10 House in Rahu
10 House in Rahu
ज्योतिष में माना जाता है कि यदि किसी जातक की कुंडली के दशम भाव में राहु देव विराजमान हो तो जातक अत्याधिक बलवान और निडर होता है। ऐसे जातक बुद्धिमान, परोपकारी और गर्वीले स्वभाव के होते हैं। यहां स्थित राहु जातक को कुछ प्रकार की चिंताएं देता है और जातक के घमण्ड को धीरे धीरे दूर करवाता है।
दसवें भाव में राहु होने पर जातक की रुचि काव्य और कविताओं में होती है। ऐसे जातक अच्छे लेखक, पत्रकार या सम्पादक तक हो सकते हैं। दशम स्थान पर राहु होने पर जातक को जीवनकाल में सफलता, सम्मान और कीर्ति प्राप्त होती है। ऐसे जातक लोक समूह, गांव या नगर में किसी बड़े पद पर आसीन हो सकते हैं। राहु की यह स्थिति जातक को मंत्री या सेनापति भी बना सकती है।
कर्मस्थान में राहु विराजमान होने पर जातक शत्रुहंता होता है ऐसे जातकों के शत्रु या तो नहीं होते और अगर होते भी हैं तो नष्ट हो जाते हैं। यहां स्थित राहु जातक को गंगा स्नान का लाभ प्रदान करवाता है और जातक समय समय पर यज्ञ आदि भी करता है।
दशम स्थान में राहु विराजमान होने पर जातक व्यापार में निपुण होता है और ऐसा जातक अपने जीवन काल में कई प्रकार की यात्राएं करता है। यहां विराजमान राहु वैसे तो पुत्र संतति में कमी करते हैं लेकिन जातक को अदालती कामों में अधिकतर विजय ही प्राप्त होती है। दशम स्थान के राहु जातक को शुरू में कष्ट देते हैं और जातक कष्ट भोगकर अपने जीवन में उत्तरोतर उन्नति करता है।
दशम स्थान में यदि राहु खराब प्रभाव में हो तो जातक अत्याधिक आलसी और उत्साहीन हो जाता है, ऐसे में जातक को आलस्य त्यागकर मन लगाकर अपने कामों को करना चाहिए। व्यर्थ के घमण्ड और बेकार की बातों में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहिए। ऐसे जातकों को जहां तक संभव हो मांस मदिरा और किसी भी प्रकार के नशे से भी दूर रहना चाहिए।
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