रुद्राक्ष रह्स्य Rudraksha Rahashaya

रुद्राक्ष रह्स्य Rudraksha Rahashaya
रुद्राक्ष रह्स्य RUDRAKSHA RAHASHAYA



रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र (संस्कृत: रुद्र) और अक्सा (संस्कृत: अक्ष) नामक शब्दों से मिलकर बना है।“रुद्र” भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ' अश्रु की बूँद' अत: इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र (भगवान शिव) के आसुं से है।

भारत और नेपाल में रुद्राक्ष के माला पहनने की एक पुरानी परंपरा है विशेष रूप से शैव मतालाम्बियों में जो उनके भगवान शिव के साथ उनके सम्बन्ध को दर्शाता है । भगवान शिव खुद रुद्राक्ष माला पहनते हैं एवं ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भी रुद्राक्ष माला का उपयोग करके दोहराया जाता है । यद्यपि महिलाओं के रुद्राक्ष पहनने पर कोई विशिष्ट प्रतिबंध नहीं है, लेकिन महिलाओं के लिए मोती जैसे अन्य सामग्रियों से बने मोती पहनना आम बात है। यह माला हर समय पहना जा सकता है, केवल स्नान करते समय इसको उतार देते हैं पानी रुद्राक्ष बीज को हाइड्रेट कर सकते हैं।

संस्कृत में मुखी (संस्कृत: मुखी) का मतलब चेहरा होता है इसलिए मुखी का अर्थ रुद्राक्ष का मुख है, एक मुखी रुद्राक्ष का अर्थ एक मुंह वाला रुद्राक्ष या एक मुह खोलने के साथ, ४ मुखी रुद्राक्ष का मतलब रुद्राक्ष ४ मुंह या खोलने के साथ है। रुद्राक्ष १ से २१ मुख के साथ आता है।

कभी-कभी रुद्राक्ष को मूल्यवान बनाने या अधिक मूल्य पर बेचने के लिए मानवीय प्रक्रिया द्वारा अपूर्ण रुद्राक्ष को पूर्ण किया जाता है। इस तरह के कार्य को करने के लिए ब्लेड, फाइल इत्यादि उपकरण की जरुरत पड़ती है।

रुद्राक्ष का आकार हमेशा मिलीमीटर में मापा जाता है। वे मटर के बीज के रूप में छोटे से बड़े होते हैं एवं कुछ लगभग अखरोट के आकार तक पहुंचते हैं।




रुद्राक्ष एक फल की गुठली है। इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है।
एक प्रकार का बीज होता है एवं यह परंपरागत रूप से हिंदू धर्म (विशेष रूप से शैववाद) में प्रार्थना के माला के के रूप में प्रयोग किया जाता है। 
रुद्राक्ष हिंदू देवता भगवान शिव से जुड़ा हुआ हैं एवं आमतौर पर भक्तों द्वारा सुरक्षा कवच के तौर पर या ओम नमः शिव मंत्र के जाप के लिए पहने जाते हैं।[3] ये बीज मुख्य रूप से भारत और नेपाल में कार्बनिक आभूषणों और माला के रूप में उपयोग किए जाते हैं एवं अर्द्ध कीमती पत्थरों के समान मूल्यवान होते हैं।

एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, पन्चमुखी सर्वदेव्मयी, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। 
इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं। रूद्राक्ष प्रत्येक हिन्दू को पहनना चाहिए|


रुद्राक्ष के नाम और उनका स्वरूप
एकमुखी रुद्राक्ष
ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।
द्विमुखी रुद्राक्षसभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है।
त्रिमुखी रुद्राक्षसमस्त भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है।
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चतुर्थमुखी रुद्राक्षधर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है।
पंचमुखी रुद्राक्षसुख प्रदान करने वाला।
षष्ठमुखी रुद्राक्षपापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।
सप्तमुखी रुद्राक्षदरिद्रता को दूर करने वाला होता है।
अष्टमुखी रुद्राक्षआयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है।
नवममुखी रुद्राक्षमृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है।
दसमुखी रुद्राक्षशांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्षविजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है।
बारह मुखी रुद्राक्षधन प्राप्ति कराता है।
तरेह मुखी रुद्राक्षशुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है।
चौदह मुखी रुद्राक्षसंपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।
रुद्राक्ष को शिवाक्ष,शर्वाक्ष, भावाक्ष, फलाक्ष, भूतनाशन,पावन, हराक्ष, नीलकंठ, तृणमेरु, शिवप्रिय, अमर और पुष्पचामर भी कहते हैं, भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष में स्वयं शिव का अंश होता है, आयुर्वेद के ग्रंथों में भी रुद्राक्ष की महामहिमा का वर्णन है, आयुर्वेदिक ग्रंथों में रुद्राक्ष को महौषधि,दिव्य औषधि आदि कह कर इसके दिव्य गुणों को विस्तार से बताया गया है, रुद्राक्ष की जड़,छाल,फल,बीज और फूल सबमें औषधीय व दैवीय गुण छिपे हुये है. यदि आप तंत्र मंत्र जादू टोना अथवा किसी बुरे साए से परेशान हों! किसी की नजर ने जीना दूभर कर रखा हो! तरह तरह से ग्रहों की दशाओं ने जीवन की नैया को डावा-ड़ोल कर दिया हो! बुद्धि विवेक मस्तिष्क तनाव या किसी समस्या के कारण ठीक से काम न कर पा रहे हो! साथ ही आप यदि हृदय रोगों से परेशान हों, नक्षत्र दोष के कारण बनते काम बिगड़ रहे हों! तो अब समय आ गया है, "दुर्भाग्य के नाश का" और शिव की तरह प्रसन्न और मुक्त होने का.    शिव पुराण में कहा गया है कि जिसने रुद्राक्ष धारण कर रखा हो, वो तो स्वयं शिव ही हो जाता है, जी हाँ ठीक सुना आपने जो भी व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर ले वो शिव के सामान ही दिव्य हो जाता है, लेकिन इसके लिए आपको जाननी होगी कुछ अतिगोपनीय विधियाँ,जो हम आज गहन अध्ययन केबाद आपके लिए ले कर आये हैं, अगर आपको लगता है कि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा, आप बहुत ही ज्यादा चंचल है और इस बजह से लगातार अपना नुक्सान कर रहे हैं, तो शिव के मन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा कर रुद्राक्ष धारण कीजिये, आपके जीवन में स्थिरता आने लगेगी.    राहु, शनि, केतु, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाले रोगों व संकटों का नाश होगा, जीवन के संघर्षों से आपको राहत मिलेगी, साथ ही अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं को रोकेगा शिव का एक चमत्कारी रुद्राक्ष, सकन्ध पुराण और लिंग पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है, कार्य, व्यवसाय, व्यापार में अपार सफलता दिलवाता है, रुद्राक्ष सुख समृद्धि प्रदान करता है, साथ ही साथ पाप, शाप, ताप से भी भक्त की रक्षा करता है, हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष भारत, नेपाल, जावा, मलाया जैसे देशों में पैदा होता है, भारत के असाम, बंगाल, देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में रुद्राक्ष पैदा होतें है, रुद्राक्ष का फल कुछ नीला और बैंगनी रंग का होता है जिसके अन्दर गुठली के रूप में स्थित होता है शिव का परम चमत्कारी दैविक रुद्राक्ष, लेकिन रुद्राक्ष का एक हमशक्ल भी होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, पर उसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते, शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की क्षमता उसके मुखों के अनुसार ही होती है, रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर इक्कीस मुखी तक प्राय: मिल जाते है, सबकी अलौकिकता एवं क्षमता अलग अलग होती है, हिमालय की तराइयों से प्राप्त रुद्राक्ष की महिमा सबसे बड़ी कही गई है, दस मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष अतिदुर्लभ कहे गए है, पंद्रह से ले कर इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष साधारणतय: नहीं मिल पाते, और एक मुखी की तो महिमा ही अपरम्पार है, जिसे मिल जाए उसे जीवन में फिर कुछ और पाना शेष नहीं रहता, वो केवल अत्यंत भाग्य वाले को ही मिल पाता है, रुद्राक्षों में नन्दी रुद्राक्ष, गौरी शंकर रुद्राक्ष, त्रिजूटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, लक्ष्मी रुद्राक्ष, त्रिशूल रुद्राक्ष और डमरू रुद्राक्ष भी होते है, जो अंत्यंत दैविक माने गए हैं.  रुद्राक्ष का प्रयोग औषधि के रूप में तो होता ही है साथ ही इसे धारण भी किया जाता है या पूजा के लिए,माला के रूप में प्रयुक्त होता है,स्फटिक शिवलिंग, बाण लिंग अथवा पारद शिवलिंग को स्थापित कर यदि रुद्राक्ष धारण कर लिया जाए तो वो व्यक्ति सम्राटों जैसा बैभव प्राप्त कर लेता है, रुद्राक्ष ऐसा तेजस्वी मनका है जिसका उपयोग बड़े बड़े योगी संत ऋषि मुनि महात्मा परमहंस तो करते ही है साथ ही साथ तांत्रिक अघोरी जैसी वाममार्गी विद्याओं के जानकार भी इसके चमत्कारी प्रभावों के कारण इसकी महिमा गाते फिरते है, भारत के सिद्ध रुद्राक्षों का प्रयोग तो आज विश्व के हर कोने में बैठा व्यक्ति कर ही रहा है, तो आप और हम इसके दिव्य गुणों से दूर क्यों रहें? स्कंध पुराण में कार्तिकेय जी भगवान शिव से रुद्राक्ष की महिमा और उत्पत्ति के बारे में प्रश्न पूछते है तो स्वयं शिव कहते है कि "हे षडानन कार्तिकेय ! सुनो, मैं संक्षेप में बताता हूँ, पूर्व काल में युद्ध में मुश्किल से जीता जाने वाला दैत्यों का राजा त्रिपुर था. उस दैत्यराज त्रिपुर नें जब सभी देवताओं को युद्ध में परास्त कर कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया. तो ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, प्रमुख देवगण तथा पन्नग गण मेरे पास आ कर त्रिपुर का बध करने के लिए मेरी प्रार्थना करने लगे. देवताओं की प्रार्थना सुन कर संसार की रक्षा के लिए मैं बेग से अपने धनुष के साथ सर्व देवमय भयहारी कालाग्नि नाम के दिव्य अघोर अस्त्र को ले कर दैत्य राज त्रिपुर का बध करने के लिए चल पड़ा. लेकिन उसे हम त्रिदेवों से अनेक वर प्राप्त थे, इसलिए युद्ध में लम्बा समय लगा, एक हजार दिव्य वर्षों तक लगातार क्रोद्धमय युद्ध करने से व योगाग्नि के तेज के कारण अत्यंत विह्वल हुये मेरे नेत्रों से व्याकुल हो आंसू गिरने लगे, योगमाया की अद्भुत इच्छा से निकले वो आंसू जब धरा पर गिरे और बृक्ष के रूप में उत्त्पन्न हुये, तो रुद्राक्ष के नाम से विख्यात हो गए, ये षडानन रुद्राक्ष को धारण करने से महापुण्य होता है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुये शिव कृपा पा सकते हैं

 विद्या बुद्धि एवं सफलता प्राप्ति हेतु रुद्राक्ष
विद्या,ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति के लिए तीन मुखी व छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसे धारण करने से तीब्र बुद्धि होती है व अद्भुत स्मरण शक्ति प्राप्त होती है, जो पढाई में कमजोर हों वे इसे अवश्य धारण करें,बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा, तीन मुखी या छ: मुखी रुद्राक्ष धारण, करने से रचनात्मक कार्यों में भी बहुत लाभ मिलता है, जैसे यदि आप फैशन डिजाइनर हो, सौन्दर्य जगत से जुड़े हो, लेखक या सम्पादक हों, चित्रकार या अनुसंधानकर्ता हों तो ये रुद्राक्ष आपको बहुत लाभ प्रदान करेंगे,

 रोजगार,व्यक्तित्व विकास एवं इन्टरवियू में सफलता हेतु रुद्राक्ष
यदि आप अपना चौमुखी विकास करना चाहते हों तो या रोजगार पाना चाहते हों तो नौ मुखी, चार मुखी या फिर तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें, इसे धारण करने से सहनशीलता,बीरता,साहस,कर्मठता में बृद्धि होती है, इसका सबसे बड़ा गुण ये भी है की ये रुद्राक्ष संकल्प शक्ति में बृद्धि करते हैं जिससे आप अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचते ही है, बेरोजगार या नौकरी की तलाश कर रहे व्यक्ति को इससे उत्तम रोजगार प्राप्त होता है, यदि आप बार बार इन्टरवियू में असफल हो रहे हों तो इनमेंसे कोई एक रुद्राक्ष तुरंत धारण करेने से लाभ मिलेगा, यदि आप जीवन में आगे की बजाय पीछे की और जा रहे हों तो इन रुद्राक्षों को धारण करने से उन्नति अवश्य मिलेगी
सामाजिक,पारिवारिक समस्याओं एवं विवाह सम्बन्धी समस्याओं के लिए रुद्राक्ष
यदि आपका विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह के बाद गृहस्थी सुखी नहीं है, आपके सम्बन्ध अपने रिश्ते नाते वालों के साथ ठीक नहीं हैं या समाज में शत्रु ही शरु हो गए हों, तो आपको दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए,इसे धारण करने से घर में होने वाले परस्पर झगड़ों से मुक्ति पाई जा सकती है, ये रुद्राक्ष पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-बहन,गुरु शिष्य अथवा मित्रों आदि के साथ के मतभेदों को दूर करता है, लड़के लड़कियों के विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो तो इसे जरूर धारण करवाएं लाभ मिलेगा, आप मंगलबार के दिन इनमे से कोई भी रुद्राक्ष धारण करें

 दुर्घटना से बचाव, बुरी नजर, जादू-टोनों, बुरे ग्रहों से बचाव व अपनी सुरक्षा हेतु रुद्राक्ष
यदि आप अपनी सुरक्षा को ले कर बहुत चिंतित हों,  वाहन चलने से घबराते हों, बार-बार दुर्घटनाएं होती हों, कुंडली हमेशा ही कोई नीच ग्रह या बाधा बनी रहती हो, भाग्य आपका साथ न दे रहा हो, जादू-टोनों से या फिर बुरी नजर से परेशान हों, भूत प्रेत अथवा सांप चूहे छिपकली से डर लगता हो, तो आपको ग्यारह मुखी या फिर दस मुखी रुद्राक्ष धारण काना चाहिए, यदि घर में बुरे साए का वास हो जो आपको परेशान करता हो तो सभी पारिवारिक सदस्य इसे धारण करें, यदि आप पवित्रता से रख सकते हैं तो वाहन अथवा तिजोरी की चाबी में छल्ले के रूप में भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं

 प्रेम प्राप्ति अथवा आकर्षण हेतु रुद्राक्ष
यदि आप किसी से प्रेम करते है और चाहते है की आपका प्रेम परिणित हो अथवा आप आकर्षण प्राप्त करना चाहते हों, तो छ: मुखी या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें, आप थियेटर या मंच से जुड़े हुये हों, धर्माचार्य हों या शिक्षक हों, मार्केटिंग या प्रचार माधयमों जैसे टीवी रेडिओ फिल्म आदि से जुड़े हैं तो आप ये रुद्राक्ष धारण कर लाभ पा सकते हैं, आपका प्रेम सम्बन्ध यदि टूट गया है, या आपके जीवन में कोई है जिसे आप खोना नहीं चाहते तो ये रुद्राक्ष फायदेमंद रहेगा

अखंड धन लाभ एवं कार्य व्यवसाय, व्यापार से लाभ प्राप्त करने हेतु रुद्राक्ष
यदि आप व्यापारी हैं कोई व्यवसाय करते हैं, कोई कंपनी चलाते है, या कोई निजी व्यवसाय करते है जिससे आपको धन लाभ की आकांक्षा है, तो आप सातमुखी, ग्यारह मुखी,गणेश रुद्राक्ष अथवा लक्ष्मी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, इन रुद्राक्षों को धारण करने से गरीवी का नाश होता है, जिस व्यवसाय में आप हैं उसी से आपको लाभ मिलने लगता है, आपका यश, मान, प्रतिष्ठा ऐसी बढती है की हर ओर से धन ही धन आने लगता है,आपके जीवन के सुखों में ओर अधिक बृद्धि होती है

रोगमुक्ति, स्वास्थ्य व लम्बी आयु हेतु रुद्राक्ष
यदि आप सदा तरह-तरह के रोगों से ही घिरे रहते हों, बीमारियाँ आपका पीछा ही नहीं छोड़ रही हों, यदि आप मानसिक रूप से भी परेशान ही रहते हों, चिंताएं खाए जा रही हों, कुंडली या क्रूर ग्रह अकाल मृत्यु का संकेत दे रहे हों तो आपको चौदह मुखी या आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अकाल मृत्यु को टालने की इनमें अभूतपूर्व क्षमता है, रोग नाश के साथ-साथ जीवन की विकट परिस्थितियों में उचित निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करता है

समाजसेवा, शासन-प्रशासन, सत्ता  या राजनीती में सफलता हेतु रुद्राक्ष
यदि आप समाज सेवी हैं और अपने कार्यों को तीब्रता से करना चाहते हैं, शासन प्रशासन में अपनी पकड मजबूत करना चाहते हैं, आप युवा नेता या गहरे राजनीतिज्ञ हैं और अपने क्षेत्र के मुकाम को हासिल करना चाहते हैं, तो आपको बारह मुखी या सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इससे व्यक्ति की कीर्ति, यश, सूर्य के सामान चमकने लगती है, इसे धारण करने से बाणी में चातुर्य आता है संबोधन में आकर्षण पैदा होता है, आप अपनी गहरी छाप सब पर छोड़ सकते हैं

मुसीबत से या कोर्ट कचहरी मुकद्दमों से शीघ्र मुक्ति हेतु रुद्राक्ष
यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें, समस्याओं के मध्य से भी तुरंत हल निकाल आएगा

(Eka Mukhi Rudraksha)एकमुखी रुद्राक्ष 
एकमुखी रुद्राक्ष का आकार ओंकार होता है। इसमें साक्षात भगवान शिव का वास होता है। मान्यता है कि एक मुखी रुद्राक्ष (Eka Mukhi Rudraksha) धारण करने से भगवान शिव की शक्तियां प्राप्त होती है। यह एक दुर्लभ 
रुद्राक्ष है जो किस्मत वालों को ही मिलता है।

एकमुखी रुद्राक्ष के फायदे* एकमुखी रुद्राक्ष सिंह राशि के जातकों के लिए अत्यंत शुभ होता है।
* रुद्राक्ष की पूजा जहाँ होती है वहाँ से लक्ष्मी दूर नहीं होती।




एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ

एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही गंभीर पापों से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश में होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है | शरीर में हाई BP इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने 

लगता है और कम दवाई से ही BP शांत रहता है | सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है | इसके धारण करने से शत्रुओं के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति में भी 

यह रुद्राक्ष सहायक है |

एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है लेकिन शिव का पंचाक्षर बीज मंत्र “ॐ नमः शिवाय” से भी कोई भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है | इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात् नित्य प्रति “ॐ नमः 

शिवाय” की पाँच माला जाप करने भर से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है |



द्विमुखी रुद्राक्ष साक्षात् देवदेवश का स्वरूप है। यह गोवध करने के पापों से छुड़ाने वाला है। इसको धारण करने वाले व्यक्ति की अनेक व्याधियां स्वतः ही शांत हो जाती हैं। यह रुदा्रक्ष भी चतुवर्ग सिद्धि प्रदाता है।
आंवले के फल के बराबर दो मुखी रुद्राख समस्त अनिष्टों का नाश करने वाला तथा श्रेष्ठ माना गया है। इस रुद्राक्ष में पूर्णरूप से अंतर्गभित विद्युत तरंगे होती हैं। इन्हीं इसकी शक्ति का पता चलता है। दोमुखी रुदा्रक्ष के धारण करने से 

शिवभक्ति बढ़ती है और अनेक रोग नष्ट होते हैं। यह रुद्राक्ष वृश्चिक और कन्या लग्न वालों के लिए उपयोगी है।

दो मुखी रुद्राक्ष के लाभ

इसके धारक का क्षेत्र में सम्मान बढ़ता है, रूप, सौंदर्य अवं वाक्शक्ति की वृद्धि करता है | पति पत्नी के आपसी मतभेदों को कम करके ग्रहस्थ सुख की बढ़ोतरी करता है | इसके धारण से भूत प्रेत की बाधा भी दूर होती है और सभी प्रकार की 

इच्छाएँ धीरे धीरे पूर्ण होने की ओर बढ़ने लगती हैं | दो मुखी रुद्राक्ष का धारक महाशिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या एवं गाए हत्या के पाप से भी मुक्त हो सकता है | दो मुखी रुद्राक्ष भगवान चन्द्र देव के अधिकार क्षेत्र में आता है | इसके धारण 


करने से मन में चन्द्रमा की चांदनी जैसी शीतलता प्रदान होती है | मनुष्य ने जीवन में कई प्रकार के अगर पाप भी किए हों और अंतिम अवस्था में अगर दो मुखी रुद्राक्ष धारण किया हो तो जीवन में पापी होने के बावजूद मरणोपरांत स्वर्ग की 

प्राप्ति होती है इसलिए हर जन को अर्धनारीश्वर स्वरुप भगवान शिव और शक्ति के आशीर्वाद के रूप में नेपाली दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए |

दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ नमः”, “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नमः दुर्गाए” है | “ॐ अर्ध्नारिश्वराए नमः” इस सर्वश्रेष्ठ मंत्र को अगर 5 माला रोज़ कर लिया जाए तो शिव और माँ पारवती की विशेष कृपा होने लग 

जाती है |

ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिशक्ति के रूप में पूजा जाता है, तीन मुखी रुद्राक्ष इन्हीं त्रिशक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। तीन मुखी रुद्राक्ष सदा साक्षात् साधन का फल देने वाला है, इसके प्रभाव से सारी विधाएँ प्रतिष्ठित होती हैं।
तीन मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of Teen Mukhi Rudraksha in Hindi
* इस रुद्राक्ष को धारण करने से बड़े से बड़ा पाप भी क्षण भर में खत्म हो जाता है।
* परीक्षा में सफलता के लिए इस रुद्राक्ष को धारण करना शुभ समझा जाता है।



त्रिमुखी रुद्राक्ष के लाभ

जिस व्यक्ति का मन किसी काम में ना लगता हो या जीवन जीने का आनन्द समाप्त हो चुका हो, शरीर किसी न किसी प्रकार के बुखार से पीड़ित रहता हो, भोजन खाने पर पेट की अग्नि मंद होने के कारण से भोजन के ना पचने के रोग में 

यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभदायक साबित होता है | अग्नि को तीव्र करके पाचक क्षमता बढ़ने से चेहरा पे तेज एवं शौर्य एवं बल की प्राप्ति कराता है | सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्त कराने में तीन मुखी रुद्राक्ष अच्छा काम करता है | नौकरी 


करने वाले और पेट से सम्बंधित कष्ट पाने वालों के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायक है | ग्रंथों के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से नारी हत्या के पाप से भी मुक्ति मिलनी संभव हो सकती है |

त्रिमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

वैसे तो तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ क्लीम नमः” है लेकिन तीन या पांच माला “ॐ नमः शिवाय” की जपने से यह रुद्राक्ष पूर्ण प्रभाव व्यक्ति को दिखाते हुए, शुद्ध एवं सात्विक करके एैश्वर्य की वृद्धि कराता है इसलिए हर 

जन को अग्नि देव के स्वरुप तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करके अपना कल्याण करना चाहिए |

चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म स्वरुप होता है। इसे ब्रह्मा तथा देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है। चार-मुखी रुद्राक्ष चतुर्मुख ब्रह्माजीका प्रतिरूप होने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थो को देने वाला है। इसका धारक धनाढ्‌य, 

आरोग्यवान, ज्ञानवान बन जाता है | चार मुखी रुद्राक्ष वृद्धिदाता है | जिस बालक की बुद्धि पढ़ने में कमजोर हो या बोलने में अटकता हो उसके लिए भी यह उत्तम है | चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से नर हत्या का पाप समाप्त होता है।



चतुर्थमुखी रुद्राक्ष के लाभ

चार मुखी रुद्राक्ष संतान प्राप्ति में भी सहायता करता है | महाशिवपुराण के अनुसार चार मुखी रुद्राक्ष लम्बे समय तक धारण किया जाए और भगवान शिव के बीज मंत्र का पाठ किया जाए तो किसी जीव की हत्या के पाप से भी मुक्ति मिल 

सकती है | इस रुद्राक्ष के धारण करने से मन की एकाग्रता बढती है और कई प्रकार के अनुसन्धान एवं विज्ञान से सम्बंधित कार्यों में सफलता प्राप्त होने की उम्मीद रहती है | वेदों के व् धार्मिक ग्रंथों के अध्यन में इस रुद्राक्ष के धारण करने से 


सफलता प्राप्त होती है | वाणी में मिठास और दूसरों को अपना बनाने की कला व्यक्ति के अन्दर उत्पन होती है | शरीर के रोगों को दूर भगाने में भी यह रुद्राक्ष लाभकारी माना गया है | मोक्ष सहित चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति इस रुद्राक्ष के धारण 

करने से हो जाती है | ज्योतिष की दृष्टि से बुद्ध ग्रह को इसका कारक माना गया है इसलिए लेखकों को व् विद्धया अध्यन करने वाले बालकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए | बुद्धि को तीव्र करता है और जीवन को श्रेष्ठ बनाने में सहायक 

होता है |

चतुर्थमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” लिखा गया है लेकिन “ॐ नमः शिवाय” के जाप से भी इसे धारण करके सम्बंधित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं |

चमुखी रुद्राक्ष में भगवान शिव की सभी शक्तियां समाहित होती है। इस धरा के पंच तत्व और पांच पांडव इस रुद्राक्ष के देव माने गए हैं। इस रुद्राक्ष (Paanch Mukhi Rudraksha) का स्वामी ग्रह गुरु होता है। मान्यता 

अनुसार इस रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने धारण अवश्य करने चाहिए।
पंचमुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of Paanch Mukhi Rudraksha)
* इस रुद्राक्ष को धारण करने से मान सम्मान और धन की प्राप्ति होती है।
* यह रुद्राक्ष धनु और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ होता है।



पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ

मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करता है | बढती आयु में जब समृधि का नाश होने लगता है और व्यक्ति अपने अर्जित ज्ञान को भूलने लगता है उस समय पांच मुखी रुद्राक्ष की 

माला को धारण करने मात्र से सभी परेशानियों में सफलता मिलनी प्रारंभ हो जाती है | महाशिवपुराण में तो अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस माला पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से अल्प मृत्यु से बचा जा सकता है | गलत जगहों पर 


जाने और गलत भोजन करने से प्राप्त हुए पापों को भी यह रुद्राक्ष माला कम करती है | इसका धारक भगवान शिव के गुण एवं धर्मों को प्राप्त कर सकता है | ब्रहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने 

से ब्रहस्पति देव की कृपा भी प्राप्त होती है | नौकरी व्यवसाय में सफलता व् गृहस्थ सुख में भगवान ब्रहस्पति की कृपा से इस माला को धारण करने पर यह सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं |

पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

यह अकेला रुद्राक्ष एैसा है जिसपे भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु, भगवान गणेश, सूर्य भगवान व् शक्ति की प्रतीक माँ भगवती की असीम कृपा होती है इसलिए पांच मुखी रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने या पांच दाने या 108 दाने की 

माला अवश्य धारण करनी चाहिए |

छहमुखी रुद्राक्ष बेहद अहम माना जाता है। छह मुख का यह रुद्राक्ष वैराग्य का प्रतीक माना जाता है। इस रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय का रूप भी माना गया है।
छ: मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of Chhaha Mukhi Rudraksha in Hindi)
* वृषभ और तुला राशि के जातकों को छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना गया है।
* दांपत्य जीवन में प्रेम की कमी, तलाक से बचने, प्रेम विवाह में सफल होने, संगीत कला में माहिर होने आदि के लिए यह रुद्राक्ष बेहद अहम माना गया है।



छह मुखी रुद्राक्ष के लाभ

छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि तीव्र होती है, शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है और धन प्राप्ति भी करवाता है | यह रुद्राक्ष विशेष कर पढने वाले बालकों को दाई भुजा में धारण करना चाहिए | इस 


रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में नेत्रित्व करने का गुण आ जाता है | भाषण आदि कला में भी वाक शक्ति प्रबल होती है | छह मुखी रुद्राक्ष के साथ यदि दाई और बाई ओर एक एक पांच मुखी का रुद्राक्ष भी धारण किया जाए तो अति उत्तम 

होता है | भगवान कार्तिके की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सांसारिक दुखों से लड़ने की क्षमता प्रदान करके जीवन के स्तर को अति उत्तम बनाता है | बचपन में जिन बालकों की बुद्धि अधिक तीव्र नहीं होती या परीक्षा के समय में बालक को 

चिंता होती है, ऐसे बालकों को दो पांच मुखी के बीच में एक छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से परीक्षा में सफलता मिलती है इसलिए विशेष कर सभी बालकों को जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, उन्हें ये रुद्राक्ष धारण करने चाहिए |

छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है | इस मंत्र से धारण करने के पश्चात् प्रतिदिन यदि पांच माला “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाए तो अति उत्तम फल देखने को मिलता है |

सात मुखी रुद्राक्ष को कामदेव का रूप माना गया है। यह सर्वाधिक सुगम रुद्राक्षों में से एक है। इस रुद्राक्ष की एक अन्य खासियत यह है कि अगर इसका सही ढ़ंग से ख्याल रखा जाए तो यह कई सालों तक सही सलामत रहता है। सात मुखी 

रुद्राक्ष अनंगस्वरुप और “अनंग” आदि नामों से भी प्रसिद्ध है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए इस रुद्राक्ष की माला को धारण करना लाभकारी माना जाता है। मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि है इसलिए दोनों राशि के जातकों के 

लिए सात और चौदह मुखी रुद्राक्ष को पहनना शुभ बताया गया है।



सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ

एैसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता एैसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, 

यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है चूँकि इस रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुप आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ 


धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है | ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द से परेशान हों उनके लिए शनि देव की कृपा प्राप्त होने के 

कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक हो सकता है | सात मुखी होने के कारण से शरीर में सप्त धातुओं की रक्षा करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है |

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ हूँ नमः” है | इस रुद्राक्ष को धारण के पश्चात इसी मंत्र की तीन या पांच माला रोज़ अगर जाप किया जाए तो इस रुद्राक्ष की क्षमता कई सो गुना बढ़ जाती है और धारक को धन एवं यश की 

प्राप्ति होती है अतः हर नौकरी या व्यवसाय करने वाले मनुष्य को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए |



अष्टमुखी रुद्राक्ष को विनायक का रूप माना गया है इसके देवता वटुक भैरव हैं इससे धारक की विघ्न बाधाएं दूर होती है। आठों दिशाओं में विजय प्राप्त होती है व कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है।
अष्टवक्त्रो महासेन साक्षाद्देवो विनायकः।।हे महासेन ! अष्टमुखी रुद्राख साक्षात् गणेशजी का स्वरूप है तथा यह अष्टसिद्धि प्रदाता है। मानकूटादिक और परस्त्रीजन्य जो पाप है वे अष्टमुखी रुद्राक्ष धारण करने से कार्य सिद्धि होते हैं।



अष्टमुखी रुद्राक्ष के लाभ

यह रुद्राक्ष के धारण करने से उच्च पद की प्राप्ति व् मन की एकाग्रता में सुधार होता है | यह रुद्राक्ष ऋद्धि सिद्धि दायक है | जीवन में जितनी भी मुश्किलें और विघन होते हैं उनको दूर करने में आठ मुखी रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है | जिस 


प्रकार शास्त्र अनुसार सर्वप्रथम श्री गणेश भगवान की पूजा की जाती है उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी निसंकोच व् बिना किसी जानकारी के भी धारण कर लेना चाहिए क्योंकि महाशिवपुराण के अनुसार आठ मुखी रुद्राक्ष बुद्धि, ज्ञान, धन, यश और 

उच्च पद की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है | जो व्यापारी किसी भी प्रकार से नापतोल में बईमानी करते हैं शास्त्रानुसार वह व्यापारी पाप के भागी बनते हैं और जो व्यक्ति अपने जीवन में पर इस्त्री के संपर्क में रहते हैं वह भी पाप के भागी होते 

हैं | ग्रंथों के अनुसार एैसे पापियों को भी आठ मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से पाप मुक्त होने में सहायता मिलती है | एैसा माना गया है की यह दोनों रुद्राक्षों को धारण करने वाले जातक को मृत्योपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है |

अष्टमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इसको धारण करने का मंत्र भी “ॐ हूँ नमः” है | जैसा की सात मुखी के विवरण में हमने लिखा है कि आठ मुखी के साथ धारण करना चाहिए उसी प्रकार इस रुद्राक्ष को भी सात मुखी के साथ धारण करना चाहिए क्योंकि माँ लक्ष्मी और 

गणेश भगवान जी की पूजा साथ में करने का विधान है |

इस पृथ्वी पर अनेक ऐसी दुर्लभ वस्तुएँ हैं, जो न सिर्फ प्राणी मात्र को शरीरिक सुख हीं प्रदान करता हैं बल्की उनमे भौतीक और अघ्यात्मिक गुण भी मौजुद होता है। जिस प्रकार एक हिरे की परख सिर्फ एक जौहरी ही जानता हैं ।उसी प्रकार 

प्राकृति एंव ईश्वर द्वारा प्रदत् दुर्लभ वस्तुओं की परख वहीं कर सकता हैं , जिन्हे उनके सम्बन्ध मे सम्यक जानकारी हो। जानकारीयों के आभाव मे हीरा भि एक कॉच का टुकडा हीं होता है जबकी वह सभी धातुओं से कीमति एंव अनेक गुणों से 

सम्पन्न होता है।



नवममुखी रुद्राक्ष के लाभ

इसको धारण करने से धन सम्पत्ति, मान सम्मान, यश, कीर्ति और सभी प्रकार के सुखों की वृद्धि होती है | इस रुद्राक्ष को बाए हाथ में या कंठ में धारण करना चाहिए | यह रुद्राक्ष आखों की दृष्टि के लिए भी उपयोगी माना गया है | माँ भगवती 

की असीम अनुकम्पा नौ मुखी रुद्राक्ष पर होने से यह कवच का काम करता है और शरीर को मानसिक एवं भौतिक दुखों से बचाता है और धारक की कीर्ति सर्वत्र फैलाता है | नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धीरे धीरे मन शांत हो जाता है और 

लोगों के कल्याण की कामना करने लगता है | महाशिवपुराण के अनुसार देवी दुर्गा का स्वरुप होने के कारण से विशेष कर महिलाओं के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है | इसके धारण से इच्छा शक्ति प्रबल होकर कई पापों का नाश होता है | 

देवी माँ की कृपा इस रुद्राक्ष पर होने से सभी देवताओं की कृपा भी इस रुद्राक्ष के धारक को मिलती है अतः हर पुरुष व् महिला को जो किसी भी रूप में देवी का पूजन करता हो उसे नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए | इसके धारण से 


मानसिक रोग व् ह्रदय रोग में भी लाभ हो सकता है | इस रुद्राक्ष पर केतु का प्रभाव भी माना गया है | केतु ग्रह का नाम अचानक और अजीब सा फल देने के बारे में जाना जाता है इसलिए इस रुद्राक्ष के धारक को अचानक कई प्रकार के लाभ 

हो सकते हैं |

नवममुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र है “ॐ ह्रीं हूँ नमः” | देवी की उपासना करने वाले सभी जातकों को नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए |

दसमुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु के दसावतारों से जोड़ कर देखा जाता है। शिवपुराण के अनुसार इसमें साक्षात विष्णु का अंश होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान विष्णु की कृपा होती है।
दसमुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of Dus Mukhi Rudraksha in Hindi)
* भगवान विष्णु का प्रतीक दसमुखी रुद्राक्ष द्वारा भूत-प्रेत बाधा, जादू-टोनों से मुक्ति दिलाता है।
* इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक को यम भी नरक नहीं ले जा पाते।
* यह रुद्राक्ष श्री हरि के साथ माता लक्ष्मी और देवी गंगा की भी कृपा होती है।

दसमुखी रुद्राक्ष के लाभ

दस रुद्रों का आशीर्वाद होने के कारण से भूत प्रेत, डाकिनी शाकिनी, पिशाच व् ब्रह्म राक्षस जनित ऊपरी बाधाएं व् जादू टोने को दूर करने में सहायक होता है | क़ानूनी परेशानियों में भी दस मुखी रुद्राक्ष लाभदायक है | विष्णु जी का स्वरुप होने 


के कारण से धारक के प्रभाव को दसों दिशाओं में फैलता है | तंत्र मंत्र की साधना करने वाले साधकों के लिए यह रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है | इसको धारण करके साधना करने से सिद्धि में सहायता प्राप्त होती है | सर्प आदि के काटने के 

भय से बचाकर दस मुखी रुद्राक्ष पूर्ण आयु प्राप्त करवाने में सहायक सिद्ध होता है | ग्रह बाधा के कारण जिस जातक का भाग्य उदय ना हो रहा हो उसके लिए भी दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ माना गया है | ग्रन्थों के अनुसार विष्णु जी की 

कृपा होने के कारण से इसके धारक को दमा, गठिया, शएतिका व् पेट और नेत्रों के रोग में लाभ हो सकता है | असाध्य रोगों से छुटकारा भी मिल सकता है ऐसा कई ग्रन्थों में वर्णित है इसलिए सभी को अपने कल्याण के लिए दस मुखी रुद्राक्ष 

को सोमवार के दिन शिवलिंग से स्पर्श कराके धारण करना चाहिए |

दसमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र है “ॐ ह्रीं नमः” | इस रुद्राक्ष को धारण करके ऊपर लिखे मंत्र की या “ॐ नमः शिवाय” की पांच माला जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है |


ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रुद्र रूप माना गया है। इस रुद्राक्ष को सोमवार, शुक्रवार या एकादशी के दिन ही धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष को भगवान इन्द्र का भी प्रतीक माना जाता है। ग्यारहामुखी रुद्राक्ष को किसी भी वर्ग, जाति या राशि के जातक बिना भेदभाव धारण कर सकते हैं।इस रुद्राक्ष के धारण करने वाले जातक को हनुमान जी की कृपा हासिल होती है।ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को संतान प्राप्ति के लिए बेहद अहम माना जाता है।



ग्यारहमुखी रुद्राक्ष के लाभ

महाशिवपुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को शिखा में बांधना चाहिए या गले में धारण करना चाहिए | इसको धारण करने से और इसके ऊपर मन्त्रों के जाप करने से धीरे धीरे अश्व्मेघ यज्ञ का फल भी प्राप्त हो सकता है | व्यापारियों के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करने वाला माना गया है | भाग्य वृद्धि और धन सम्पत्ति व् मान सम्मान की प्राप्ति के लिए इसे अवश्य धारण करना चाहिए | साक्षात एकादस रूद्र रूप होने से यह जातक को रोग मुक्त करने में भी सहायक होता है और धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ में भी उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है | राजनीति, कूटनीति व् हर प्रकार के क्षेत्र में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का धारक सर्वत्र विजय होता है | यह एक सफल एवं उत्तम रुद्राक्ष माना गया है इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले एवं व्यापार करने वाले हर व्यक्ति को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए |


ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं हूं नमः” है | इसको धारण करने के पश्चात नित्य प्रति पांच माला “ॐ नमः शिवाय” या तीन माला ऊपर लिखे हुए मंत्र की या एक माला मृत्युंजय मंत्र की जाप करनी चाहिए ताकि भगवान शिव के ग्यारह रुद्रों सहित मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम जी के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त की जा सके | पांच मुखी रुद्राक्ष की माला में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को सुमेरु के रूप में लगाकर धारण करना अति उत्तम कहा गया है |

वादशमुखी रुद्राक्ष धारण करने से उन मनुष्यों के पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैंै क्योंकि सूर्य आदि से लेकर संपूर्ण आदित्य द्वादशमुखी रुद्राक्ष में वास करते हैं। इस लिए उन मनुष्यों को चोर, अग्नि का भय तथा अनेक प्रकार की व्याधि नहीं होती और वे अर्थवान होते हैं यदि दरिद्र भी हों तब भी भाग्यवान हो जाते हैं हाथी, घोड़ा, हरिण, बिलाव, भैंसा, शूकर, कुत्ता, श्रृंगाल (सियार) अर्थात् दाढ़ वाले सभी प्रकार के पशु वगैरा उन मनुष्यों को बाधा नहीं पहुंचा सकते।

बारहमुखी रुद्राक्ष के फायदे 
* संतान सुख, शिक्षा, धन, ऐश्वर्य, ख्याति आदि सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए बारहमुखी रुद्राक्ष को बेहद महत्व दिया जाता है।
* इस रुद्राक्ष को कोई भी धारण कर सकता है लेकिन जिन जातकों की कुंडली में सूर्य निम्न हो उनके लिए यह अत्यंत शुभ माना जाता है।



बारहमुखी रुद्राक्ष का मंत्र 
* द्वादश मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र “ऊं क्रौं क्षौं रौं सूर्य नम:” (Om Crome Sraum Raum Surya Namah) है।

रने से दरिद्रता का नाश होकर सभी प्रकार के भोगों की प्राप्ति होती है | सिद्धि साधना के लिए भी यह रुद्राक्ष उपयुक्त माना गया है | यह स्त्री-पुरुष को अपनी ओर आकर्षित करने का सामर्थ्य रखता है इसलिए वशीकरण में भी सहायक माना गया है | गृहस्थ सुख में भी लाभ होता है | तेरह मुखी रुद्राक्ष को ग्रहों को अनुकूल करने के लिए भी धारण किया जाता है | महालक्ष्मी जी की कृपा भी प्राप्त होने के कारण से शुक्र ग्रह पर इसका विशेष प्रभाव माना गया है | भगवान इन्द्र को स्वर्ग का शासन पुनः प्राप्त करने में भी तेरह मुखी रुद्राक्ष का प्रभाव था एैसा कई ग्रंथों में विवरण मिलता है | उच्च पद पर काम करने वाले या कला के क्षेत्र में काम करने वाले सभी जातकों को तेरह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए और इसके साथ बारह और चौदा मुखी रुद्राक्ष भी अगर धारण कर लिया जाए तो अति उत्तम फल की प्राप्ति की जा सकती है इसमें कोई अतिशोक्ति नहीं है | महाशिवपुराण के अनुसार कामदेव का रूप होने के कारण से उन सभी लोगों को भी यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए जिनके जीवन में प्यार की या गृहस्थ सुख की कमी हो | निष्कर्ष के फलस्वरूप सभी को यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और शिव के बीज मंत्र का नियमित पाठ करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लाभ अपने जीवन में प्राप्त किया जा सके |

तेरह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

इस रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है | इसको धारण करने के पश्चात इसी मंत्र की या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला नित्यप्रति जाप करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी सुख साधन प्राप्त होते हैं |

तुर्दशामुखी रुद्राक्ष हनुमान का स्वरूप है। जो मनुष्य नित्य प्रति अपने मस्तक पर धारण करते हैं वो परम पद को प्राप्त होते हैं। इस रुद्राक्ष के पहनने से शनि इत्यादि दोष की शांति होती है तथा तथा दुष्टजनों का नाश होता है। यह ’हनुमान रुद्राख’ नाम प्रसिद्ध है तथा सकल अभीष्ट सिद्धियों का दाता है।


जो मनुष्य प्थ्वी पर रुद्राक्ष को मंत्र सहित धारण करते हैं वे रुद्रलोक में जाकर वास करते हैं तथा जो मंत्र रहित रुद्राक्ष धारण करते है वे घोर-नारक के भागी होते है।

लाभ :

चौदह मुखी रुद्राक्ष परम दिव्य ज्ञान प्रदान करने वाला होता है । इस रुद्राक्ष को धारण करने से शनि व मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है तथा शक्ति -सामर्थ्य एवं उत्साह का वर्धन करता है और संकट समय संरक्षण प्राप्त होता है । चौदह मुखी रुद्राक्ष की पूजा सुख -सौभाग्य प्रदान करने वाली एवं व्यक्ति  को निरोगी बनाता  है ।

स्वास्थ्य लाभ :

चौदह मुखी रुद्राक्ष समस्त रोगों का शमन करने वाला ,समस्त व्याधियों को शांत करने वाला है इसे धारण करने  से आरोग्य की प्राप्त होती है व बंश रक्षक है ,छठी इन्द्रिय जागृति होने वाली घटनाओं का बोध कराता है । दुर्घटना ,चिंता से मुक्त करके सुरक्षा व समृद्धि  प्रदान करता है व यह मुख तथा अंशीय पक्षाघात की चिकित्सा के लिए अत्यंन्त हितकारक है । यह क्रोध और वासना को संयमित करता है  इसे प्राप्त करना सुलभ नही है । इस चमत्कारी रुद्राक्ष में अनंत गुण विद्यमान है । इसके धारणकर्ता समस्त सुखों को भोगता है । चौदह भुवनों का रक्षक एवं स्वामी बनता है ,चौदह मुखी रुद्राक्ष बहुउपयोगी है ।

मंत्र :

चौदह मुखी रुद्राक्ष के लिए नमः शिवाय का जाप मंत्र है । इस मंत्र को जपते हुए इसे धारण करें ।


गणेश रुद्राक्ष के लाभ 
गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से सभी तरह के क्‍लेशों से मुक्‍ति मिलती है। विशेष फलदायी यह रुद्राक्ष कई समस्याओं का समाधान स्वत: ही कर देता है।
गणेश रूद्राक्ष पहने हुए एक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में से सफलता प्राप्त होती है।
भगवान गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं इसलिए भगवान शिव का और देवी पार्वती (महा देवी) जी का भी आशिर्वाद प्राप्त होता है।


गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से केतु के अशुभ प्रभावों से भी मुक्‍ति मिलती है।
गणेश रुद्राक्ष की प्रयोग विधि 
इसे गणेश चतुर्थी के दिन धारण किया जाए तो यह और भी शुभ फलदायक होता है। गणेश रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।






ग्रह-राशि-नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण नवीन चितलांगिया लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण रत्न मानव जाति को प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रत्न धारण करने की परंपरा है। कुंडली 

के अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह नुकसानदेह भी हो सकता है। वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो चले हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए 

हैं। अतः विकल्प के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है। कुंडली में त्रिकोण सर्वाधिक बलद्गााली माना 

गया है। त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव। लग्न अर्थात जीवन आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि, विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह का रुद्राक्ष धारण 

करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है। कई बार देखने में आता है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार अद्गाुभ होता है। 

उदाहरण के रूप में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेद्गा हो, तो अद्गाुभ और चंद्र सप्तमेद्गा हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेद्गा-एकादद्गोद्गा होने पर भी लग्नेद्गा शनि का शत्रु होने के कारण अशुभ नहीं होता। गुरु तृतीयेद्गा-व्ययेद्गा होने के 

कारण अत्यंत अद्गाुभ होता है। ऐसे में मकर लग्न के जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज धारण करना अशुभ है। परंतु यदि मकर लग्न की कुंडली में गजकेसरी, लक्ष्मी या बुधादित्य जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, 

मंगल या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाद्गाुभ प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के 

लिए चार और एक मुखी रुद्राक्ष। अंकद्गाास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण अंक ज्योतिष के अनुसार जातक को अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 1 से 9 तक के अंक मूलांक होते हैं। प्रत्येक अंक किसी ग्रह 

विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे अंक 1 सूर्य, 2 चंद्र, 3 गुरु, 4 राहु, 5 बुध, 6 शुक्र, 7 केतु, 8 शनि और 9 मंगल का। अतः जातक को मूलांक, भाग्यांक और नामांक से संबंधित ग्रह के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए। कार्य-क्षेत्र के अनुरूप 

रुद्राक्ष कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है। किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है। नेता-मंत्री-विधायक सांसदों 

के लिए - 1 और 14 मुखी। प्रशासनिक अधिकारियों के लिए - 1 और 14 मुखी। जज एवं न्यायाधीशों के लिए - 2 और 14 मुखी। वकील के लिए - 4, 6 और 13 मुखी। बैंक मैनेजर के लिए - 11 और 13 मुखी। बैंक में कार्यरत कर्मचारियों 

के लिए - 4 और 11 मुखी। चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए - 4, 6, 8 और 12 मुखी। एकाउन्टेंट एवं खाता-बही का कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए - 4 और 12 मुखी। पुलिस अधिकारी के लिए - 9 और 13 मुखी। 

पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए - 4 और 9 मुखी। डॉक्टर एवं वैद्य के लिए - 1, 7, 8 और 11 मुखी। फिजीशियन (डॉक्टर) के लिए - 10 और 11 मुखी। सर्जन (डॉक्टर) के लिए - 10, 12 और 14 मुखी। 

नर्स-केमिस्ट-कंपाउण्डर के लिए - 3 और 4 मुखी। दवा-विक्रेता या मेडिकल एजेंट के लिए - 1, 7 और 10 मुखी। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए - 3 और 10 मुखी। मेकैनिकल इंजीनियर के लिए - 10 और 11 मुखी। सिविल इंजीनियर के लिए - 

8 और 14 मुखी। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए - 7 और 11 मुखी। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए - 14 मुखी और गौरी-शंकर। कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर के लिए - 9 और 12 मुखी। पायलट और वायुसेना अधिकारी के लिए - 10 और 

11 मुखी। जलयान चालक के लिए - 8 और 12 मुखी। रेल-बस-कार चालक के लिए - 7 और 10 मुखी। प्रोफेसर एवं अध्यापक के लिए - 4, 6 और 14 मुखी। गणितज्ञ या गणित के प्रोफेसर के लिए - 3, 4, 7 और 11 मुखी। इतिहास के 

प्रोफेसर के लिए - 4, 11 और 7 या 14 मुखी। भूगोल के प्रोफेसर के लिए - 3, 4 और 11 मुखी। क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनोग्रॉफर के लिए - 1, 4, 8 और 11 मुखी। ठेकेदार के लिए - 11, 13 और 14 मुखी। प्रॉपर्टी डीलर के लिए - 3, 4, 10 

और 14 मुखी। दुकानदार के लिए - 10, 13 और 14 मुखी। मार्केटिंग एवं फायनान्स व्यवसायिओं के लिए - 9, 12 और 14 मुखी। उद्योगपति के लिए - 12 और 14 मुखी। संगीतकारों-कवियों के लिए - 9 और 13 मुखी। लेखक या प्रकाशक के 

लिए - 1, 4, 8 और 11 मुखी। पुस्तक व्यवसाय से संबंधित एजेंट के लिए - 1, 4 और 9 मुखी। दार्शनिक और विचारक के लिए - 7, 11 और 14 मुखी। होटल मालिक के लिए - 1, 13 और 14 मुखी। रेस्टोरेंट मालिक के लिए - 2, 4, 6 

और 11 मुखी। सिनेमाघर-थियेटर के मालिक या फिल्म-डिस्ट्रीब्यूटर के लिए - 1, 4, 6 और 11 मुखी। सोडा वाटर व्यवसाय के लिए - 2, 4 और 12 मुखी। फैंसी स्टोर, सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री के विक्रेताओं के लिए - 4, 6 और 11 मुखी 

रुद्राक्ष। कपड़ा व्यापारी के लिए - 2 और 4 मुखी। बिजली की दुकान-विक्रेता के लिए - 1, 3, 9 और 11 मुखी। रेडियो दुकान-विक्रेता के लिए - 1, 9 और 11 मुखी। लकडी़ या फर्नीचर विक्रेता के लिए - 1, 4, 6 और 11 मुखी। ज्योतिषी के 

लिए - 1, 4, 11 और 14 मुखी रुद्राक्ष । पुरोहित के लिए - 1, 9 और 11 मुखी। ज्योतिष तथा धार्मिक कृत्यों से संबंधित व्यवसाय के लिए - 1, 4 और 11 मुखी। जासूस या डिटेक्टिव एंजेसी के लिए - 3, 4, 9, 11 और 14 मुखी। जीवन में 

सफलता के लिए - 1, 11 और 14 मुखी। जीवन में उच्चतम सफलता के लिए - 1, 11, 14 और 21 मुखी। विद्गोष : इनके साथ-साथ 5 मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जाना चाहिए

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