भगवती #महालक्ष्मी का #नारायण के श्री #चरण में #निवास करने का #ज्योतिषीय तथा #सामाजिक संदर्भ!

भगवती #महालक्ष्मी का #नारायण के श्री #चरण में #निवास करने का #ज्योतिषीय तथा #सामाजिक संदर्भ!
सुख,भोग,ऐश्वर्य, वैभव,समृद्धि,धन इत्यादि के कारक शुक्र हैं और शुक्र को भगवती लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है और शुक्र से संबंधित ईष्ट का निर्धारण भगवती लक्ष्मी से होता है।
        दूसरी ओर भगवान नारायण हरि श्री विष्णु जो कारक हैं धर्म,कर्म,न्याय,सन्यास,मोक्ष इत्यादि  के और शनि को भी इन्ही चीजो का कारक माना गया है और शनि देव के ईष्ट स्वयं श्री कृष्ण ही हैं जिनके ध्यान में शनि देव निरंतर रहते हैं और मानव शरीर की बात करें तो शनि पैर को निरूपित करते हैं।
     मानव के लिए चार पुरुषार्थ बताये गए हैं,#धर्म,#अर्थ,#काम और #मोक्ष।यहां धर्म तो भगवान श्री विष्णु के आराधना से प्राप्त होता है जोकि अर्थ और कामना यानी लक्ष्मी की प्राप्ति कराता है और ये लक्ष्मी का निवास स्थान भगवान नारायण के चरण में होता है और भगवान नारायण का चरण ही मोक्ष देता है इसका प्रमाण गया का #श्रीविष्णु #पद(चरण) मंदिर है जहां पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण किया जाता है।
        एक बात और ध्यान देने योग्य है, भगवती लक्ष्मी यानी शुक्र से संबंधित राशि जहां भगवान श्री विष्णु के चरण यानी शनि का वास हो जाय ये शनि की सबसे उत्तम अवस्था है जिसे उच्च अवस्था कहते हैं और जिस राशि मे कोई ग्रह उच्च हो उस राशि से संबंधित ग्रह की शुभता में भी वृद्धि करता है।यानी ये एक अति विशेष योग है जो प्रतीकात्मक रूप से हमे बताया गया है।
       सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य बात ये है कि अगर पुरुष में श्री विष्णु वाला #पुरुषार्थ हो तभी स्वयं उसकी पत्नी लक्ष्मी स्वरूपा होकर उसके चरण के पास निवास करेगी दूसरी बात ये कि नारायण जब भी #गरुड़ जी पर सवारी करते हैं तो अपनी #प्रिया लक्ष्मी को अपने साथ अपने बराबर का दर्जा देकर अपने बाम अंग में बैठाकर भ्रमण करते हैं अर्थात समाज मे अपनी पत्नी को बराबर का दर्जा देना पति का स्वभाविक #कर्तव्य होना चाहिए।
      #जयश्रीमहाकाल🙌🌙🔱
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