम स्थिर रहो।

सारत: इस मंत्र का भाव यही है कि जिस व्यक्ति को रक्षा सूत्र बाँधा जा रहा है वह अपने धर्म में स्थिर रहे और दैवी शक्तियाँ उसकी रक्षा करें।

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🚩जय श्रीहरि 🚩*

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